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इंसाफ की मांग : बार-बार तबादले के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट पर जज का धरना

देश में इंसाफ मांगने के लिए आम लोगों के धरने पर बैठने की खबरें तो रोज पढऩे को मिल जाती हैं मगर मध्यप्रदेश में तो हैरत में डालने वाली घटना हुई है।

tiwarishalini
Published on: 2 Aug 2017 12:04 PM IST
इंसाफ की मांग : बार-बार तबादले के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट पर जज का धरना
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जबलपुर: देश में इंसाफ मांगने के लिए आम लोगों के धरने पर बैठने की खबरें तो रोज पढऩे को मिल जाती हैं मगर मध्यप्रदेश में तो हैरत में डालने वाली घटना हुई है। सबको इंसाफ देने वाले एक जज खुद को इंसाफ देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट के बाहर धरने पर बैठ गए। मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के 61 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब कोई जज हाईकोर्ट के सामने धरने पर बैठा है। ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी और अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आरके श्रीवास जबलपुर हाईकोर्ट के गेट नंबर-3 पर धरने पर बैठे हैं। एडीजे आरके श्रीवास का 15 महीने में चार बार तबादला हुआ और इसी के खिलाफ वे धरने पर बैठे हैं।

जानकारी देने पर भी हाईकोर्ट से जवाब नहीं

पहले वे कोर्ट परिसर में ही धरना देना चाहते थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। इसके बाद वे गेट पर ही धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि सच बोलने की वजह से उन्हें बार-बार ट्रांसफर कर प्रताडि़त किया जा रहा है। श्रीवास का कहना है कि वे चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को अपने साथ हुई नाइंसाफी की जानकारी दे चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक मुझे हाईकोर्ट की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।

हर चार महीने पर मेरे तबादले के कारण परिवार के लोग काफी परेशान हो चुके हैं। जबलपुर आने पर मैंने किसी तरह क्राइस्ट चर्च स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाया था। पढ़ाई के कारण एक बच्चे को नीमच में ही छोडऩा पड़ा। श्रीवास ने कहा कि 15 माह में किसी जज का चार बार तबादला करना हाईकोर्ट की तबादला नीति के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि गलत नीति के कारण 80 फीसदी लोग पीडि़त हैं, पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। इस बाबत बोलने पर तुरंत तबादला कर दिया जाता है। मैंने इस गलत नीति के खिलाफ झुकने के बजाय संघर्ष का रास्ता चुना है।

गलत साबित हुआ तो नौकरी छोडऩे को भी तैयार

श्रीवास ने कहा कि मैंने सत्याग्रह की इस राह को पकडऩे के लिए अपने नौकरी तक को दांव पर लगा दिया है। मुझे उसकी कोई फिक्र नहीं है। मुझे अब तक नीमच में ज्वाइन कर लेना था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। संघर्ष की राह अपनाने वाले श्रीवास ने कहा कि उचित मांग को लेकर मैं जेल जाने को भी तैयार हूं। मैंने अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न करने का फैसला किया है। मैं सिर्फ नौकरी करने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं। मैं चुनौती देते हुए यह भी कहना चाहता हूं कि यदि मैं गलत साबित होता हूं तो तत्काल इस्तीफा देने को भी तैयार हूं।

मैं इंसाफ देने वाला जज हूं और मुझे भी इंसाफ मिलना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मेरे साथ हाईकोर्ट प्रशासन ने न्याय नहीं किया तो मैं अनशन पर बैठ जाऊंगा। श्रीवास के धरने पर बैठने के बाद अब बार काउंसिल के वकील भी उनके साथ खड़े होने लगे हैं। वकीलों ने कड़ी धूप में धरने पर बैठे श्रीवास के लिए छाते का भी इंतजाम किया। श्रीवास का 11 अप्रैल 2016 को धार से शहडोल, 27 अगस्त 2016 को शहडोल से सिहोरा, 7 मार्च 2017 को सिहोरा से जबलपुर हाईकोर्ट व 21 मार्च 2017 को जबलपुर से नीमच तबादला किया गया।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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