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केंद्र का प्रस्ताव जस्टिस सीकरी ने ठुकराया, CBI निदेशक वर्मा को हटाने वाले पैनल में थे शामिल

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी ने लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय पंचाट ट्रिब्यूनल (सीसैट) में नामांकन के लिए केंद्र सरकार को दी अपनी सहमति वापस ले ली है। जस्टिस सीकरी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को हटाए जाने वाली तीन सदस्यीय चयन समिति में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में शामिल थे। उन्होंने वर्मा को हटाए जाने के पक्ष में वोट दिया था।

Anoop Ojha
Published on: 14 Jan 2019 10:18 AM IST
केंद्र का प्रस्ताव जस्टिस सीकरी ने ठुकराया, CBI निदेशक वर्मा को हटाने वाले पैनल में थे शामिल
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी ने लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय पंचाट ट्रिब्यूनल (सीसैट) में नामांकन के लिए केंद्र सरकार को दी अपनी सहमति वापस ले ली है। जस्टिस सीकरी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को हटाए जाने वाली तीन सदस्यीय चयन समिति में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में शामिल थे। उन्होंने वर्मा को हटाए जाने के पक्ष में वोट दिया था।



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जस्टिस सीकरी ने रविवार शाम को इस बाबत केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी और सीसैट में नामांकन को लेकर दी गई अपनी सहमति वापस ले ली। इससे पहले कांग्रेस ने रविवार को उनके नामांकन को लेकर सवाल खड़े किए थे।

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सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जस्टिस सीकरी के सीसैट में नामांकन का निर्णय सुप्रीम कोर्ट से 6 मार्च को होने वाली उनकी सेवानिवृत्ति को देखते हुए लिया था। इसको लेकर केंद्र सरकार ने पिछले महीने जस्टिस सीकरी से संपर्क किया था। इसके बाद उन्होंने इस पर अपनी सहमति जताई थी।

हालांकि, सीसैट में जस्टिस सीकरी के नामांकन की सहमति पर विवाद खड़ा हो गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने इस पर सवाल खड़े किए थे। पटेल ने रविवार को ट्वीट किया, ‘सरकार को जस्टिस सीकरी के नामांकन को लेकर स्पष्टीकरण देना होगा।’

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जस्टिस सीकरी ने कहा कि मुझे बताया गया कि इस काम में प्रशासनिक विवादों का निपटारा करना होता है और उसके लिए कोई नियमित वेतन नहीं है, लेकिन हाल में जिस तरह के विवाद को हवा दी गई और जो घटनाएं हुईं उन्होंने मुझे काफ़ी दुखी कर दिया है. मैं इस ट्राइब्यूनल में जाने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं। कृपया इस प्रस्ताव को आगे ना बढ़ाएं।

न्यायमूर्ति सिकरी उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वाले तीन सदस्यों के पैनल के सदस्य थे। इसी पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया था।

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कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल क्या है

कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल का गठन कॉमनवेल्थ देशों के मेमोरैंडम का पालन सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। इस मेमोरैंडम को 2005 में नए सिरे से तैयार किया गया था। इस ट्राइब्यूनल में सदस्यों का मनोनयन 5 साल के लिए किया जाता है और उनकी सदस्यता को एक बार ही रीन्यू किया जा सकता है। अध्यक्ष समेत ट्राइब्यूनल में 8 सदस्य होते हैं।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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