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करतारपुर कॉरिडोर: आशंकाओं के बादल में उम्मीदों की किरण

raghvendra
Published on: 14 Dec 2018 2:43 PM IST
करतारपुर कॉरिडोर: आशंकाओं के बादल में उम्मीदों की किरण
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़: पिछले दिनों पाकिस्तान स्थित कारतारपुर कॉरिडोर खोलने और दोनों देशों की तरफ से इसकी आधारशिला रखे जाने के साथ ही कई तरह की आशा और आशंकाओं के बीज अंकुरित होने लगे हैं। सिख धर्म का काबा कहा जाना वाला यह स्थान कभी पंजाब के गुरदासपुर जिले का हिस्सा होता था, लेकिन 1947 में देश विभाजन के बाद हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच खिंची सीमा रेखा के चलते यह महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल आज पाकिस्तान के नारोवाल जिले में भारतीय सीमा के डेराबाबा नानक से महज 4 किमी की दूरी पर है। लेकिन बंटवारे के बाद इस स्थल की दूरी अमृतसर के अटारी बार्डर के रास्ते लाहौर होकर 120 किमी हो गई है।

करतारपुर साहिब में श्री गुरुनानक देव जी ने अपनी जीवन के अंतिम 18 वर्ष खेती किसानी और सत्संग करके बिताया था। यहीं पर उन्होंने नाम जपो, किरत करो और वंड छको अर्थात नाम जपें, मेहनत करें और बांटकर खाएं का उपदेश दिया। हर सिख को जीवन में कम से कम एक बार इस स्थल के दर्शन की हसरत रहती है। खैर सरहद के इस पार और उस पार दोनों तरफ करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी जा चुकी है।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

गुरदासपुर जिले के लोगों को कहना है कि पंजाब में पर्यटन की अपार संभावना हैं। मौजूदा समय में जो भी पर्यटक आते हैं वे अमृतसर जाना पसंद करते हैं या फिर डल्हौजी और जम्मू-कश्मीर जाते समय पठानकोट में रुकना पसंद करते है, लेकिन अब करतारपुर कॉरिडोर बनने से इस क्षेत्र में भी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहेगा। यही नहीं खास तौर से डेरा बाबा नानक में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी और इस पिछड़े क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। विनोद कुमार और गुरबचन सिंह का कहना है कि भारत और पाकिस्तान सरकार के सहयोग से पंजाब के लोगों की 70 साल पुरानी अरदास पूरी हुई है। इसमे किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।

अच्छे दिन की शुरुआत

केंद्रीय यूनिवर्सिटी बटिंडा के जोधबीर सिंह, प्रोफेसर राजबीर सिंह और दलजीत सिंह का कहना है कि श्री गुरु नानक देव जी के फलसफे को हिंदू, सिख और मुसलमान तीनों ही मानते थे। हमें उम्मीद है कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर भारत और पाकिस्तान के हुक्मरानों द्वारा करतारपुर कॉरिडोर खोलने का लिया गया फैसला अच्छे दिनों की शुरुआत है। यही नहीं कारोबार को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों की सरकारों को फिरोजपुर बार्डर भी खोलना चाहिए। फिरोजपुर बार्डर खुलने से इस क्षेत्र का रुका हुआ विकास कार्य तेज गति से भागेगा क्योंकि देश विभाजन से पहले फिरोजपुर व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था।

यहीं से लोग रेल और सडक़ मार्ग से अफगान और ईरान तक का कारोबार किया करते थे। सरकारों को चाहिए कि वह करतारपुर कॉरिडोर की तरह ही रेल और सडक़ मार्ग दोनों बहाल करे।

बाबा के बहाने जागे पंजाब के भाग

पंजाब कैबिनेट डेरा बाबा नानक कस्बे और उसके आसपास के इलाकों के विकास के लिए पंजाब सरकार ने डेरा बाबा नानक विकास प्राइज का गठन करने का फैसला किया है। कॉरिडोर मुकम्मल होने के बाद पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा साहिब में हजारों श्रद्धालुओं के जाने की संभावना को देखते हुए आने वाले वर्षों में बुनियादी सुविधाओं, परिवहन, होटल, दुकानें, रेस्तरां और संबंधित गतिविधियों के लिहाज से डेरा बाबा नानक क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य किए जाने हैं। यही नहीं वर्ष भर चलने वाले श्री गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर राज्य सरकार ने सिख धर्म के गुरुओं से संबंधित गांवों के विकास और पौधरोपण का शुभारंभ गुरुनानक देव जी की 449वीं जयंती से ही कर दिया गया है। इसके अलावा श्री गुरुनानक देव जी से संबंधित कपूरथला जिले के सुलतानपुर लोधी व गुरदासपुर जिले के बटाला मेंकेंद्र सरकार और राज्य सरकारें कई सारे विकास कार्य करवाएंगी। यहीं नहीं आने वाले दिनों में पंजाब में पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

सेना ने जताई चिंता

कपूरथला स्थित सैन्य स्कूल में आयोजित ओल्ड ब्वॉयज मीट में शामिल होने पहुंचे सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो रहे लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने का फैसला देश की लीडरशिप का अच्छा कदम है।

लोगों की भावनाओं को देख कॉरिडोर खोलने का फैसला अच्छा है। लेकिन पाकिस्तान इसकी आड में घुसपैठ करता है तो सेना उसे बख्शेगी नहीं। उन्होंने कहा कि सीमा पर रोज गोलाबारी होना और करतारपुर कॉरिडोर खोलना दोनों अलग-अलग चीजें हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि पाकिस्तान पंजाब में फिर से आतंकवाद को जिंदा करने की कोशिश कर रहा है। उसे समझना चाहिए कि उसके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।

