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Jharkhand Assembly Election Results 2024: हेमंत सोरेन के इन 5 दांव ने झारखंड में बिगाड़ दिया बीजेपी का सारा खेल

Jharkhand Assembly Election Results 2024: इस जीत के बाद से हेमंत सोरेन का राजनीतिक कद बढ़ना तय है। यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर वे कौन से फैक्टर्स थे जो इंडिया गठबंधन की जीत में काफी महत्वपूर्ण साबित हुए।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 23 Nov 2024 4:37 PM IST
Hemant Sorens 5 bets spoiled BJPs whole game in Jharkhand
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हेमंत सोरेन के इन 5 दांव ने झारखंड में बिगाड़ दिया बीजेपी का सारा खेल: Photo- Social Media

Jharkhand Assembly Election Results 2024: झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन का जादू चला है। यहां हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन फिर से सरकार बनाने जा रही है। इंडिया गठबंधन बीजेपी गठबंधन को काफी पीछे छोडते़ हुए बहुमत के आंकड़ों से काफी आगे निकल गई है। दोनों गठबंधनों के बीच काफी अंतर है। हेमंत सोरेन की जीत तय है और यह उनकी बड़ी जीत है। अब उनकी इस बड़ी जीत पर चर्चा भी होने लगी है कि आखिर वे कौन से फैक्टर्स थे जिस पर हेमंत सोरेन ने दांव चला और उनके नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को झारखंड में जीत मिली।

इस जीत के बाद से हेमंत सोरेन का राजनीतिक कद बढ़ना तय है। यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर वे कौन से फैक्टर्स थे जो इंडिया गठबंधन की जीत में काफी महत्वपूर्ण साबित हुए।

आदिवासी बाहुल्य सीटों पर हेमंत का जलवा

झारखंड में आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है। यहां 26 फीसदी से ज्यादा आदिवासियों की जनसंख्या है। झारखंड की कई विधानसभा सीटों पर आदिवासियों की संख्या 40 फीसदी से भी अधिक है। भाजपा अदिवासियों को अपने पक्ष में लाने के लिए कई दांव चली लेकिन इस चुनाव का परिणाम तो यही दर्शाता है कि आदिवासियों पर एक बार फिर भाजपा का नहीं हेमंत सोरेन का ही जादू चला और आदिवासियों ने हेमंत सोरेन पर ही विश्वास जताया।

Photo- Social Media

बता दें कि बीजेपी जीत के लिए जितने भी प्रयास करती रही, लेकिन उनका इस चुनाव में बड़ा झटका इस कारण भी लगा कि उनके पास हेमंत सोरेन के टक्कर में झारखंड में कोई आदिवासी बड़ा चेहरा नहीं था। चंपई सोरेन और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी में आ गए, लेकिन आदिवासियों को इनका दल बदलना रास नहीं आया। विधानसभा चुनाव में उन सीटों पर हेमंत सोरेन को जोरदार कामयाबी मिली जहां आदिवासी काफी संख्या में थे।

मुस्लिम-यादव बाहुल सीटों पर बंपर जीत

यही नहीं आदिवासियों के अलावा मुस्लिम और यादव बाहुल वाली सीटों पर भी इंडिया गठबंधन तालमेल बैठाने में काफी हद तक सफल रही। राज्य की 10 से ज्यादा सीटे ऐसी हैं जहां इनकी आबादी 50 फीसदी से भी ज्यादा है। इन सीटों पर इंडिया गठबंधन ने अपनी जीत का परचम लहराया है। बीजेपी के कई नेताओं ने झारखंड में बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया, लेकिन यहां इसका कोई असर नहीं दिखा और वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ। यहां हिन्दू-मुस्लिम से ज्यादा आदिवासी अस्मिता का दांव चला है। यही नहीं बीजेपी ने यहां बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी काफी जोर-शोर से उठाया था, लेकिन हेमंत सोरेन ने भाजपा पर काटो-बांटो की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए बेटी-माटी-रोटी का नारा देकर उसके इस मुद्दे को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और हेमंत सोरेन का बेटी-माटी-रोटी का नारा हिट हो गया।

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हेमंत सोरेन का जेल जाना भी उनके पक्ष में रहा

हेमंत सोरेन को 31 करोड़ रुपये से अधिक की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने के आरोप में जेल जाना पड़ा था। चुनाव में हेमंत सोरेन ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने इस बात को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश की कि गरीबों के नेता हेमंत सोरेन को बीजेपी ने साजिश के तहत जेल में डाला। जनता से कहते रहे चुनाव में इसका बदला वोट से लेना। कुछ हद तक वो आदिवासी समेत बड़ी आबादी को ये बताने में कामयाब भी रहे कि उन्होंने कोई घोटाला नहीं किया है और ये सब बीजेपी की बदले की राजनीति है।

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कल्पना सोरेन ने संभाला मोर्चा

जब हेमंत सोरेन जेल में थे तो उस समय चंपई सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन सरकार की कमान एक तरह से हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के हाथों में थी। इस दौरान कल्पना सोरेन जमीन पर उतरकर पार्टी को एजकुट करने में लगी रहीं, उन्होंने हर जगह हेमंत सोरेन की जेल को जनता के नेता के बाद अन्याय करार दिया। यही नहीं कल्पना सोरेन अपनी बात को एक अलग अंदाज में लोगों के सामने रखती थीं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जमकर चुनाव प्रचार किया। वे गांव-गांव जाती रहीं और इस दौरान वे लोगों से बात करतीं और वोटर उनसे कनेक्ट भी होते रहे थे।

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मईया योजना का चला जादू

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मईया योजना का जादू भी खूब चला है। मईया योजना के तहत झारखंड में 51 लाख से अधिक महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जा रही है। इसके तहत राज्य में महिलाओं को हर महीने 1,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यहां बीजेपी ने चुनाव में महिलाओं 2100 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की थी, लेकिन जनता ने बीजेपी के इस वादे पर विश्वास न कर हेमंत सोरेन के वादों पर भरोसा जताया और नतीजा यह रहा कि हेमंत सोरेन को इसका चुनाव में काफी फायदा भी मिला। इस योजना की कई किस्तें महिलाओं को मिल चुकी हैं। आर्थिक मदद के बाद विधानसभा चुनाव में खासकर आदिवासी महिलाओं ने हेमंत सोरेन का खुलकर साथ दिया है।

झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं, जिसमें हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं बीजेपी को 22 सीटें मिलती दिख रही हैं। यहां सरकार बनाने के लिए 41 सीटों की जरूरत है और इंडिया गठबंधन बहुमत से काफी अधिक सीटें जीतती नजर आ रही है।



Shashi kant gautam

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