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Hijab Controversy : PFI के कहने पर मुस्लिम लड़कियां पहनना चाहती हैं हिजाब, SC में बोली कर्नाटक सरकार
Hijab Controversy: सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीएफआई मुस्लिम लड़कियों को मोहरा बनाकर राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ना चाहता है।
Hijab Controversy: कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में पिछले 6 दिनों से सुनवाई जारी है। हिजाब समर्थकों द्वारा अपनी दलीलें रखने के बाद अब कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख रही है। कर्नाटक सरकार का कहना है कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम छात्राएं ऐसा कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के इशारे पर कर रही हैं।
कर्नाटक सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीएफआई मुस्लिम लड़कियों को मोहरा बनाकर राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ना चाहता है। दरअसल, इस साल फरवरी में जब ये विवाद शुरू हुआ था, तब भी इसमें पीएफआई की छात्र विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) का नाम आया था। साउथ इंडिया में पीएफआई के मजबूत दखल के कारण सीएफआई का यहां के कॉलेजों में अच्छा प्रभाव माना जाता है।
मेहता ने कोर्ट के सामने रखी दलील
जस्टिस सुधांशु धूलिया औऱ हेमंत गुप्ता की बेंच के सामने अपना पक्ष रखते हुए सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 29 मार्च 2013 को उडुपी के सरकारी प्री – यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज ने प्रस्ताव पास करके ड्रेस तय की। तब हिजाब को यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं बनाया गया था और उस समय इसे लेकर किसी प्रकार का विरोध – प्रदर्शन या असहमति देखने को नहीं मिली थी। मेहता ने कहा कि अदालत में हिजाब पहनने की मांग करने वाली मुस्लिम छात्राओं ने जब साल 2021 में यहां एडमिशन लिया था तो उन्होंने यूनिफॉर्म के नियमों का पालन किया।
लड़कियां PFI के नफरती कैंपेन से प्रभावित
तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि साल 2022 में पीएफआई ने सोशल मीडिया के जरिए एक बड़ा कैंपेन चलाया, जिसका मकसद था लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करके उपद्रव फैलाना। लड़कियों का अचानक हिजाब पहनने की जिद करना, कोई स्वभाविक बात नहीं है बल्कि इसके पीछे एक सुनियोजित षड्यंत्र है। ये बच्चे वही कर रहे थे, जो पीएफआई उनसे करवा रही थी।
बता दें कि 15 मार्च को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उडुपी के सरकारी प्री – यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें क्लास के अंदर हिजाब पहनने देने की मांग की गई थी। अदालत ने अपने पुराने आदेश को कायम रखते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के विरूद्ध कुछ लड़कियां सुप्रीम कोर्ट चली गईं, जहां फिलहाल सुनवाई चल रही है।