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Justice Nirmal Yadav Acquitted: 17 साल बाद जस्टिस निर्मल यादव को बड़ी राहत, 15 लाख रुपये की रिश्वत मामले में CBI कोर्ट ने किया बरी

Justice Nirmal Yadav Acquitted: मामला 2008 में सामने आया जब 13 अगस्त को एक व्यक्ति ने 15 लाख रुपये की नकदी से भरा एक पैकेट जज निर्मलजीत कौर के आवास पर पहुंचाया। शुरुआत में यह आरोप लगाया गया कि यह पैसा जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजा गया था, जो उस समय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की जज थीं।

Newstrack          -         Network
Published on: 29 March 2025 7:42 PM IST (Updated on: 29 March 2025 7:43 PM IST)
Justice Nirmal Yadav Acquitted: 17 साल बाद जस्टिस निर्मल यादव को बड़ी राहत, 15 लाख रुपये की रिश्वत मामले में CBI कोर्ट ने किया बरी
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Former Justice Nirmal Yadav (Photo: Social Media)

Justice Nirmal Yadav Acquitted: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस निर्मल यादव को 17 साल पुराने एक भ्रष्टाचार मामले में शनिवार को बरी कर दिया गया। विशेष सीबीआई अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जस्टिस अलका मलिक ने यह आदेश सुनाया, जिसमें जस्टिस निर्मल यादव के अलावा तीन अन्य आरोपियों रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी किया गया। यह मामला 2008 में हुई एक विवादास्पद घटना से जुड़ा था, जब जस्टिस यादव के नाम पर रिश्वत के रूप में 15 लाख रुपये की नकदी उनके घर भेजी गई थी।

इस मामले के संदर्भ में जस्टिस यादव का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विशाल ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह पूरी तरह से झूठा आरोप था कि रिश्वत के रूप में पैसा भेजा गया था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था और आज कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।" इस मामले में एक अन्य आरोपी संजीव बंसल की मृत्यु हो चुकी है, जो कि तब हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता थे।

2008 में रिश्वत लेने का लगा था आरोप

यह मामला 2008 में सामने आया जब 13 अगस्त को एक व्यक्ति ने 15 लाख रुपये की नकदी से भरा एक पैकेट जज निर्मलजीत कौर के आवास पर पहुंचाया। शुरुआत में यह आरोप लगाया गया कि यह पैसा जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजा गया था, जो उस समय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की जज थीं। पैकेट को उस व्यक्ति ने जज निर्मलजीत कौर के घर पहुंचाया, लेकिन पैकेट खोलने पर उसमें नोट मिले, जिसके बाद पुलिस को सूचित किया गया और मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने जल्द ही मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया, और जांच के दौरान यह सामने आया कि यह पैसा हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल द्वारा अपने चपरासी प्रकाश राम के माध्यम से भेजा गया था। चपरासी ने पैकेट में दस्तावेज होने की बात कही थी, लेकिन जब उसे खोला गया तो उसमें नकदी मिली। इस घटना के बाद जस्टिस यादव को तत्कालीन उत्तराखंड हाईकोर्ट से स्थानांतरित कर दिया गया।

2011 में सीबीआई ने दायर किया था आरोपपत्र

इस मामले में सीबीआई ने 4 मार्च 2011 को जस्टिस यादव के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जबकि वह उस समय उत्तराखंड हाईकोर्ट की जज थीं। सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया था। इसके साथ ही, अन्य आरोपियों के खिलाफ भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे। आरोपियों में संजीव बंसल, रविंदर सिंह, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह शामिल थे।

सीबीआई ने दावा किया था कि जस्टिस यादव ने अपनी पदस्थापना के दौरान भ्रष्टाचार किया था, लेकिन 2013 में जस्टिस यादव ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उन्हें न्यायपालिका के कुछ साथियों द्वारा साजिश के तहत फंसाया गया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस मामले में उनके खिलाफ आरोप अनावश्यक रूप से लगाए गए थे और उनका किसी भी प्रकार का कोई गलत कार्य नहीं था।

बरी किए गए आरोपी

शनिवार को आई अदालत के फैसले में जस्टिस अलका मलिक ने जस्टिस निर्मल यादव और अन्य आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने यह माना कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे, जिससे उनका दोष सिद्ध किया जा सके। इसके बाद, जस्टिस यादव और अन्य आरोपियों को न्यायालय से राहत मिली।


Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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