TRENDING TAGS :
यमन से आए फिरोज को डाक्टरों ने दी नई जिंदगी, आठ घंटे तक लगातार की सर्जरी
नोएडा : यमन के वार जोन से इलाज कराने आए फिरोज (14) को डाक्टरों ने नई जिंदगी प्रदान की है। फिरोज का एक पैर पूरी तरह पलट गया था। पैर के पूरी तरह पलट जाने के कारण युवक को दिव्यांग की तरह जीवन व्यतीत करना पड़ता था। बीमारी की वजह से रोगी को दैनिक जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। डाक्टरों ने फिरोज के पैर को न सिर्फ पूरी तरह सामान्य कर दिया बल्कि पैर के टेढ़े होने के कारण का सफलतापूर्वक इलाज किया।
यह कामयाबी जेपी हॉस्पिटल के ओथोर्पेडिक्स विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गौरव राठौर, न्यूरो सर्जरी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिनेश रत्तनानी एवं डॉ. रोहन सिन्हा तथा डॉक्टरों की टीम को मिली।
जन्म के बाद से हुई दिक्कत
बच्चे के जन्म के बाद से ही उसका एक पैर धीरे-धीरे मुड़ने लगा था। जब बच्चा 4 वर्ष का हुआ तब पैर अधिक मुड़ने लगा और 14 वर्ष की उम्र तक पैर पूरी तरह पलट गया, जबकि उसका दूसरा पैर पूरी तरह सामान्य था। बीमारी के कारण उसे अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। युवक बिना किसी सहारे न तो सही से चल पाता था और न ही अपनी सामान्य गतिविधियों को सही तरीके से पूरी कर पाता था।
रीढ़ की हड्डी की वजह से पैदा हुई बीमारी
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गौरव राठौर ने आगे बताया, इस बीमारी को न्यूरोजिनिक इक्यूनो कावोवेरस फुट लिफ्ट साइड कहते हैं। इस बीमारी को ठीक करने के लिए युवक के माता-पिता ने जेपी हॉस्पिटल से पहले यमन में दो बार कमर की सर्जरी कराई थी लेकिन बीमारी जस की तस बनी रही। उसकी रीढ़ की हड्डी एक बीमारी के कारण मुड़ गई था। हड्डी संबंधी बीमारी को ठीक करने के लिए पांच अलग-अलग आॅपरेशन करना पड़ा और पैर की हड्डी के तीन जोड़ों को काटकर सीधा किया गया।
जटिल बीमारी के तहत शरीर की नसें एक-दूसरे से बुरी तरह उलझ या चिपक जाती हैं। नसों के चिपकने के कारण कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं। मरीज के मेरूदंड में कई नसें एक दूसरे से चिपकी हुई थीं। इसके साथ ही मेरूदंड में रसौली थी। बीमारी के कारण न सिर्फ बच्चे का पैर असामान्य होकर पूरी तरह पलट गया था बल्कि वो अपनी सामान्य दिनचर्या जैसे पेशाब और शौच आदि सही से नहीं कर पाता था।
आठ घंटे के आपरेशन के बाद मिली सफलता
न्यूरो टीम के दूसरे वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रोहन सिन्हा ने मरीज के इलाज की प्रक्रिया की जानकारी दी, वास्तव में बीमारी दोनों चिकित्सकीय टीमों के लिए एक चुनौती थी, क्योंकि इसी बीमारी को ठीक करने के लिए इससे पूर्व दो बार मरीज का आॅपरेशन किया जा चुका था और सफलता नहीं मिली थी।
उन्होंने बताया हमारे सामने दो मुख्य चुनौतियां थीं। पहले तो उसके मेरूदंड में उलझी हुई नसों को सही करना ताकि पैर दोबारा टेढ़ा न हो और दूसरा टेढ़े पैर को सीधा करना। जेपी हॉस्पिटल के ओथोर्पेडिक चिकित्सक एवं हमारी टीम ने एक ही दिन और एक ही समय दो आॅपरेशन किए। जिसके तहत बच्चे के मेरूदंड में चिपकी नसों को अलग किया गया और दूसरे चरण में ओथोर्पेडिक्स चिकित्सकों द्वारा बच्चे के पैर को सीधा किया गया। पूरे प्रोसीजर में करीब 7-8 घंटे का समय लगा।
देखें तस्वीरें
Next Story