आतंकियों पर लगे लगाम

पंजाब की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता लक्ष्मीकांता चावला कहती हैं कि वे तो चाहती हैं कि लाहौर जाने के लिए भी करतारपुर की तरह ही दोनों देशों की सरकारें व्यवस्था करें क्योंकि एक पंजाब सरहद के उस पार है। हम चाहते हैं कि बिना किसी रोकटोक के लोग लाहौर के गुरुद्वारा पंजा सहिब सहित मंदिरों, महाराजा रणजीत सिंह स्मारकों आदि का दर्शन कर सकें। निश्चित तौर पर करतारपुर कॉरिडोर खुलने से दोनों देशों का कारोबार बढ़ेगा। दोनों तरफ धार्मिक चिन्हों व वस्तुओं की दुकाने खुलेंगी। वे कहती हैं कि पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि वह हाफिज सईद, गोपाल सिंह चावला जैसे अन्य आतंकियों और आतंकी संगठनों पर लगाम लगाए।

डेरा बाबा नानक की भौगोलिक स्थिति

डेरा बाबा नानक गुरदासपुर से जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी पश्चिम में स्थित है। यहां तक बस से पहुंचा जा सकता है। अमृतसर से भी इसकी दूरी 53 किमी है और यहां से रेल या बस दोनों से पहुंचा जा सकता है। डेरा बाबा नानक जाने के लिए अमृतसर जंक्शन से दिन में चार पैसेंजर रेलगाडिय़ां चलती हैं। डेरा बाबा नानक भी सीमावर्ती कस्बा है जो पंजाब के जिला गुरदासपुर में पड़ता है। मान्यता है कि यहां पर श्री गुरुनानक देव जी ने 12 वर्ष बिताए थे। कहा जाता है कि मक्का जाने पर उनके दिए गए वस्त्र यहां के गुरुद्वारा चोहला साहिब में संरक्षित हैं। माघी के अवसर पर यहां मेला भी लगता है, जिसमें प्रदेशभर की संगत शामिल होती है। पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब की दूरी भारतीय सीमा से महज चार किमी है।

अब पास जाकर करेंगे अरदास

पंजाब के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान जाने के लिए वीजा प्रक्रिया जटिल होने के कारण गुरु घर के दर्शन की आस आस ही रह जाती थी। बहुत करते थे तो डेरा बाबा नानक स्थित बीएसएफ की हाई रेंज दूरबीन से गुरु घर के दर्शन कर मन को तसल्ली दे लेते थे क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए लाहौर होकर जाना पड़ता और यह सबके बस की बात नहीं थी। लेकिन दोनों देशों की सरकारों और प्रधानमंत्री की बदौलत यह आस पूरी होती दिख रही है कि दूरबीन की जगह अब गुरुघर के साक्षात दर्शन कर सकेंगे। उनका कहना है कि सुनने में आया है कि भारत सरकार 24 घंटे की वीजा की व्यवस्था यहीं पर करने जा रही है। अब तो हमें लाहौर की बयाज सीधे डेरा बाबा नानक से ही मात्र चार किमी का सफर करना होगा।

डेरा बाबा नानक में जगी विकास की उम्मीद

पाकिस्तान की सरहद से लगने वाले पंजाब के सात जिलों के यदि ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो वे अन्य जिलों के गांवों से पिछड़े हुए हैं। इसका कारण यह नहीं है कि सरकार इन गांवों में विकास कार्य नहीं करती। इसका मुख्य कारण इन गांवों का सरहद से सटा होना और हर समय सुरक्षा एजेंट और सैन्य गतिविधियों का होना है। कभी-कभी तो हालात यह बन जाते हैं कि गांव के गांव खाली कराने पड़ते है। ऐसे में करतारपुर कॉरिडोर खास तौर से डेराबाबा नानक और इस क्षेत्र गांववासियों के लिए रोजगार की सौगात लेकर आया है। गुरदासपुर जिले की नगर कौंसिल डेराबाबा नानक की कुल आबादी 6400 के आसपास है। 11 वार्डों वाली इस नगर कौंसिल का गठन अंग्रेजों ने 1885 किया था। मान्यता है कि डेराबाबा नानक को श्रीगुरु नानक देव जी के पौत्र धर्मचंद ने पखोके टाहली साहिब की जमीन पर बसाया था। डेराबाबा नानक के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के बाद से ही इस इलाके में जमीन की कीमत 30 से बढक़र 80 लाख रुपये प्रति एकड़ तक हो गई है। इस इलाके में पर्यटन के साथ ही रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी। इससे यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार भी होगा।

कारोबार बढऩे के साथ आतंक का खतरा भी

अमृतसर में कमीशन एजेंट का काम करने वाले सतीश कोछड़, कपड़ा कारोबारी पुनीत कुमार, दर्शन सिंह आदि का कहना है कि कॉरिडोर बनने से निश्चित तौर पर कारोबार थोड़ा बढ़ेगा। इसमें कोई शक नहीं है कि साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि संगत की आड़ में पाकिस्तान आतंकी भेजने की कोशिश करेगा। उनका कहना है कि सुरक्षा एजेंट की चिंता अपनी जगह पर ठीक है क्योंकि पिछले दिनों जिस तरह से पंजाब के विभिन्न इंजििनयरिंग कॉलेजों से आतंकियों के साथ संबंधों के आरोप में कश्मीरी युवक पकड़े गए या फिर हाल ही में अमृतसर में सत्संग के दौरान हुए ग्रेनेड हमले और इसके बाद पकड़े गए आतंकियों के तार पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकियों से जुड़े पाए गए। इससे संकेत मिलता है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा और संगत की आड़ में दहशतगर्दों को हिंदुस्तान जरूर भेजगा। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए करतारपुर कॉरिडोर संजीवनी का काम करेगा।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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