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Jharkhand Election:सोरेन के लिए कितना मददगार बनेगी कांग्रेस,छह सीटों पर बागी प्रत्याशियों ने बढ़ा रखी है मुसीबत
Jharkhand Election: झारखंड में इंडिया गठबंधन में हुए सीट बंटवारे के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे अधिक 41 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है जबकि कांग्रेस ने 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
Jharkhand Election: झारखंड के विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले के बीच भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सत्ता की दौड़ से बाहर करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। गृहमंत्री अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सोमवार को झारखंड की चुनावी जंग में उतर गए और उन्होंने सत्तारूढ़ महागठबंधन पर तीखा हमला किया। झारखंड की चुनावी बाजी जीतने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कांग्रेस की मदद की दरकार है मगर यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस इस मामले में कितनी मददगार साबित हो पाती है।
दरअसल छह सीटों पर कांग्रेस को मजबूत बागी प्रत्याशियों से चुनौती मिल रही है जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और राजद के प्रत्याशी आपस में ही उलझ गए हैं। इससे भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है। भाजपा के खिलाफ अभी तक झामुमो ने ही मोर्चा संभाल रखा है जबकि कांग्रेस इस मामले में पीछे दिख रही है।
सोरेन को कांग्रेस की मदद की दरकार
झारखंड में इंडिया गठबंधन में हुए सीट बंटवारे के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे अधिक 41 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है जबकि कांग्रेस ने 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। झारखंड में बहुमत का जादुई आंकड़ा 42 का है और इस आंकड़े तक पहुंचाने के लिए सोरेन को कांग्रेस की पूरी मदद की जरूरत है।
कांग्रेस के समर्थन के बिना सोरेन की पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े को नहीं हासिल कर पाएगी। ऐसे में कांग्रेस को भी अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार होना होगा मगर कांग्रेस कई कारणों से राज्य में मुश्किल में फंसी हुई दिख रही है।
2019 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो ने 30 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस को 15 सीटों पर जीत मिली थी। दोनों दलों के गठबंधन के कारण ही सोरेन मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के खिलाफ दोनों दलों को अच्छा प्रदर्शन करना होगा और यह काम आसान नहीं माना जा रहा है।
छह सीटों पर कांग्रेस के बागी प्रत्याशी बने मुसीबत
कांग्रेस की ओर से बागी प्रत्याशियों को काबू में न कर पाने के कारण भी इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। दरअसल विधानसभा की छह सीटों पर कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने अधिकृत प्रत्याशियों की नींद हराम कर रखी है। राज्य की सिमडेमा, वनिका, तोरपा, बरही, सिसई और बिशनपुर मैं कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बरही में तो पूर्व विधायक उमाशंकर अकेला सपा के टिकट पर चुनावी जंग में उतर गए हैं।
कांग्रेस के कई बागी प्रत्याशी पूर्व में काफी ताकतवर रहे हैं और इस बार भी उन्हें अच्छा खासा समर्थन मिलता हुआ दिख रहा है।भाजपा अपने कई बागी प्रत्याशियों को मनाने में कामयाब रही है जबकि दूसरी ओर कांग्रेस इस मामले में फेल साबित हुई है। कांग्रेस के बागियों के खड़े हो पाने के कारण झामुमो को इन सीटों पर सहयोगी दल को झटका लगने का डर सता रहा है।
दो सीटों पर राजद और कांग्रेस प्रत्याशी भिड़े
झारखंड में दो विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस और राजद के प्रत्याशी आपस में ही उलझ गए हैं। छतरपुर और विश्रामपुर विधानसभा सीटों पर झामुमो के दो सहयोगी दलों के बीच ही जंग छिड़ गई है। बिश्रामपुर में कांग्रेस ने सुधीर महतो को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि राजद की ओर से नरेश प्रसाद सिंह उन्हें चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में नरेश प्रसाद सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए करीब 27 हजार वोट हासिल किए थे। ऐसे में उनकी चुनौती को हल्के में नहीं लिया जा सकता। 2019 में वोटो के बंटवारे से रामचंद्र चंद्रवंशी को फायदा हुआ था और वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।
झामुमो की ओर से इस बार चंद्रवंशी को घेरने की रणनीति बनाई गई थी मगर कांग्रेस और राजद के आपस में उलझ जाने के कारण अब एनडीए को फायदा होने की उम्मीद जताई जाने लगी है।
आपसी मतभेद से छतरपुर में मजबूत हुई भाजपा
इसी तरह छतरपुर में कांग्रेस ने राधाकृष्ण किशोर को चुनाव मैदान में उतारा है। राजद की ओर से इस सीट पर विजय कुमार यादव चुनाव मैदान में उतर गए हैं। भाजपा के टिकट पर पुष्पा देवी फिर यहां काफी मजबूती से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान पुष्पा देवी ने राजद के विजय कुमार को हराया था।
कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान पलामू लोकसभा सीट पर भी राजद को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसी को आधार बनाते हुए कांग्रेस ने यहां अपना प्रत्याशी उतार दिया है। अब त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में पुष्पा देवी को बड़ा फायदा मिलता दिख रहा है।
सोरेन की मदद से नैया पार लगाने का सपना
इस बार का विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भी झामुमो नेताओं के प्रचार के दम पर चुनाव लड़ते हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की चुनावी रैली कराने की होड़ दिख रही है। उनका मानना है कि सोरेन के चुनाव प्रचार करने से उन्हें सियासी फायदा हो सकता है।
डाल्टनगंज में केएन त्रिपाठी और जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में अजय कुमार इस काम में कामयाब भी रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार कई दिग्गज नेताओं को भी चुनावी अखाड़े में उतारा है मगर इन दिग्गजों के उतरने से भी कांग्रेस कई क्षेत्रों में मजबूत स्थिति में नहीं दिख रही है।
भाजपा को पलटवार करने में भी कांग्रेस अभी तक नाकाम रही है जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने भाजपा को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।