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Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल को जेपीसी की मंजूरी, विपक्ष के सुझाए बदलाव नकारे गए

Waqf Amendment Bill: जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल (JPC President Jagdambika Pal) ने बैठक के बाद बताया कि समिति ने जिन संशोधनों को स्वीकार किया है उससे प्रस्तावित कानून बेहतर और ज्यादा प्रभावी बनेगा।

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Newstrack Network
Published on: 27 Jan 2025 3:31 PM IST
Waqf Amendment Bill
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वक्फ बिल को जेपीसी की मंजूरी, विपक्ष के सुझाए बदलाव नकारे गए (Photo- Social Media)

Waqf Amendment Bill: वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) (Joint Parliamentary Committee) ने सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया है जबकि विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को नकार दिया।

जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल (JPC President Jagdambika Pal) ने बैठक के बाद बताया कि समिति ने जिन संशोधनों को स्वीकार किया है उससे प्रस्तावित कानून बेहतर और ज्यादा प्रभावी बनेगा। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत का विचार ही प्रबल हुआ। पाल ने कहा कि एनडीए सदस्यों द्वारा विधेयक के 14 खंडों में पेश किए गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सभी 44 खंडों में सैकड़ों संशोधन पेश किए और उनमें से सभी को वोट से खारिज कर दिया गया।

(Photo- Social Media)

विपक्ष ने लगाया आरोप

हालांकि, विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही की निंदा की और जगदंबिका पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को "नष्ट" करने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि हमारी बात नहीं सुनी गई। जगदंबिका पाल ने तानाशाही तरीके से काम किया है।

प्रस्तावित बदलाव

वक्फ संशोधन विधेयक में बोर्ड प्रशासन में परिवर्तन का प्रस्ताव है। इस विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, राष्ट्रीय ख्याति के चार लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है। विशेष रूप से, इन सदस्यों का इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। यह वक्फ परिषद द्वारा भूमि दावों को भी प्रतिबंधित करता है और कम से कम पांच वर्षों के लिए अपने धर्म का पालन करने वाले मुसलमानों से दान को सीमित करता है।

(Photo- Social Media)

8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किए गए प्रस्तावित विधेयक की धारा 3सी (2) में सरकार को यह तय करने का अधिकार देने की मांग की गई है कि वक्फ के रूप में दी गई संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया था, "यदि कोई सवाल उठता है कि क्या ऐसी कोई संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो उसे अधिकार क्षेत्र वाले कलेक्टर को भेजा जाएगा, जो उचित समझे जाने पर जांच करेगा और निर्धारित करेगा कि ऐसी संपत्ति सरकारी संपत्ति है या नहीं और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा।"इस प्रावधान का अनिवार्य रूप से मतलब है कि विवाद की स्थिति में कलेक्टर - न कि वक्फ ट्रिब्यूनल - यह निर्णय लेगा।



Shashi kant gautam

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