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Nayab Saini Biography: कौन हैं नायब सिंह सैनी जो बने हरियाणा के सीएम

Nayab Singh Saini Ka Jivan Parichay: मनोहर लाल खट्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी नये मुख्यमंत्री बन गये हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 13 March 2024 10:19 AM GMT
Nayab Singh Saini Ka Jivan Parichay in Hindi
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 Nayab Singh Saini Ka Jivan Parichay in Hindi

Nayab Saini Biography Video: एक तरफ़ एनडीए अपने साथियों को जोड़ कर के चार सौ पार का आँकड़ा पार करने की कोशिश में जुटी हुई है। तो दूसरी तरफ़’ अपने लिए जो तीन सौ सत्तर का टार्गेट निर्धारित किया है। उस टार्गेट को भी हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। शायद इन्हीं दोनों कांप्लिक्ट के चलते हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के बीच गठबंधन ख़त्म हो गया। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा की दस सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थी। दुष्यंत चौटाला दो लोकसभा सीटें अपने लिए चाहते थे। भारतीय जनता पार्टी ने अकेले लड़ने का फ़ैसला किया। उसने अपने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदल दिया।इसी के साथ नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया। ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बना कर के भारतीय जनता पार्टी ने जहां पंजाब में अपनी पैठ मज़बूत की । वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी अपने लिए वोटों का जुगाड़ करन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

वैसे, यह पहली बार नहीं है कि भाजपा-जेजेपी को गठबंधन तनाव में आया हो। इससे पहले जेजेपी अपने जाट वोट बैंक पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के असर को लेकर चिंतित रही। पिछले कुछ दिनों में उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला के नेतृत्व वाले विभागों में तैनात प्रमुख अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। इस तबादले को भी दुष्यंत चौटाला के पर कतरने के रूप में भी देखा गया।

अगर लोकसभा चुनाव की फ़ेहरिस्त पलटी जाये 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। इस समय हरियाणा विधा में नब्बे सदस्य हैं। इनमें भाजपा के 41 विधायक हैं। जबकि जोपीपी यानी दुष्यंत चौटाला के केवल दस। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास केवल 30 विधायक हैं। इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी के पास भी एक-एक सीट है।

दुष्यंत चौटाला द्वारा दिल्ली में बुलाई गयी बैठक में उनकी ही पार्टी के पाँच विधायक शामिल नहीं हुए। इसलिए यह कहा जा रहा है कि ये पाँचों विधायक अलग हो कर के भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने का काम करेंगे। ये विधायक है-जोगी राम सिहाग, राम कुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास और देविंदर बबली। ये सभी विधायक एक अलग समूह बनाकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

मनोहर लाल खट्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी नये मुख्यमंत्री बन गये हैं। नायब सिंह सैनी की नियुक्ति विधानसभा चुनावों से पहले अपने मुख्यमंत्री बदलने की भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के एक हिस्से के रूप में ही देखी जानी चाहिए । यह प्रवृत्ति गुजरात में भी अपनाई गई थी। जहां विजय रूपानी को भूपेन्द्र पटेल से बदल दिया गया था। उत्तराखंड में, जहां तीरथ सिंह रावत को पुष्कर धामी से बदल दिया गया था।

नायब सिंह सैनी का जन्म अम्बाला के गांव मीज़ापुर माजरा में 25 जनवरी, 1970 को हुआ। वह अंबाला जिले के नारायणगढ़ विधानसभा के गांव मिर्जापुर के रहने वाले है। उनका एक रिश्ता उत्तर प्रदेश से भी जुड़ता है। उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा पूरी की है। उनका रिश्ता बिहार से भी जुड़ता है। बिहार के बी.आर.अम्बेडकर विश्वविद्यालय से भी उन्होंने तालीम पाई है।

