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Bihar Politics: नीतीश जी को भाजपा का 'लालीपॉप' या बेटे का 'सौदा' तय

Bihar Politics: जेडीयू की भाजपा की ऊपर मेहरबानी थी या फिर बेटे के लिए नए सिंहासन का निवेश था।

Snigdha Singh
Published on: 1 March 2025 2:45 PM IST
Bihar Politics: नीतीश जी को भाजपा का लालीपॉप या बेटे का सौदा तय
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Bihar Politics (Photo: Social Media)

Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। दिल्ली के बाद अब राजनीतिक पार्टियों ने बिहार की तरफ कूच कर दिया। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी सबसे पहले चुनाव की प्लानिंग और जीत का रास्ता तय करने के लिए आगे बढ़ रही है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ चुनाव की रणनीति तैयार कर ली है। अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के बीच क्या समझौता हुआ? नीतीश कुमार, बेटे को आगे लाएंगे या भाजपा की अपनी कोई चाल है।

एक वेब सीरीज का डायलॉग है 'राजनीति में हर खिलाड़ी को सिर्फ एक ही चाल मिलती है।' ये बात असल सियासत में भी लागू होती है। बिहार के चुनाव में भाजपा ने अपनी चाल चल दी है। लेकिन अभी नीतीश कुमार की चाल का इंतजार है। बिहार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यहां की राजनीति आसान समझ आती है। तीन बड़ी पार्टियों में से कोई भी दो पार्टी मिलकर सरकार बना सकती हैं। ऐसी ही प्लानिंग में जेडीयू और भाजपा हैं। लेकिन अब जिस तरह से नीतीश का बेटा राजनीति में आगे आ रहा क्या सब कुछ आसान होगा, देखने वाली बात होगी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सीएम इस बार बेटे निशांत कुमार को चुनावी मैदान में उतारेंगे। जीत के बाद मंत्री भी बनाएंगे। वहीं, दूसरी तरफ चर्चा ये है कि जिस तरह नीतीश सिर्फ चुनाव को लीड करने की बात कर रहे तो क्या भाजपा के सामने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रख सकते हैं। हालांकि निशांत कुमार राजनीति का ज्यादा अनुभव नहीं रखते हैं। उनका कहना भी है कि वह अपने पिता को एक बार और सीएम बनते देखना चाहते हैं।

बेटे को लांच कर क्या है प्लानिंग

नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर उन्होंने अध्यात्म की तरफ रुख कर लिया। निशांत अभी तक पब्लिक प्रोग्राम और मीडिया से दूर रहते थे लेकिन अब वह मीडिया के सामने आकर बात करने लगे हैं। राजनीति में धीरे-धीरे सक्रियता बढ़ा रहे। कयास लगाया जा रहा कि इस चुनाव में नीतीश के बेटे चुनावी अखाड़े में उतरेंगे। नीतीश कुमार ने बिहार कैबिनेट विस्तार से पहले नड्डा से मुलाकात किया और उसके बाद सारे मंत्री भाजपा के कोटे में दे दिया। जेडीयू की भाजपा की ऊपर मेहरबानी थी या फिर बेटे के लिए नए सिंहासन का निवेश था।

नीतीश की पल्टीमार छवि बिगाड़ देगी भाजपा का खेल

राजनीति में नीतीश कुमार के लिए लोग 'पल्टीमार' टाइटल इस्तेमाल करते हैं। नीतीश कुमार ने 1994 में जनता दल से अलग होकर पार्टी बनाई। 90 के दशक में ही पहली बार भाजपा की उंगली पकड़ी थी। भाजपा के साथ से ही 2005 में पहली बार सरकार बनाई। 2013 में 17 साल का रिश्ता तोड़कर पहली पलटी मारी। वजह थी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना। 2014 में अकेले चुनाव लड़ा और मात्र दो सीटें मिलीं जबकि इससे पहले जेडीयू ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2014 में खराब प्रदर्शन के बाद सीएम पद से इस्तीफा देकर मांझी को मुखिया बना दिया। दूसरी पलटी थी जब जदयू ने कांग्रेस-राजद से हाथ मिलाकर महागठबंधन किया। इससे 2015 के चुनाव में भारी बहुमत मिला। इसके बाद 2017 में नीतीश ने सहयोगी दलों से संपर्क साधा तेजस्वी का नाम सीबीआई में आने के बाद इस्तीफा मांगा। तीसरी बार पलटी मारते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया। इसके बाद 2020 में चुनाव जीत कर सीएम बनें लेकिन 2022 में फिर जेडीयू प्रमुख ये कहते हुए चौथी बार यू टर्न लिया कि बीजेपी उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। फिर राजद से हाथ मिलाया और इंडिया गठबंधन की अध्यक्षता करने लगे। इसी दौरान पांचवी बार पलटी मार कर एनडीए में चले गए।

घटते गए नीतीश कुमार के विधायक

नीतीश कुमार की छोड़ने पकड़ने वाली नीति से सीएम पद जरूर मिलता गया लेकिन लोगों के दिलों में जगह और उनका विश्वास घटता गया। इतनी उठा-पटक के चलते जेडीयू के विधायक धीरे धीरे घटते गए। बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं। जनता यूनाइटेड दल को वर्ष 2010 में 115 सीटें मिली थी। 2015 में नीतीश को 71 विधायक मिले। साल 2020 में विधायकों की संख्या घटकर मात्र 45 ही बची। जबकि राजद को सबसे अधिक 79 सीटें और भाजपा ने 78 सीटों पर जीत दर्ज की।

लालू तेजस्वी को समन, भाजपा का कोई नया कदम!

बिहार में चुनाव के चंद महीने ही बाकी हैं। चुनाव आयोग की टीम होली से पहले ही बिहार जा सकती है। ऐसे में राजद प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी समेत दो अन्य लोगों को लैंड फॉर जॉब मामले में समन आया। दिल्ली चुनाव की तरह क्या बिहार में भी भारतीय जनता पार्टी को इसका फायदा मिल सकता है।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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