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झारखंड की पहचान दिशोम गुरु शिबू सोरेन, बेटे हेमंत सोरेन ने मनाया जन्मदिन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने कहा कि, आज झारखंड देश के मानचित्र पर भले ही एक अलग राज्य के रूप में पहचान रखता हो लेकिन अलग राज्य का सपना पूरी तरह साकार नहीं हुआ है।
झारखंड: दिशोम गुरु शिबू सोरेन से झारखंड की पहचान है। वो व्यक्ति जिसने अलग झारखंड के आंदोलन को खड़ा किया। राज्य के लोगों को महाजनी प्रथा से मुक्ति दिलाई। वो इंसान जो तीर-धनुष लेकर सड़कों पर उतरा। जेल की सज़ा काटी। अपने 77वें जन्मदिन पर लड़खड़ाती आवाज़ में अलग राज्य के आंदोलन को याद किया। रांची में आयोजित कार्यक्रम में उन्होने कहा कि, उसने अलग झारखंड के साथ ही महाजनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आज दोनों ही आंदोलन सफल रहा है। झारखंड अलग राज्य बना।
गुरुजी का सपना
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने कहा कि, आज झारखंड देश के मानचित्र पर भले ही एक अलग राज्य के रूप में पहचान रखता हो लेकिन अलग राज्य का सपना पूरी तरह साकार नहीं हुआ है। उन्होने ग़रीब आदिवासियों का उदाहरण देते हुए बताया कि, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों तक विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। हालांकि, महाजनों का आतंक खत्म हुआ है। देर-सवेर विकास की किरणें उनतक भी पहुंचेगी। अपने आंदोलन के दिनों को याद करते हुए उन्होने कहा कि, लोगों को एकजुट करना, उन्हे संघर्ष के लिए खड़ा करना, पुलिस और कानूनी पेचीदगी को समझना आसान नहीं था। हालांकि, लोगों के सहयोग से उनका सपना साकार हुआ।
पिता के रास्ते पर हेमंत
शिबू सोरेन के सुपुत्र हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। लिहाज़ा, राज्यवासी उनसे भी जल, जंगल और ज़मीन के मुद्दे पर दिशोम गुरु का नज़रिया चाहते हैं। यही वजह है कि, हेमंत सोरेन ने शुरू से आदिवासियों के हितों की आवाज़ उठाई। हाल ही में आदिवासियों की धार्मिक पहचान सरना धर्म कोड को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और प्रस्ताव केंद्र को भेजा। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन ने खूंटी ज़िला में पत्थलगड़ी को लेकर देशद्रोह का मुक़दमा झेल रहे ग़रीब आदिवासियों पर से आरोप हटाए। खनिज संपदा में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र से दो-दो हाथ किया।
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बाबूलाल मरांडी का भी जन्मदिन
11 दिसंबर को शिबू सोरेन के साथ ही झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का भी जन्मदिन है। दोनों ने बतौर मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभाली है। हालांकि, राजनीति की धारा अलग होने की वजह से बाबूलाल आज भाजपा विधायक दल के नेता हैं। जबकि, शिबू सोरेन की पार्टी झामुमो झारखंड की सत्ता पर काबिज है। झारखंड विकास मोर्चा का विलय करने के बाद बाबूलाल मरांडी हेमंत सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।
रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट।
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