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बढ़ सकती हैं वाड्रा की मुश्किलें, जस्टिस ढींगरा ने कहा- जमीन आवंटन में हुई गड़बड़ी
चंडीगढ़: जस्टिस एसएन ढींगरा ने रॉबर्ट वाड्रा जमीन घोटाले पर हरियाणा सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। बताया जा रहा है कि इसमें रॉबर्ट वाड्रा और तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर सवाल उठाए गए हैं। इन पर सख्त टिप्पणी भी की है। दोनों के खिलाफ आपराधिक साजिश का केस संभव बताया जा रहा है।
वाड्रा पर आरोप है कि उन्होंने कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं फिर उनका लेंड यूज चेंज कराकर मलामाल हो गए। इस रिपोर्ट के आने के बाद सियासी हलकों में भूचाल मचना तय है।
बताया जा रहा है कि जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कई सरकारी अधिकारियों पर नियम-कानून ताक पर रख बड़े और प्रभावशाली लोगों की मदद का जिम्मेदार ठहराया है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हो सकते हैं। आने वाले दिनों में रॉबर्ट वाड्रा के साथ हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी मुकदमा दायर किया जा सकता है।
पत्रकार वार्ता में जस्टिस ढींगरा ने कहा :-
पत्रकारों से बातचीत में जस्टिस ढींगरा ने कहा, दो हिस्सों में रिपोर्ट सौंपी है। 182 पेजों की इस रिपोर्ट के एक हिस्से में जांच और दूसरे में सबूत हैं। रिपोर्ट के कंटेंट के बारे में अभी कुछ नहीं बताया जा सकता। ये सरकार की संपत्ति है। सरकार फैसला करेगी कि उसे रिपोर्ट सार्वजनिक करनी है या नहीं या फिर कब करनी है। जमीन आवंटन में गड़बड़ी की गई है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि गड़बड़ी कैसे की गई है और किन लोगों को फायदा पहुंचाया गया है। जो लोग इसमें शामिल थे उनका नाम रिपोर्ट में है। उनकी भूमिका के बारे में भी बताया गया है।
लीक की गई रिपोर्ट, बदनाम करने की कोशिश
जस्टिस ढींगरा के प्रेस कांफ्रेंस के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद पार्टी की तरफ से विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी। लेकिन ये रिपोर्ट सरकार को सौंपने से पहले पत्रकारों को लीक कर दी गई। ये रिपोर्ट व्यक्ति विशेष को निशाना बनाने और बदनाम करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। बदले की भावना के तहत ये आयोग बनाया गया था।'
कब हुआ था आयोग का गठन ?
हरियाणा की खट्टर सरकार ने 14 मई 2015 को हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) और आसपास की विवादास्पद जमीन सौदों की जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन किया था। इस आयोग को जून 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन अंतिम समय पर आय़ोग के सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज आ गए और उसके आधार पर आयोग को जांच के लिए आठ सप्ताह का और समय मिल गया।