Maharashtra-Karnataka Border Dispute: क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद, जानिए पूरी कहानी

Maharashtra-Karnataka Border Dispute: जानें कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को सुलझाना आसान नहीं है। आखिर क्या है पूरा विवाद जानें यहां।

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Written By aman
Published on: 28 Dec 2022 10:44 AM GMT
Maharashtra-Karnataka Border Dispute
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Maharashtra-Karnataka Border Dispute: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सख्त हिदायत के बाद भी कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच वर्षों से जारी सीमा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच मंगलवार को ही महाराष्ट्र विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश कर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने कहा कि, 'कर्नाटक से एक-एक इंच जमीन वापस लेंगे।' दूसरी तरफ, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka CM Basavaraj Bommai) ने भी जवाबी हमला किया है। उन्होंने कहा, एक इंच भी जमीन नहीं देंगे।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच करीब एक महीने से सीमा विवाद जारी है। ये गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा। समाधान की कोशिश इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में है। कर्नाटक में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चला रही है तो महाराष्ट्र में शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के साथ मिलकर सरकार चला रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी जल्द सीमा विवाद सुलझाने को कहा है।

क्या है बेलगावी विवाद?

महाराष्ट्र (Maharashtra) और कर्नाटक (Karnataka) का सीमा विवाद देश के सबसे पुराने अंतरराज्यीय विवादों में से एक है। दिसंबर 2022 के पहले हफ्ते में बेलगावी जिला प्रशासन ने महाराष्ट्र के मंत्रियों और नेताओं के शहर में प्रवेश पर रोक का आदेश दिया था। उपायुक्त तथा जिला मजिस्ट्रेट नितेश पाटिल ने CRPC की धारा- 144 के तहत उनके प्रवेश पर रोक लगायी थी। धीरे-धीरे इस विवाद ने उग्र रूप ले लिया। पुणे से बेंगलुरु (Pune to Bangalore Bus) जा रही महाराष्ट्र की गाड़ियों पर हमला और पथराव हुआ। जवाब में कर्नाटक के वाहनों में भी तोड़फोड़ हुई। इस बीच, महाराष्ट्र के दो मंत्रियों ने अपने बेलगावी दौरे को रद्द कर दिया। हालांकि, हिंसक झड़प के बाद महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने फोन पर बात की। दोनों ने अपनी-अपनी नाराजगी जाहिर की। विवाद सुलझाने की भी बातें हुईं, मगर अब तक कोई निदान नहीं निकल पाया है।


दोनों राज्यों में क्या है विवाद?

इस विवाद की शुरुआत वर्ष 1956 में हुई थी। तब राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद से पास होने के बाद अस्तित्व में आया था। उसी समय से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है। दरअसल, दोनों राज्य सीमा के कुछ गांव और कस्बों को भाषायी आधार पर अपने-अपने राज्य में शामिल करने की मांग करते रहे हैं। दोनों राज्यों में बेलगावी (Belagavi Row), खानापुर (Khanapur), निप्पानी (Nippani), नंद गाड (Nand Gad) और कारवार (Karwar) की सीमा को लेकर विवाद है। इस विवाद में अहम चर्चा बेलगावी को लेकर रहा। महाराष्ट्र से सटा ये इलाका कर्नाटक की सीमा क्षेत्र में आता है। दोनों राज्यों के बीच 'बेलगावी विवाद' कई बार राजनीतिक रंग ले चुका है। दूसरी तरफ, महाराष्ट्र के मंत्री बेलगावी पर अपना दावा ठोकते रहे हैं। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सोलापुर (Solapur) और अक्कलकोट (Akkalkot) के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करती रही है। वो इसे कर्नाटक का हिस्सा बनाना चाहते हैं।

बेलगावी क्यों है चर्चा में?

अब तक तो आप कर्नाटक और महाराष्ट्र के पांच जिलों से जुड़े विवाद को समझ चुके हैं। इनमें बेलगावी जिले को लेकर ही पूरा विवाद है। बेलगावी के 800 से अधिक गांवों पर ही पूरा विवाद है। महाराष्ट्र का कहना है कि बेलगावी में मराठी भाषी लोग रहते हैं। उनका रहना, बोलना सब मराठी कल्चर से मेल खाता है। चूंकि, कर्नाटक का बंटवारा भाषाई आधार पर हुआ है, ऐसे में इस इलाके को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग की जा रही है।


इन दो बयान ने सुलगायी आग

- कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने 22 नवंबर 2022 को कहा था, 'हम महाराष्ट्र के सांगली जिले के 40 गांवों को कर्नाटक में मिलाने की तैयारी कर रहे हैं। हमारी ओर से प्रस्ताव तैयार है। जल्द ही इसे अमल में लाएंगे। इसके बाद सीमा विवाद दाहक उठा।

- इसके बाद, 27 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, 'कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांव हैं। इन गांवों का हर इंच महाराष्ट्र में शामिल किया जाएगा। सुरक्षा की गारंटी केंद्र सरकार उठाए। इस बयान ने सीमा विवाद पर रही सही कसर निकाल दी।

आखिर क्यों नहीं सुलझ रहा विवाद?

ये मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद समाधान नहीं हो पा रहा। ये विवाद आज का नहीं बल्कि 65 साल पुराना है। उस वक्त सिर्फ भाषाई आधार पर राज्यों का बंटवारा होता था। वर्ष 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा था कि, महज भाषाई आधार पर सीमा का बंटवारा नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी की वजह से कर्नाटक की दलीलें मजबूत होने लगी। जिसका नतीजा हाल के सीमा विवाद के रूप में देखने को मिल रहा। वहीं, महाराष्ट्र का कहना है कि लोगों की इच्छा भी राज्य से हटने की है। ऐसे में शीर्ष अदालत के सामने जनमत (public opinion) जानने की चुनौती होगी। ओपिनियन का आधार सहित कई तकनीकी पहलू भी हैं। उन्हें भी सुलझाना होगा। इसलिए अदालत के लिए ये मसला चुनौतीपूर्ण है।


केंद्र का रुख भी स्पष्ट नहीं

केंद्र कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद सुलझाना चाहता है, मगर जानकार मानते हैं कि उसका रुख स्पष्ट नहीं है। आम तौर पर राज्यों के बंटवारे के समय ही केंद्र समस्याओं का हल कर देता है। लेकिन, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के बीच ऐसा नहीं हो पाया। अभी भी केंद्र ने दोनों राज्यों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा है।

विवाद सुलझाने की राह में राजनीतिक रोड़ा

कर्नाटक और महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीति भी इस पूरे विवाद पर हावी रहा है। कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस गांवों को अपने राज्य में मिलाने को लेकर एकमत है। जबकि, महाराष्ट्र में भी स्थिति कमोबेश वैसी ही है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा कि, 'एक इंच जमीन कर्नाटक को नहीं देंगे।' जबकि कर्नाटक बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, कि हम भी एक इंच जमीन महाराष्ट्र को नहीं देंगे। राज्यों की अस्मिता मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल स्थानीय स्तर पर पॉलिटिक्स कर रही है। जिस कारण ये विवाद सुलझता नहीं दिख रहा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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