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करतारपुर कॉरिडोर खुलना दूर की कौड़ी

raghvendra
Published on: 28 Sept 2018 3:12 PM IST
करतारपुर कॉरिडोर खुलना दूर की कौड़ी
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़: प्रदेश कांग्रेस सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू जब से पाक पीएम इमरान खान की ताजपोशी में शामिल होकर लौटे हैं, तब से पंजाब में करतारपुर कॉरिडोर खोलने की मांग व कयास तेज हो गए हैं। वैसे यह भी सच्चाई है कि यह मांग कोई नई नहीं बल्कि सिख श्रद्धालु इस कॉरिडोर को खोलने की मांग दशकों से करते आ रहे हैं। वैसे इन दिनों इसके खुलने की चर्चाएं तेज जरूर हुई हैं। यह इस ज्यादा चर्चा में इसलिए है कि पाक गए कांग्रेसी नेता सिद्धू ने पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष कमर बाजवा को गले लगाने के बाद कहा था कि उन्होंने बाजवा को इसलिए गले लगाया क्योंकि उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर खोलने का आश्वासन दिया था। अपनी बात को यकीन में बदलने के लिए अगस्त में नवजोत सिंह सिद्धू बिना किसी को बताए मीडिया कर्मियों को साथ लेकर करतारपुर बार्डर पर पहुंच गए और वहां दूरबीन के माध्यम से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन कर सुर्खियों में आए।

इसके बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद खान ने यह कह कर करतारपुर कॉरिडोर को दोबारा चर्चा में ला दिया कि पाकिस्तान सरकार जल्द ही भारत से करतारपुर गुरुद्वारा साहिब आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कॉरिडोर खोलने जा रही है। इस्लामाबाद में एक इंटरव्यू के दौरान चौधरी ने कहा कि सिखों के लिए एक प्रणाली विकसित की जा रही है जिसके तहत सिख संगत बिना वीजा टिकट खरीद कर करतारपुर आ-जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत सरकार को भी कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि करतारपुर के लिए पाकिस्तान सरकार जल्द ही कॉरिडोर तैयार कर देगी। इमरान सरकार इस दिशा में भारत सरकार से बातचीत करना चाहती है। फवाद ने कहा कि सिख समुदाय लंबे समय से यह मांग करता आ रहा है। अब पाकिस्तान अगले साल श्रीगुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर कॉरिडोर खोलने के भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को लिखेगा।

पाकिस्तानी सूचना मंत्री का यह बयान जारी होते ही नवजोत सिद्धू ने बिना देर किए कहा कि वह फवाद चौधरी व इमरान खान के आभारी हैं। मैं नकारात्मक सोच रखने वालों के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। उन्होंने कहा कि धर्म को वोट की राजनीति से दूर रखें। हर सिख अरदास में बिछड़े हुए गुरुधामों के दर्शन की बात करता है। मुझे लगता है कि यह अरदास जल्द पूरी होगी।

इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह लोंगोवाल ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस पर अमल करें। रही बात रावी दरिया पर पुल व सडक़ बनाने की तो वह एसजीपीसी के सहयोग से पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सिखों की बहुत पुरानी मांग है क्योंकि श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम महत्वपूर्ण 15 साल इसी जगह पर खेती किसानी करते हुए बिताया था और वहीं पर उन्होंने अपना नश्वर शरीर छोड़ा था।

पाक पर झूठ बोलने का आरोप

इस संबंध में विदेश राज्य मंत्री पूर्व जनरल वीके सिंह ने कहा कि गुरदासपुर जिले में स्थित डेराबाबानाक-करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने के मामले में पाकिस्तान कोरा झूठ बोल रहा है। वह भारतीयों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा काफी समय से चर्चा में है, लेकिन पाकिस्तान ने इस मामले कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पाकिस्तान सूचना मंत्री फवाद खान ने कहा था कि वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहता है और इसके लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

