Jharkhand Election 2024: झारखंड में दोनों खेमों के लिए बड़ी मुसीबत बने बागी प्रत्याशी, NDA के लिए ज्यादा खतरा

Jharkhand Election 2024: भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ ही विपक्षी महागठबंधन में भी तमाम बागी प्रत्याशियों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की नींद उड़ा रखी है।

Anshuman Tiwari
Published on: 31 Oct 2024 5:55 AM GMT
Jharkhand Election 2024: झारखंड में दोनों खेमों के लिए बड़ी मुसीबत बने बागी प्रत्याशी, NDA के लिए ज्यादा खतरा
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Jharkhand Election 2024: झारखंड के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन और एनडीए दोनों खेमों ने पूरी ताकत लगा रखी है। दीपावली का पर्व बीतने के बाद चुनाव प्रचार और तेज हो जाएगा क्योंकि पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को ही होने वाला है। जहां एक ओर सत्तारूढ़ महागठबंधन अपनी सत्ता बचाए रखने की कोशिश में जुटा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए की ओर से इस बार सत्ता छीनने की कोशिश की जा रही है।

वैसे दोनों खेमों के लिए बागी प्रत्याशी सबसे बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ ही विपक्षी महागठबंधन में भी तमाम बागी प्रत्याशियों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की नींद उड़ा रखी है। काफी मनाने के बावजूद कई चुनाव क्षेत्रों में बागी प्रत्याशी अपना नामांकन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए। ऐसे में माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में बागी प्रत्याशी भी महत्वपूर्ण फैक्टर साबित होंगे।

NDA में 18 बागी प्रत्याशी बने खतरा

झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में नामांकन से पहले टिकट के लिए जबर्दस्त जोड़-तोड़ देखने को मिली थी। दोनों खेमों के लिए सभी को संतुष्ट करना संभव नहीं था और ऐसे में टिकट से वंचित कई नेताओं ने बागी प्रत्याशियों के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। भाजपा की ओर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और निशिकांत दुबे समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने बागी प्रत्याशियों का नामांकन वापस कराने की कोशिश की मगर पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल सकी।

अब दोनों खेमों में बागी प्रत्याशी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहे हैं। वैसे बागी प्रत्याशियों का ज्यादा खतरा एनडीए में दिख रहा है। एनडीए में 18 बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। इनमें भाजपा के 13 और आजसू के पांच बागी प्रत्याशी शामिल है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आजसू के साथ गठबंधन कर रखा है।

सत्तारूढ़ महागठबंधन में भी मुसीबत बने बागी

यदि सत्तारूढ़ महागठबंधन की बात की जाए तो महागठबंधन में भी 13 बागी प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में कूद गए हैं। झामुमो से नौ, कांग्रेस से तीन और राष्ट्रीय जनता दल से एक बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में कूद पड़ा है।

इनमें से कई बागी प्रत्याशी खुद जीतने की स्थिति में तो नहीं दिख रहे हैं मगर वे पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी की हार का कारण जरूर बन सकते हैं। इन बागी प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से कांटे के टक्कर वाली सीटों पर चुनाव नतीजा प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।

2019 में दो निर्दलीयों ने मारी थी बाजी

वैसे 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद की जाए तो उस चुनाव में दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी थी। हालांकि दोनों कद्दावर नेता थे और उनकी जीत में उनके सियासी कद का बड़ा योगदान था। 2019 में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले सरयू राय रघुवर दास की सरकार में मंत्री थे। कद्दावर नेता होने के बावजूद भाजपा ने पिछले चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया था।

नाराजगी में उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर रघुवर दास के खिलाफ ही नामांकन दाखिल कर दिया था और 15 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार भी इस सीट पर भाजपा के दो बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं।

इसी तरह पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत करके अमित यादव भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे थे। उन्होंने बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। इस बार भी दोनों खेमों से कई बागी प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि ये बागी प्रत्याशी किन दलों के लिए मुसीबत साबित होंगे।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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