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जस्टिस कर्णन ने SC के जजों से मांगा 14 करोड़ का मुआवजा, कहा- मुझे बेइज्जत किया गया
कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और संवैधानिक पीठ के 6 जजों को लेटर लिखकर 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही जस्टिस कर्णन की सभी न्यायिक शक्तियां छीन ली थीं। बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। कर्णन को अवमानना से जुड़े एक मामले में कोर्ट के सामने पेश होना था, लेकिन वो नहीं हुए।
नई दिल्ली: कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और संवैधानिक पीठ के 6 जजों को लेटर लिखकर 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही जस्टिस कर्णन की सभी न्यायिक शक्तियां छीन ली थीं। बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। कर्णन को अवमानना से जुड़े एक मामले में कोर्ट के सामने पेश होना था, लेकिन वो नहीं हुए।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कर्णन पर 10,000 रुपए का पर्सनल बेल बॉन्ड भी भरने को कहा था। इसके साथ ही कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 31 मार्च को कोर्ट में पेश होने का भी निर्देश दिया था। कर्णन ने अपनी ओर से भेजे गए दो पेज के लेटर में कहा है कि इस कार्यवाही से मेरी नॉर्मल लाइफ और माइंड डिस्टर्ब हुआ है। मुझे मानसिक रूप से परेशान किया गया और मेरी बेइज्जती की गई। जिससे मेरे सम्मान को ठेस पहुंची है।
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न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट के कार्यरत जज पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्यवाही कर रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट अपने ही पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू पर कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही चला चुका है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में सात जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है।
दरअसल जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाइकोर्ट के पूर्व और मौजूदा 20 जजों को करप्शन में संलिप्त बताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को फरवरी में लेटर लिखा था और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के इस लेटर पर संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को कर्णन के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि उनके इस लेटर को कोर्ट की अवमानना क्यों न माना जाए।
जस्टिस कर्णन ने पहले ही कोलेजियम द्वारा उनके मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट में किए गए ट्रांसफर को चुनौती दे रखी है। जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने पिछले साल मार्च में उनका स्थानांतरण कर दिया था। उन्होंने कहा है कि दलित होने के कारण उनके साथ भेदभाव किया जाता है।