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JNU देशद्रोह केसः दिल्ली पुलिस को फटकार, चार्जशीट पर पूछे ये सवाल

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई? क्या आपके पास लीगल डिपार्टमेंट नहीं है?

Dharmendra kumar
Published on: 19 Jan 2019 2:11 PM IST
JNU देशद्रोह केसः दिल्ली पुलिस को फटकार, चार्जशीट पर पूछे ये सवाल
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नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई? क्या आपके पास लीगल डिपार्टमेंट नहीं है? अदालत ने कहा कि जब तक दिल्ली सरकार इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत नहीं दे देती है, तब तक वो इस पर संज्ञान नहीं लेगी।

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देशद्रोह के मामले में पुलिस को सरकार से लेनी होती है इजाजत

बता दें कि देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार से आवश्यकता लेनी पड़ती है और यह अनुमति दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट देता है।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि जब तक 124ए में दिल्ली सरकार की अनुमति नहीं आती है, इस मामले पर कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया है।

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इन लोगों के खिलाफ है देशद्रोह का आरोप

बता दें कि 14 जनवरी को दिल्‍ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कन्हैया, खालिद और अनिर्बान के अलावा आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, और खलिद बशीर भट के नाम चार्जशीट में शामिल हैं। इनके अलावा शेहला रशीद और सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता राजा का नाम भी चार्जशीट में शामिल है।

गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में 9 फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर कन्हैया और उनके साथियों के खिलाफ दाखिल एफआईआर दर्ज हुई थी। जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस ने 3 साल बाद चार्जशीट दाखिल की है।

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जानिए क्या है 124 ए?

भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा के मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति सरकार के खिलाफ लिखता या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सजा हो सकती है।



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Dharmendra kumar

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