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New CJI of India: देश को आज मिला नया CJI, 50वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

New CJI of India: मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 को समाप्त होगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 9 Nov 2022 5:13 AM GMT (Updated on: 9 Nov 2022 5:13 AM GMT)
New CJI Justice DY Chandrachud
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New CJI Justice DY Chandrachud (PHOTO:social media )

New CJI of India: सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लिया। जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाए गए थे। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल दो वर्ष का होगा। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 को समाप्त होगा। उनके कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला सुनाना है।

जस्टिस चंद्रचूड़ सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लिया। जस्टिस ललित ने गत 11 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 17 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड़ को देश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया था।

2013 में बने थे हाईकोर्ट के जज

जस्टिस चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बॉम्बे हाईकोर्ट के जज थे। इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था। उसी वर्ष वे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए।

उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

कई महत्वपूर्ण पीठों के हिस्सा रहे हैं जस्टिस चंद्रचूड़

13 मई 2016 को जस्टिस चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ कई बार संविधान पीठ और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं। अयोध्या विवाद को लेकर फैसला देने वाली महत्वपूर्ण पीठ में भी जस्टिस चंद्रचूड़ शामिल थे।

इसके अलावा सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मुद्दे और आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला देने वाली पीठ के वे हिस्सा रहे हैं।

उदार दृष्टिकोण वाले जज

जस्टिस चंद्रचूड़ को उदार दृष्टिकोण वाला जज माना जाता है। उनके फैसलों में भी उनका उदार दृष्टिकोण झलकता रहा है। महिलाओं और हाशिए से बाहर किए गए लोगों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर उनका उदार दृष्टिकोण झलकता रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड से जुड़े हुए मामले के फैसले के दौरान अपनी असहमति जताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि एक व्यक्ति की कई पहचानों को सिर्फ 12 अंकों की संख्या तक सीमित नहीं किया जा सकता।

पिता भी रह चुके हैं मुख्य न्यायाधीश

जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। वे 1978 में देश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे और 1985 में रिटायर हुए थे। मुख्य न्यायाधीश के रूप में 7 साल तक सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में डीवाई चंद्रचूड़ अपने पिता के दो फैसलों को पलट भी चुके हैं। देश के इतिहास में पिता-पुत्र की यह पहली जोड़ी है जो मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुंची है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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