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जलते कासगंज के बीच एटा में अफसरशाही और पॉलिटिशियन की रंगीन रात
लखनऊ : मायावती के शासनकाल में एटा से अलग हो कर महज 14 लाख की आबादी वाला जिला कासगंज 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस से लगातार तीन दिन तक हिंसा की आग में झुलसता रहा। हालात बेकाबू होने पर एडीजी जोन आगरा अजय आनन्द, आईजी रेंज अलीगढ डॉ संजीव गुप्ता के अलावा लखनऊ से आईजी रैंक के अफसर डीके ठाकुर को मौक़ा पर भेजा गया। तीन दिनों तक चली हिंसक घटनाओं के बाद आज कासगंज में शांति है।
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एक तरफ कासगंज हिंसा की आग में जल रहा था, तो दूसरी तरफ अधिकारी व माननीय इस आग को शांत करने के बदले नाच-गाने का लुत्फ़ उठाने में जुटे रहे। कासगंज की घटना के बाद देश चिंता में है, लेकिन योगी सरकार के अधिकारी और बीजेपी विधायक बेफिक्र होकर कैलाश खेर नाइट का लुत्फ उठा रहे हैं। इस बीच कासगंज हिंसा की गाज एसपी कासगंज सुनील कुमार सिंह पर गिरी है।
तिरंगा यात्रा से शुरू हुआ बवाल, एसपी पर गिरी गाज
मायावती के शासनकाल में 15 अप्रैल 2008 को एटा से अलग हो कर नया जिला कांशी राम नगर बना, बाद में इस का नाम बदल कर कासगंज कर दिया गया। अब करीब 10 साल बाद कासगंज सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है। 26 जनवरी यानि गणतन्त्र दिवस के मौके पर तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत के बाद 72 घण्टे तक रुक रुक कर हिंसक झड़प होती रही। हिंसा की शुरुआत में पुलिस प्रशासन ने लापरवाही बरती की जिस की वजह से बलवाई जगह जगह आगजनी करते रहे। जांच में लापरवाही सामने आने के बाद एसपी कासगंज सुनील कुमार सिंह को हटा दिया गया है।उन की जगह एसपी पीटीएस उन्नाव पीयूष श्रीवास्तव को कासगंज का नया एसपी बनाया गया है।
कासगंज हिंसा मुज़फ़्फ़रनगर की हो रही है पुनरावृत्ति
मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद सैफई में समाजवाद का अलग ही चेहरा दिखा था। एक तरफ दंगा पीड़ित दाने दाने के मोहताज थे तो दूसरी तरफ सैफई महोत्सव में वालीवुड का तड़का लग रहा था। आज भी हालात कुछ उसी तरह के हैं।
कासगंज में हिंसा के बाद कई घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। दवाई के बिना बीमारों का हाल बेहाल है। मासूम बच्चों को पेट भर दूध ही मयस्सर नहीं हो रहा है। लेकिन कासगंज से महज़ 25 किलोमीटर दूर एटा में कैलाश खेर के शो में कासगंज के माननीय झूमते नज़र आ रहे हैं। कासगंज सदर से बीजेपी विधायक देवेंद्र लोधी, कासगंज के अमापुर से भाजपा विधायक देवेंद्र प्रताप, जिलाधिकारी एटा अमित किशोर, एसएसपी एटा अखिलेश चौरसिया भी जश्न में डूबे नजर आ रहे है। एटा का पडोसी जिला जल था लेकिन एटा आला अफसर कैलाश खेर नाइट के मजे ले रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन जिलाधिकारी एटा अमित किशोर ने कराया था।
मायावती राज में बना था नया जिला कासगंज
15 अप्रैल 2008 को तहसील पटियाली और सहावर को एटा से अलग कार नया जिला कासगंज बनाया गया। ज़िले की तीनो विधान सभा सीटों अमानपुर, कासगंज और पटियाली सीट वर्तमान में बीजेपी के पास है। जबकि लोकसभा सीट एटा से साँसद राजवीर सिंह हैं। राजवीर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण के पुत्र हैं। 224 गावं फैले कासगंज में सोराँव, कासगंज और सहावर तहसील है। जबकि 7 नगर पंचायतें है। यहाँ का सब से बड़ा गावं मानपुर नगौरा है जिस की आबादी 11000 है।