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चीन पर बनी रहेगी सख्त निगाहें, क्वाड की बैठक में जो बाइडन दिए संकेत
बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे भविष्य के लिए जरूरी है कि हिंदी-प्रशांत क्षेत्र स्वतंत्र और खुला बना रहे। बाइडन ने इशारों में बिना चीन का नाम लिए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नई दिल्ली: QUAD देशों के शीर्ष नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन कल यानी शुक्रवार को हुआ। इस वर्चुअल सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ संकेत दिए कि चीन पर सख्त निगाहें बनी रहेंगी।
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बाइडन ने दिए ये संकेत
बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे भविष्य के लिए जरूरी है कि हिंदी-प्रशांत क्षेत्र स्वतंत्र और खुला बना रहे। उन्होंने साफ किया कि वो क्वाड देशों के साथ मिलकर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं। बाइडन ने इशारों में बिना चीन का नाम लिए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करेगा क्वाड देशों का समूह
जो बाइडन ने यह भी संकेत दिया कि क्वाड देशों का समूह महज सुरक्षा के मुद्दे पर नहीं जुड़ा रहेगा। भविष्य में ये समूह कई वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करेगा, लेकिन वर्तमान में प्राथमिकता में कोविड वैक्सीन है। बता दें कि इस बैठक में कोरोना वैक्सीन और जलवायु परिवर्तन समेत कई कूटनीतिक विषयों पर चर्चा हुई।
वहीं बैठक के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पहले से कहीं अधिक साथ मिलकर, निकटता से काम करेंगे। इसके अलावा चारों देशों के नेताओं ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि 21वीं सदी में दुनिया का भविष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र तय करेगा। यहां तक कि जापान के पीएम योशिहिडे सुगा ने भी कई बार भारत का नाम लेते हुए उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बड़ी ताकत बताया।
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इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने भी बगैर चीन का नाम लिए कहा कि हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त तथा समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं। बता दें कि इस बैठक में सभी नेताओं का फोकस वर्तमान के बड़े मुद्दों जैसे वैक्सीन, क्लाइमेट चेंज और तकनीकी सहयोग पर रहा। क्वाड देशों का वैक्सीन इनिशियेटिव सबसे महत्वपूर्ण कदम है। चारों देशों ने अपने वित्तीय संसाधनों, उत्पादन क्षमता सहित अन्य सुविधाओं के जरिए सहयोग की बात कही है।