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भारत-पाकिस्तान के बीच मुक्त क्षेत्र है करतारपुर कॉरिडोर, जानें क्यों
करतारपुर कॉरिडोर की नींव आज उपराष्ट्रपति ने रखी। बता दें, यह कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान के बीच एक प्रस्तावित सीमा-गलियारा है, जो धार्मिक स्थल डेरा बाबा नानक साहिब को धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब से जोड़ेगा।
नई दिल्ली: करतारपुर कॉरिडोर की नींव आज उपराष्ट्रपति ने रखी। बता दें, यह कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान के बीच एक प्रस्तावित सीमा-गलियारा है, जो धार्मिक स्थल डेरा बाबा नानक साहिब को धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब से जोड़ेगा। यह भारत और पाकिस्तान के पंजाब प्रान्तों में बनेगा, जोकि एक देश को दूसरे से जोड़ने का काम भी करेगा।
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इस प्रस्तावित गलियारे का मुख्य लक्ष्य धार्मिक भक्तों को नरोवल जिले, पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाने के लिए सुविधाजनक रास्ता मुहैया करवाना है। लाहौर से तो यह 120 किलोमीटर दूर है लेकिन भारतीय सीमा से ये महज तीन किलोमीटर दूर है।
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ऐतिहासिक करतारपुर गुरुद्वारा जिसे दरबार साहिब करतारपुर भी कहा जाता है, रवि नदी के तट पर स्थित है और इसे कभी बनाया गया पहला गुरुद्वारा माना जाता है। बता दें, 22 नवंबर 2018 को पाकिस्तानी सरकार ने अपने पक्ष से करतारपुर कॉरिडोर बनाने के लिए स्वीकृति दे दी है। 26 नवंबर को भारत में इसकी आधार शिला रखी जा रही है, जबकि पाकिस्तान में ये कार्यक्रम 28 नवंबर को होगा।
करतारपुर कॉरिडोर: वीज़ा और पासपोर्ट मुफ्त पहुंच के लिए प्रस्ताव
जैसा कि पहले भी बताया गया कि करतरपुर गुरुद्वारा भारत की सीमा से केवल 3 किलोमीटर दूर है। ऐसे में साल 2000 में पाकिस्तान पंजाबी तीर्थयात्रियों को भारत के मंदिर जाने देने के लिए वीजा मुक्त की अनुमति देने पर सहमत हो गया।
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यही नहीं, पाकिस्तान ने इस यात्रा को पासपोर्ट मुक्त भी बना दिया। मगर यह सिर्फ करतारपुर कॉरिडोर के लिए ही है। यानि जो यात्री सिर्फ कॉरिडोर से यात्रा करेंगे, उनको वीज़ा और पासपोर्ट की जरूरत नहीं।