बडे रोड़ हैं राह में

यदि भौगोलिक दृष्टिï पर नजर डालें तो यह इतना आसान नहीं है। गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब की दूरी भारतीय सीमा से करीब 4.55 किमी सरहद के उस पार है। भारतीय सीमा सुरक्षा बल सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियां इसे राजनीतिक स्टंट मान रही हैं। सीमा से पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे की बीच में बड़े-बड़े सरकंडों का घना जंगल है। इसके बाद रावी नदी और फिर नाला देग र्बई है। तब कहीं जाकर यात्रा करने लायक बराबर जमीन है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि कॉरिडोर खुलने के बाद सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा क्योंकि यह पूरा इलाका दरियाई व अति संवेदनशील है। इन सबके अलावा 102 मीटर तक भारतीय सीमा में सडक़ बननी है जो डेराबाबा नानक स्थित गुरुद्वारा जीरो लाइन तक है। इसके अलावा 2.58 किमी पाक सीमा में पड़ते रावी दरिया तक सडक़ बनानी है जबकि 629 मीटर चौड़ी रावी नदी पर पुल का निर्माण करना होगा। इन सबके अलावा 82 मीटर चौड़ी देग बेई जो रावी नदी से 823 मीटर की दूरी पर है उस पर भी पुल बनाना होगा। हालांकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल बार-बार कह रहे हैं कि दोनों देशों की सरकारें करतारपुर के लिए सीमा खोले तो एसएसपीसी पुल व सडक़ का निर्माण करा देगी, लेकिन यह संभव होता नहीं दिख रहा।

सिखों के लिए खास है गुरुद्वारा करतारपुर साहिब

माना जाता है कि 1522 में श्री गुरुनानक देव जी ने इसी स्थान पर एक किसान की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हुए करीब 17 सात पांच महीने 9 दिन गुजारे और 1539 में अपनी देह त्याग दी। इसके बाद श्री गुरु अंगददेव जी उनके उत्तराधिकारी बने। गुरु नानक देव जी का पूरा परिवार यही आकर बस गया था। कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी के माता-पिता का देहांत भी इसी स्थान पर हुआ था।

पटियाला नरेश महाराजा भूपिंदर सिंह ने यहा भव्य गुरुद्वारे का निर्माण कराया। भारत विभाजन से पहले यह स्थान गुरदासपुर जिले में पड़ता था और डेरा बाबा नाक से करतारपुर को जोडऩे के लिए रावी दरिया पर पुल हुआ करता था। 1971 की जंग में भारतीय सेना से बचने के लिए पाकिस्तान ने यह पुल तोड़ दिया था। 1947 में भारत विभाजन के बाद यह स्थान पाकिस्तान के हिस्से में आया और मौजूदा समय में यह पवित्र स्थान पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। यहां गुरुनानक देव जी समाधि है। 1995 में पाकिस्तान सरकार ने भी इस गुरुद्वारे की मरम्मत करवाई थी। भारतीय क्षेत्र के सिख श्रद्धालु इस पवित्र स्थल का दर्शन सीमा पर लगी दूरबीन के माध्यम से करते हैं। फिलहाल करतारपुर कॉरिडोर खोलने को लेकर पंजाब की सियासत को गरमाई हुई है।

हरसिमरत कौर ने की सिद्धू की खिंचाई

इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और केंद्र सरकार में फूड प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सिद्धू की जमकर खिंचाई की। यही नहीं बादल सरकार में राजस्व मंत्री रहे विक्रम सिंह मजीठिया ने सिद्धू को पागल तक कह दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धू को ताली बजाने और ठहाके लगाने के अलावा कुछ नहीं आता। वहीं इसके जवाब में पलटवार करते हुए गुरदासपुर के सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पाकिस्तान जाकर गोलगप्पे खाने वाले सुखबीर बादल करतारपुर साहिब के बारे में क्या जानेंगे। फिलहाल इस मुद्दे पर सूबे की सियासत गरम है और आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर जारी है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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