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जंग में सबसे आगे खड़ा रहता था ये आर्मी ऑफिसर, दोस्त को बचाते हुए ऐसे हुआ था शहीद

Anoop Ojha
Published on: 7 July 2018 4:07 PM IST
जंग में सबसे आगे खड़ा रहता था ये आर्मी ऑफिसर, दोस्त को बचाते हुए ऐसे हुआ था शहीद
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लखनऊ: भारतीय सेना के जवान कैप्टन विक्रम बत्रा आज ही के दिन जंग में अपने एक साथी को बचाते हुए देश के लिए शहीद हो गये थेउन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त किया थाउसके बाद उन्हें भारत के वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया थाnewstrack.com उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आपको बताने जा रहा है उनके बहादुरी से जुड़े कुछ किस्से, जिसे देश आज भी याद रखता है।

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ऐसे बीता था बचपन

पालमपुर में जी.एल. बत्रा और कमलकांता बत्रा के घर 9 सितंबर 1974 को दो जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। घर में दो बेटियां पहले से थी। घरवालों ने दोनों बेटों को बचपन में लव-कुश नाम दिया थालव यानी विक्रम और कुश यानी विशालशुरुआती पढ़ाई विक्रम की घर पर ही हुई थीउनकी मां ही उनकी टीचर थी। वे उन्हें पढ़ाया करती थी। वह पढ़ाई में काफी अच्छे थे। उनका बचपन काफी अच्छे से बीता था।

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जंग में सबसे आगे खड़ा रहता था ये आर्मी ऑफिसर, दोस्त को बचाते हुए ऐसे हुआ था शहीद

17 हजार फिट की उंचाई पर ऐसे लड़ी थी जंग

कैप्टन विक्रम बत्रा अपने टीम के लीडर थे। वे जंग के समय हमेशा सबसे आगे खड़ा रहते थेउनकी लीडरशिप में 19 जून, 1999 को इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वांइट 5140 जगह छीन लिया था ये बड़ा इंपॉर्टेंट और स्ट्रेटेजिक प्वांइट था,क्योंकि ये एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे इसे जीतते ही विकम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था

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ऐसे बचाई थी दोस्त की जान

कैप्टन विक्रम बत्रा की डेथ 7 जुलाई 1999 को अपने एक जख्मी ऑफिसर साथी को बचाते हुए हुई थी उनके साथी नवीन,जो बंकर में उनके साथ थे, अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटानवीन बुरी तरह घायल हो गए उस दौरान विक्रम बत्रा को अपने डेथ का पहले ही आभास हो गया थापर विक्रम बत्रा डरे नहीं। उन्होंने तुरंत अपने साथी को वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान तो बच गईपर उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए खो दी

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ऐसे बन गये थे कारगिल के हीरो

कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं सुनाए जाते, पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैंपाकिस्तानी आर्मी भी उन्हें शेरशाह कहा करती थी विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी दो साल के अंदर ही वो कैप्टन बन गए उसी वक्त कारगिल वॉर शुरू हो गया7 जुलाई, 1999को 4875 प्वांइट पर उन्होंने अपनी जान गंवा दी, पर जब तक जिंदा रहे, तब तक अपने साथी सैनिकों की जान बचाते रहे



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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