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Interim Budget 2024: कौन हैं 'साउथ इंडिया' के लिए अलग देश की मांग करने वाले कांग्रेस सांसद, डिप्टी सीएम भाई को देनी पड़ रही सफाई
Interim Budget 2024: कर्नाटक से कांग्रेस पार्टी के एकमात्र लोकसभा सांसद डीके सुरेश के बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। दक्षिण भारत के लिए अलग देश की मांग कर उन्होंने अपनी पार्टी को ही मुश्किल में डाल दिया है।
Interim Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट संसद में पेश किया। चुनावी वर्ष होने के कारण ये अंतरिम बजट था। आमतौर पर जैसी परंपरा चली आती रही है, उसी के मुताबिक इस पर प्रतिक्रयाएं आईं। सत्ता पक्ष ने जहां इसे सराहा, वहीं विपक्ष ने इसकी आलोचना की। यहां तक तो ठीक था लेकिन कांग्रेस के एक दिग्गज सांसद ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ ऐसा बोल दिया, जिसके बाद बीजेपी हमलावर है और कांग्रेस को सफाई देते मुश्किल हो रहा है।
कर्नाटक से कांग्रेस पार्टी के एकमात्र लोकसभा सांसद डीके सुरेश के बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। दक्षिण भारत के लिए अलग देश की मांग कर उन्होंने अपनी पार्टी को ही मुश्किल में डाल दिया है। सुरेश कोई मामूली एमपी नहीं हैं, वह कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार के भाई हैं, जिन्हें कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता है। सुरेश का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 2 पर निकली हुई है।
क्या कहा डीके सुरेश ने ?
गुरुवार को केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने मोदी सरकार पर हमला बोलते-बोलते हुए कुछ ऐसा कह डाला, जिस पर हंगामा खड़ा हो गया। उन्होंने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि दक्षिण भारत के साथ अन्याय किया जा रहा है, जो पैसा दक्षिण भारत तक पहुंचनी चाहिए थी, उसे डायवर्ट कर उत्तर भारत में बांटा जा रहा है। डीके सुरेश ने आगे कहा कि हिंदी-पट्टी ने दक्षिण भारत पर जो हालात थोप दिए हैं, उसके कारण अलग देश की मांग करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
बयान पर हमलावर हुई भाजपा
कांग्रेस सांसद के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार हमला बोला है। कर्नाटक से ही आने वाले बीजेपी के युवा लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि एक तरफ उनके नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ देश को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं, दूसरी तरफ हमारे पास एक सांसद हैं, जो देश तोड़ने पर आमदा हैं। कांग्रेस का विचार फूट डालो और राज करो का है। कन्नड़वासी ऐसा कभी नहीं होने देंगें, हम लोकसभा चुनाव में उन्हें करार जवाब देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि भारत कांग्रेस मुक्त हो।
भाई के बचाव में सफाई देने उतरे डिप्टी सीएम
डीके सुरेश कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर नेता और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के छोटे भाई हैं। लिहाजा सुरेश के बयान ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं। उन्होंने सफाई देने सामने आना पड़ा। डीके शिवकुमार ने कहा कि डीके सुरेश, जो उनके भाई हैं, ने केवल लोगों की राय व्यक्त की है। मैं अखंड भारत के पक्ष में हूं। देश एक है, लोगों के साथ अन्याय हुआ है, इसलिए उन्होंने ऐसा कहा है। हम सब एक हैं, कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम एक हैं।
कौन हैं डीके सुरेश ?
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार की गिनती राज्य के सबसे धनवान नेताओं में होती है। उनके छोटे भाई डीके सुरेश भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। बेंगलुरू ग्रामीण लोकसभा सीट से सांसद सुरेश का जन्म एक अप्रैल 1966 को रामगनर जिले के कनकपुरा में हुआ था, यहीं की विधानसभा सीट से उनके बड़े भाई विधायक भी हैं।
उनका सियासी सफर साल 2013 में शुरू हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के इस्तीफे के बाद खाली हुई बेंगलुरू ग्रामीण लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने डीके सुरेश को अपना प्रत्याशी बनाया। वह अपना पहला चुनाव जीतने में सफल रहे। 2014 और 2019 के प्रचंड मोदी लहर में जब भी वह अपनी सीट निकालकर हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। पेशे से खुद को किसान और कारोबारी बताने वाले सुरेश ने अपनी संपत्ति 338 करोड़ रूपये घोषित की है।
तीन बार के सांसद डीके सुरेश का अपने क्षेत्र में किस हद तक पकड़ है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस – जेडीएस गठबंधन के बावजूद पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वहीं, डीके सुरेश लगातार तीसरी बार अपनी सीट वो भी दो लाख वोटों के अंतर से जीतने में सफर रहे।
बता दें कि साउथ इंडिया को अलग देश बनाने की मांग करने वाले बयान पर विवाद बढ़ने के बाद डीके सुरेश ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मुझे भारतीय और कन्नड़ होने पर गर्व है। मेरे बयान का मकसद केवल फंड बांटने में दक्षिण भारत खासकर कर्नाटक के साथ हो रही नाइंसाफी की ओर ध्यान दिलाना था।