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शताब्दी एक्सप्रेस में हड़कंपः यात्रा कर रहा यात्री निकला पॉजिटिव, सभी यात्री कोरंटीन

सहयात्रियों की असली मुसीबत तब शुरू हुई जब उनको संक्रमित व्यक्ति के साथ सफर करने के कारण कोरंटीन हो जाने को कहा गया। अब ये सभी यात्री परेशान हैं। लेकिन कोरंटीन तो होना ही है। ताकि कोई संक्रमित हुआ हो तो संक्रमण दूसरे में न फैले।

Newstrack
Published on: 1 Aug 2020 6:12 PM IST
शताब्दी एक्सप्रेस में हड़कंपः यात्रा कर रहा यात्री निकला पॉजिटिव, सभी यात्री कोरंटीन
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kojhikode

कोच्चि: कहते हैं मुसीबत जब आती है तो बता कर नहीं आती। ऐसा ही कुछ कोझीकोड-तिरुवनंतपुरम जन शताब्दी एक्सप्रेस में शुक्रवार को हुआ जब ट्रेन में सवार यात्रियों को तब रोक लिया गया जब ट्रेन में यात्रा कर रहे एक यात्री को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ गई। इन यात्रियों को कोरंटीन होने को कहा गया है।

सूत्रों ने बताया कि 29 वर्षीय यह व्यक्ति कोझीकोड में बेहद हड़बड़ी में ट्रेन में सवार हुआ, वह तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में अपनी गर्भवती पत्नी तक पहुंचने के लिए बेताब था। यह व्यक्ति कोरोना का संदिग्ध मरीज था इसके नमूने कुछ दिनों पहले ही परीक्षण के लिए तब भेजे गए थे जब वह अस्वस्थ था।

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इस बीच पत्नी प्रसव के कारण वह जल्दबाजी में कन्याकुमारी लौटने के लिए मजबूर हो गया। कोझीकोड में जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उसकी सकारात्मक रिपोर्ट आने पर उसके घर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि इस यह व्यक्ति यहां से चला गया है। इस पर जांचकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी।

व्यक्ति को अलग थलग किया

उन्होंने त्रिशूर में अपने सहयोगियों को सतर्क किया। दुर्भाग्य से, जब तक अधिकारी सूचना पर पारित कर पाते तब तक ट्रेन ने त्रिशूर जंक्शन को छोड़ दिया। इसके बाद आनन फानन में तुरंत, एर्नाकुलम स्टेशन प्रबंधक और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को सतर्क कर दिया गया।

जब ट्रेन एर्नाकुलम नॉर्थ स्टेशन पर पहुंची तो डी 3 डिब्बे में यात्रा कर रहे इस व्यक्ति को अलग कर दिया गया और उसे एक अलग कमरे में ले जाया गया। बाद में उन्हें कलामस्सेरी के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।

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सूत्रों के अनुसार, डी 3 डिब्बे में यात्रा कर रहे अन्य यात्रियों को दूसरे डिब्बे में स्थानांतरित कर दिया गया। जिस कोच में कोविद -19 मरीज को लेकर यात्रा की गई थी उसे खाली करा लिया गया। तिरुवनंतपुरम पहुंचने के बाद ट्रेन को कीटाणुरहित किया जाएगा।

लेकिन सहयात्रियों की असली मुसीबत तब शुरू हुई जब उनको संक्रमित व्यक्ति के साथ सफर करने के कारण कोरंटीन हो जाने को कहा गया। अब ये सभी यात्री परेशान हैं। लेकिन कोरंटीन तो होना ही है। ताकि कोई संक्रमित हुआ हो तो संक्रमण दूसरे में न फैले।



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