Jharkhand Election 2024: सोरेन कुनबे के साथ ही कई पूर्व CM की प्रतिष्ठा दांव पर,साख बचाने के लिए झोंकी ताकत

Jharkhand Election 2024: इस बार के विधानसभा चुनाव में सोरेन कुनबे के साथ ही कई पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा दो पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन खुद चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं

Anshuman Tiwari
Published on: 3 Nov 2024 4:26 AM GMT (Updated on: 3 Nov 2024 5:07 AM GMT)
Hemant Soren
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Hemant Soren  (photo: social media )

Jharkhand Election 2024: झारखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। दीपावली का त्योहार बीतने के बाद अब राज्य में सियासी हलचल और तेज हो गई है और बड़े नेताओं के दौर शुरू हो गए हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में सोरेन कुनबे के साथ ही कई पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा दो पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन खुद चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो नेता शिबू सोरेन के दो बेटों समेत दो बहुएं भी चुनाव मैदान में उतरी हैं। तीन और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, मधुकोड़ा और रघुवर दास के करीबियों के चुनाव मैदान में उतरने के कारण उनके सामने भी साख बचाने की बड़ी चुनौती है।

चुनावी जंग में उतरे सोरेन कुनबे के चार सदस्य

झामुमो के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने खराब सेहत के कारण सक्रिय राजनीति से दूरी बना रखी है मगर उनके कुनबे से चार सदस्य चुनावी जंग में कूदे हुए हैं। इस बार शिबू सोरेन खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं पर उनके मंझले बेटे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने गढ़ बरहेट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जहां से उपचुनाव जीतकर वे विधानसभा में पहुंची थीं।

शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन दुमका से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन लोकसभा चुनाव से पहले झामुमो से नाता तोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हो गई थीं। वे भाजपा के टिकट पर जामताड़ा से चुनाव मैदान में उतरी हैं। सीता सोरेन झामुमो नेता शिबू सोरेन के दिवंगत बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं।

दांव पर लगा अर्जुन मुंडा का सियासी रसूख

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा हाल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान खूंटी सीट से चुनाव हार गए थे। वे खुद तो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं मगर उनकी पत्नी मीरा मुंडा भाजपा के टिकट पर पोटका सीट से चुनाव मैदान में उतरी हैं। उन्हें झामुमो उम्मीदवार और मौजूदा विधायक संजीव सरदार से कड़ी चुनौती मिल रही है।

संजीव सरदार की पोटका में मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2019 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार को 43,110 मतों से हराया था। ऐसे में इस बार मीरा मुंडा के साथ ही उनके पति अर्जुन मुंडा का सियासी रसूख भी दांव पर लगा हुआ है।

रघुवर की बहू पर विरासत की जिम्मेदारी

झारखंड में मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले नेता रघुवर दास इन दिनों सक्रिय राजनीति में नहीं हैं। इन दिनों वे ओडिशा के राज्यपाल हैं। 2019 में वे खुद अपनी सीट गंवा बैठे थे और उनकी पार्टी भी झारखंड की सत्ता से बाहर हो गई थी। इस बार उनकी परंपरागत जमशेदपुर पूर्वी सीट से उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू भाजपा की उम्मीदवार हैं।

इस सीट को रघुवर दास का गढ़ माना जाता है और वे यहां से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2019 में उन्हें सरयू राय के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। अब बहू के कंधों पर ससुर की सियासी विरासत को संभालने की जिम्मेदारी आ गई है। कांग्रेस ने उनके सामने दिग्गज नेता और पूर्व सांसद अजय कुमार को उतार कर मजबूत घेरेबंदी की है।

कड़े मुकाबले में फंसे बाबूलाल मरांडी

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एक बार फिर धनवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की थी जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन के 2-2 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर गए हैं।

झामुमो ने निजामुद्दीन अंसारी और सीपीआई ने राजकुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें भी अपने चुनाव क्षेत्र में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। धनवार में 25 फ़ीसदी मुस्लिम वोट ने उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

चंपई और उनके बेटे की प्रतिष्ठा दांव पर

झामुमो नेता हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सोरेन ने झारखंड की कमान संभाली थी मगर जेल से बाहर आने के बाद हेमंत ने फिर कमान संभाल ली थी। इससे नाराज होकर झामुमो छोड़ने वाले चंपई सोरेन भाजपा के टिकट पर सरायकेला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने घाटशिला विधानसभा सीट से चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को चुनाव मैदान में उतारा है। चंपई और उनके बेटे के खिलाफ झामुमो ने पूरी ताकत लगा रखी है। हेमंत सोरेन चुनाव में उन्हें हरवा कर पार्टी छोड़ने का सबक सिखाना चाहते हैं।

कोड़ा परिवार के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इस बार भी चुनावी जंग से दूर हैं मगर उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें झामुमो के मौजूदा विधायक सोनाराम सिंकू से कड़ी चुनौती मिल रही है।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान भी गीता कोड़ा को चुनावी जंग में उतारा था मगर चुनाव के दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उनके लिए विधानसभा चुनाव काफी अहम हो गया है। विधानसभा चुनाव की जंग उनके और मधुकोड़ा के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई में तब्दील हो गई है।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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