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जावेद अख्तर ने कहा- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है समुदाय का सबसे बड़ा दुश्‍मन

aman
By aman
Published on: 3 Sept 2016 7:08 PM IST
जावेद अख्तर ने कहा- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है समुदाय का सबसे बड़ा दुश्‍मन
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नई दिल्ली: ख्याति प्राप्त गीतकार और शायर जावेद अख्‍तर ने तीन तलाक मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर जमकर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि मुस्लिम बोर्ड अपने ही समुदाय का सबसे बड़ा दुश्‍मन है। जावेद अख्‍तर ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

क्या कहा जावेद अख्तर ने?

जावेद अख्तर ने लिखा है कि 'मैं तीन तलाक को सही ठहराने पर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की कड़े शब्‍दों में निंदा करता हूं। वे अपने ही समुदाय के सबसे बड़े दुश्‍मन हैं।' उल्लेखनीय है कि तीन तलाक मुद्दे पर सु्प्रीम कोर्ट में सुनवार्इ चल रही है। शुक्रवार को बोर्ड ने तीन तलाक को सही ठहराया था। उनका कहना था कि कोर्ट पर्सनल लॉ के मामले दखल नहीं दे सकता।



क्या कहा था मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने?

मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने कहा कि तीन बार तलाक कहने की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं ले सकता। बोर्ड ने कहा, कि पति को तीन बार तलाक कहने की इस्‍लाम में अनुमति है, क्‍योंकि वे निर्णय लेने की बेहतर स्थिति में होते हैं और जल्‍दबाजी में ऐसा नहीं करते। एक धर्म में अधिकारों की वैधता पर कोर्ट सवाल नहीं उठा सकता। कुरान के अनुसार तलाक से बचना चाहिए लेकिन जरूरत होने पर इसकी अनुमति है।'

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बोर्ड ने ये भी कहा

बोर्ड की ओर से दिए गए एफिडेविट में कहा गया कि यह एक मिथक है कि तलाक के मामले में मुस्लिम पुरुषों को एकतरफा ताकत मिली होती है। साथ ही इस्‍लाम जब बहुविवाह प्रथा की अनुमति देता है तो यह उसको प्रोत्‍साहित नहीं करता।

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इशरत ने दायर की थी याचिका

इस मामले में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्‍यक्षता वाली बैंच ने सुनवाई की। इस मामले में कई महिलाओं ने याचिका दायर की है। इनमें से एक हैं इशरत जहां। इशरत को फोन पर तलाक दे दिया गया था।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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