सैनी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह RSS से भी जुड़े रहे हैं। साल 1996 में नायब सिंह सैनी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी संगठन में प्रवेश के साथ की। साल 2000 तक उन्होंने कामकाज किया। संगठन में वह अलग-अलग पदों पर रहे। 2002 में वह अंबाला में युवा विंग के जिला महासचिव बनाये गये। साल 2005 में वह अंबाला में जिला अध्यक्ष बनाए गए। पार्टी के लिए उनके समर्पण भाव को देखते हुए साल 2009 में वह हरियाणा में बीजेपी किसान मोर्चा के महासचिव बनाए गए। 2012 में प्रमोशन के बाद सैनी को अंबाला का जिला अध्यक्ष बना दिया गया।

कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद सैनी हाल फिलहाल हरियाणा में भाजपा के ओबीसी चेहरा हैं। उन्हें पिछले साल ही अक्टूबर में हरियाणा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

हरियाणा में जन्मे और पले-बढ़े, नायब सिंह सैनी ने भाजपा के लिए वर्षों की समर्पित सेवा के माध्यम से अपने लिए यह जगह बनाई है।

उनकी राजनीतिक यात्रा 1996 में शुरू हुई। उन्होंने हरियाणा भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के भीतर अपनी यात्रा जारी रखी । वह इन वर्षों में, वह जिला महासचिव और जिला अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।अपने संगठनात्मक कौशल का प्रदर्शन करते हुए, जमीनी स्तर से जुड़ कर के पार्टी में धीरे धीरे आगे बढ़ते रहे।

चुनावी राजनीति में प्रवेश ने सैनी के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ा। 2014 में, सैनी पहली बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने। सैनी नारायणपुर विधानसभा से 2014 में जीते तो ज़रूर लेकिन

2016 में मंत्री बने। मंत्री बनते ही उनके क़द का अहसास हरियाणा की राजनीति में लोगों को होने लगा।

सैनी की राजनीतिक यात्रा का शिखर 2019 के लोकसभा चुनाव में तब आया जब उन्होंने कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को तीन लाख से अधिक अंतर से हरा कर शानदार जीत हासिल की। इस जीत ने न केवल उनकी चुनावी क्षमता की पुष्टि की, बल्कि उन्हें हरियाणा भाजपा के भीतर एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। राज्य में विकसित हो रहे गठबंधन और जातिगत गतिशीलता के लिहाज़ से सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना भाजपा की रणनीतिक रणनीति तीसएख बड़ी उपलब्धि थी।

2019 में दिए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार नायब सिंह सैनी के पास कुल संपत्ति 33 लाख है, जबकि उनकी पत्नी के पास 11 लाख रुपये की चल संपत्ति है। इस दंपत्ति के पास कुल 2 लाख 85 हजार रुपये कैश थे। एफिडेविट में उन्होंने बताया कि परिवार में उनकी मां कुलबंत कौर, बेटी वंशिका और बेटा अनिकेत सैनी भी हैं। उनकी मां के अकाउंट में पांच साल पहले 71 हजार रुपये थे, जबकि बेटी वंशिका के पास दो लाख 93 हजार और बेटे के पास तीन लाख 29 हजार रुपये थे। उनकी पत्नी के सेविंग अकाउंट में चार लाख 70 हजार रुपये थे। जबकि नायब सिंह के बैंक अकाउंट में पौने दो लाख रुपये थे। सैनी को मुख्यमंत्री बना कर के भारतीय जनता पार्टी ने जहां जिस समाज की आबादी है, उसी को मुख्यमंत्री न बनाने के अपने पुराने फ़ार्मूले पर अमल किया है। दूसरी और गठबंधन की सियासत का भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में अंत कर दिया है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी किसी बैसाखी पर नहीं रहेगी। भारतीय जनता पार्टी को दस सीटें जीतने के लिए यह जुगत करना पड़ा है। देखना है जनादेश कैसा आता है। हालाँकि पिछली बार भी भारतीय जनता पार्टी ने दूसरे दलों का सूपड़ा साफ़ किया था। अब नये मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कैसा काम करते हैं, यह हरियाणा की जनता देखेगी। उनके काम काज पर ही लोकसभा चुनाव के नतीजे निर्भर करेंगे।

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