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भारत की ये वज्र टी गन, चारों ओर घूम कर उडाएगी दुश्मनों के परखच्चे
इस तोप का वजन 50 टन है और यह 47 किलोग्राम के गोले 43 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्यों पर दाग सकती है। यह स्वचालित तोप शून्य त्रिज्या पर भी घूम सकती है। रक्षा मंत्रालय ने केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय सेना के लिए एल एंड टी कंपनी को 2017 में के9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलीबर तोपों की आपूर्ति के वास्ते 4,500 करोड़ रुपये का करार दिया था जिसके तहत इस श्रेणी की 100 तोपों की आपूर्ति की जानी है।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात में हजीरा स्थित लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) के बख्तरबंद प्रणाली परिसर का दौरा किया। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने 51वीं के9 वज्र टी गन को रवाना किया। लार्सन एंड टुब्रो ने रक्षा मंत्री को के-9 वज्र-टी तोप की मारक क्षमता के विभिन्न प्रदर्शन दिखाए। सिंह इस तोप में बैठे और इसे हजीरा परिसर के आसपास चलाया गया।
इस तोप का वजन 50 टन है और यह 47 किलोग्राम के गोले 43 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्यों पर दाग सकती है। यह स्वचालित तोप शून्य त्रिज्या पर भी घूम सकती है। रक्षा मंत्रालय ने केंद्र की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय सेना के लिए एल एंड टी कंपनी को 2017 में के9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलीबर तोपों की आपूर्ति के वास्ते 4,500 करोड़ रुपये का करार दिया था जिसके तहत इस श्रेणी की 100 तोपों की आपूर्ति की जानी है।
42 महीने में सेना को मिलेंगी सौ तोप
मंत्रालय द्वारा किसी निजी कंपनी को दिया गया यह सबसे बड़ा सौदा है जिसके तहत 42 महीने में 100 तोप उपलब्ध कराई जानी हैं। तोप पर रक्षा मंत्री ने तिलक लगाया और कुमकुम से ‘स्वास्तिक’ का निशान बनाया। पूजा के दौरान उन्होंने तोप पर फूल भी चढ़ाए और नारियल भी फोड़ा।
बख्तरबंद प्रणाली परिसर की यात्रा पर संतोष व्यक्त करते हुए राजनाथ सिंह ने के9 वज्र-टी गन को रक्षा में मेक इन इंडिया का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, 'मुझे बताया गया है कि के9 वज्र का 75 प्रतिशत से अधिक का निर्माण भारत में हुआ है।
18 हजार लोगों को मिला रोजगार
बख्तरबंद प्रणाली परिसर के जरिए 5000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 12500 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है, यह गर्व का विषय है।' रक्षा मंत्री ने निर्धारित समय से पहले के9 वज्र के प्राप्त 100 आदेशों में से 51 सौंप देने के लिए एलएंडटी को बधाई दी।
एलएंडटी डिफेंस वर्तमान में के9 वज्र-टी ’ट्रैक्ड, सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर गन्स प्रोग्राम को अमल में ला रहा है। इसका ठेका वैश्विक प्रतिस्पर्धा निविदा के जरिए रक्षा मंत्रालय द्वारा कंपनी को दिया गया है।
हथियार निर्माण के लिए ये मंशा
इस अवसर पर एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने रक्षा निर्माण में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने भारत को हथियार निर्माण का केन्द्र और वास्तविक रक्षा निर्यातक बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। हालांकि, राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन में निजी उद्योग की बढ़ती भागीदारी को स्वीकार किया, उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को एक वैश्विक रक्षा निर्यात केन्द्र बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
रक्षा उद्योग के लिए 2025 तक ये है टारगेट
रक्षा मंत्री ने कहा, 'हमारी सरकार नये विचारों का स्वागत करती है और रक्षा क्षेत्र में ऊर्जा, उद्यमिता की भावना तथा निजी उद्योग के उद्यम का इस्तेमाल करने के लिए दृढ़ संकल्प है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी प्रकार की अड़चनों को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिलकर कार्य करेगी।'
राजनाथ सिंह ने मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत सरकार द्वारा शुरू किये गए विभिन्न व्यापक सुधारों की जानकारी दी, ताकि 2025 तक 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा उद्योग के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और 2 से 3 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सके।
ये इको सिस्टम पब्लिक प्राइवेट सेक्टर को जोड़ेगा
उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा इको-सिस्टम बनाना चाहते हैं, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर कार्य करने का मंच प्रदान करे और उनकी ताकत तथा अनुभव के जरिए राष्ट्र निर्माण में योगदान लिया जा सके।
रक्षा मंत्री ने कुछ सुधारों का जिक्र किया, जिनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों की स्थापना; औद्योगिक लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा में बढ़ोतरी, रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम; रक्षा समायोजन नीति को सरल बनाना; रक्षा निवेश प्रकोष्ठ की स्थापना; निजी क्षेत्र को सरकार के स्वामित्व वाली जांच और परीक्षण सुविधा प्रदान करना तथा स्टार्ट अप के लिए योजना और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए लघु और मध्यम उद्यम शामिल हैं।
रक्षा उत्पादन में रणनीतिक साझेदारी माडल
उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन नीति में रणनीतिक साझेदारी मॉडल शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत निजी क्षेत्र लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, पनडुब्बियों और बख्तरबंद वाहनों का निर्माण कर सकेंगे और विश्व में असाधारण शक्ति के रूप में उभरेंगे। श्री राजनाथ सिंह ने एसपी मॉडल के अंतर्गत एलएंडटी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनकी सराहना की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संयंत्र नये भारत की नई सोच का मजबूत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि रक्षा में आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण के लक्ष्य की कल्पना मेक इन इंडिया के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की, जो अब आकार लेने लगी है। इस अवसर पर एलएंडटी ग्रुप के अध्यक्ष ए.एम. नाइक और एलएंडटी तथा रक्षा मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे।