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झारखंड: RPF ने बचाई 6 नाबालिग बच्चियों की जिंदगी, तस्कर लेकर जा रहे थे यहां

आरपीएफ के जवानों ने छह बच्चों को मौके से बरामद किया है जिन्हे मानव व्यापारी दिल्ली ले जा रहे थे। रांची - नई दिल्ली राजधानी ट्रेन के खुलने से पहले जब आरपीएफ ने जायज़ा लिया तो बच्चे दलाल के साथ नज़र आए। हालांकि, मौके का फायदा उठाकर ट्रैफिकर भागने में कामयाब रहा।

Newstrack
Published on: 30 Nov 2020 1:13 PM GMT
झारखंड: RPF ने बचाई 6 नाबालिग बच्चियों की जिंदगी, तस्कर लेकर जा रहे थे यहां
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झारखंड: RPF ने बचाई 6 नाबालिग बच्चियों की जिंदगी, तस्कर लेकर जा रहे थे यहां

रांची: झारखंड में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने को लेकर सरकारी कोशिशें नाकाफी साबित हुई हैं। ग़रीबी और तंगहाली का फायदा उठाकर ट्रैफिकर नाबालिग बच्चे-बच्चियों को दूसरे प्रदेश ले जाते हैं और वहां उनसे जबरन काम लिया जाता है। इतना ही नहीं उनका यौन शोषण भी किया जाता है।

ताज़ा मामला रांची रेलवे स्टेशन से जुड़ा है। आरपीएफ के जवानों ने छह बच्चों को मौके से बरामद किया है जिन्हे मानव व्यापारी दिल्ली ले जा रहे थे। आरपीएफ इंस्पेक्टर अमिताभ वर्धन की मानें तो नन्हे फरिश्ते अभियान के तहत बच्चों को रेस्कयू किया गया है। रांची - नई दिल्ली राजधानी ट्रेन के खुलने से पहले जब आरपीएफ ने जायज़ा लिया तो बच्चे दलाल के साथ नज़र आए। हालांकि, मौके का फायदा उठाकर ट्रैफिकर भागने में कामयाब रहा।

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ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते

रांची आरपीएफ की मानें तो स्टेशन से ट्रेन खुलने से पहले उसमें मौजूद बच्चे-बच्चियों का जायज़ा लिया जाता है। साथ ही स्टेशन के आसपास मौजूद बच्चों से पूछताछ की जाती है। आरपीएफ इंस्पेक्टर अमिताभ वर्धन के मुताबिक 15 अगस्त 2020 से एक रेस्क्यू टीम काम कर रही है जिसका नाम है नन्हे फरिश्ते। अभियान के तहत अबतक 39 बच्चों को दलालों के चंगुल से बचाया गया है। रांची से बरामद छह बच्चों को फिलहाल, चाइल्ड वेलफेयर सेंटर भेज दिया गया है। बरामद बच्चों में 04 खूंटी, 01 गुमला और 01 सिमडेगा ज़िला की है।

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एयरलिफ्ट कराई गईं बच्चियां

पिछले दिनों ही झारखंड की 45 बच्चियों को दिल्ली से एयरलिफ्ट कराकर रांची लाया गया। विभिन्न ज़िलों की इन बच्चियों से घरेलू कामकाज के साथ ही देह व्यापार, बंधुवा मज़दूरी और भीख मंगाने का काम कराया जाता था। मानव व्यापारियों के चंगुल से बचाकर लाई गई इन बच्चियों को सरकार ने हुनरमंद बनाकर राज्य के अंदर ही रोज़गार देने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद को इन बच्चियों का बड़ा भाई बताते हुए हर मुमकिन मदद का भरोसा दिलाया है।

रोज़गार की तलाश में पलायन

रोज़गार की तलाश में बड़ी संख्या में झारखंड के लोग दूसरे राज्य जाते हैं। ये सिलसिला आज से नहीं बल्कि सालों से चली आ रही है। हालांकि, ग़रीबी का फायदा उठाकर ह्यूमन ट्रैफिकर बच्चों को निशाना बना रहे हैं। ग़रीब और अनपढ़ परिवारों को नौकरी और पैसे का लालच देकर नाबालिग बच्चे-बच्चियों को बाहर ले जाया जाता और उन्हे वहां बेच दिया जाता है। बच्चे भी शुरुआत में शहरी चकाचौंध में फंस जाते हैं और अपने जानने वाले दूसरे परिवार के बच्चों को भी बुला लेते हैं।

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हालांकि, वक्त के साथ उन्हे दलदल में फंसने के बारे में पता चलता है लेकिन तबतक बहुत देर हो जाती है। झारखंड की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और समाज कल्याण विभाग मिलकर ऐसे बच्चों को बाहर निकालने में मदद करता है। INTEGRATED RESOURCE AND REAHAB CENTRE की मदद से बच्चों की तलाश की जाती है।

उनके परिवारों तक पहुंचाया जाता है। हालांकि, मानव तस्करी के धंधे में शामिल लोगों तक पुलिस कम ही पहुंच पाती है। पुलिस छोटेमोटे आरोपियों को ही गिरफ्तार कर पाती है जबकि, सरगना पुलिस की पकड़ से बाहर रहते हैं। लिहाज़ा, झारखंड में आज भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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