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Kerala Budget Session: केरल का बजट सत्र: राज्यपाल ने बनाया सबसे छोटी स्पीच का रिकार्ड

Kerala Budget Session: सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली केरल सरकार के साथ अपना गतिरोध जारी रखते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज विधानसभा के बजट सत्र में अपने नीतिगत संबोधन को दो मिनट से भी कम समय में निपटा दिया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने 61 पेज के भाषण का पहला पैराग्राफ पढ़ा और सीधे अंतिम पैराग्राफ पर पहुंच गए।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 25 Jan 2024 4:15 PM IST
Kerala budget session: Governor made the record of shortest speech
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केरल का बजट सत्र: राज्यपाल ने बनाया सबसे छोटी स्पीच का रिकार्ड: Photo- Social Media

Kerala Budget Session: सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली केरल सरकार के साथ अपना गतिरोध जारी रखते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज विधानसभा के बजट सत्र में अपने नीतिगत संबोधन को दो मिनट से भी कम समय में निपटा दिया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने 61 पेज के भाषण का पहला पैराग्राफ पढ़ा और सीधे अंतिम पैराग्राफ पर पहुंच गए। केरल विधानसभा में यह किसी भी राज्यपाल के सबसे छोटे नीतिगत संबोधनों में से एक है।

अपने 1.81 मिनट लंबे संबोधन में राज्यपाल ने कहा : आइए याद रखें कि हमारी सबसे बड़ी विरासत इमारतों या स्मारकों में नहीं है, बल्कि भारत के संविधान की अमूल्य विरासत, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और सामाजिक न्याय जैसे शाश्वत मूल्यों के प्रति हमारे द्वारा दिखाए गए सम्मान और आदर में निहित है। सहकारी संघवाद का सार ही है जिसने हमारे देश को इतने वर्षों तक एकजुट और मजबूत बनाए रखा है। यह सुनिश्चित करना हमारा परम कर्तव्य है कि यह सार नष्ट न हो। इस विविध और खूबसूरत राष्ट्र के हिस्से के रूप में हम अपने रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों पर काबू पाते हुए समावेशी विकास और जिम्मेदार लचीलेपन का ताना-बाना बुनेंगे।

विपक्ष ने कहा सदन का अपमान हुआ है

पिन्नारी विजयन की केरल सरकार ने तो इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया लेकिन विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने कहा कि राज्यपाल ने विधानसभा का अपमान किया है। वहीँ सीपीआई (एम) नेता और कानून मंत्री पी राजीव ने तर्क दिया कि खान ने अपनी "संवैधानिक जिम्मेदारी" का निर्वहन किया है। राजीव ने कहा - उन्होंने नीतिगत संबोधन पढ़ा, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। पहले और आखिरी पैराग्राफ को पढ़ने में कुछ भी गलत नहीं है। साथ ही, राजीव ने कहा: हमें नहीं पता कि उन्होंने केवल उन दो पैराग्राफों को पढ़ने का विकल्प क्यों चुना। राज्य सरकार का दृष्टिकोण अंतिम पैराग्राफ में बहुत अच्छी तरह से बताया गया है, जिसे राज्यपाल ने पढ़ा। अंतिम पैराग्राफ में संघवाद के प्रति राज्य का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है।

खान पर सदन की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीसन ने कहा, नीतिगत संबोधन को पढ़ना उनका संवैधानिक दायित्व है। संबोधन में केंद्र सरकार की नीतियों की कोई आलोचना नहीं की गयी। हमने सदन में जो देखा वह राज्यपाल और सरकार द्वारा आयोजित राजनीतिक नाटक का दयनीय समापन है। नीतिगत संबोधन राज्य की जमीनी हकीकत को प्रतिबिंबित नहीं करता है, जहां लोग दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

क्या था भाषण में?

बताया जाता है कि नीतिगत संबोधन में राज्य के प्रति केंद्र के राजकोषीय दृष्टिकोण की केरल सरकार की आलोचना भी शामिल थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य को वित्तीय गतिरोध का समाधान सुप्रीम कोर्ट में तलाशना होगा। भाषण में लिखा था कि - मेरी सरकार केंद्र सरकार के समक्ष सुविचारित राय रखती है कि करों के वितरण में केरल को उसकी उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। मेरी सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पात्र अनुदानों और सहायता के हिस्से को रोके जाने को लेकर चिंतित है। उधार सीमा में पूर्वव्यापी कटौती के कारण मेरी सरकार अतिरिक्त तरलता तनाव में है, जो 15वें वित्त आयोग की स्वीकृत सिफारिशों के अनुरूप नहीं है। केंद्र सरकार के इस रुख पर शीघ्र पुनर्विचार की आवश्यकता है।

संबोधन में क्रमिक वित्त आयोगों के पुरस्कारों में लगातार गिरावट की बात की गई है, जिसमें 10वें वित्त आयोग की अवधि (1995-2000) के दौरान करों में केरल की हिस्सेदारी 3.88 फीसदी से गिरकर 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-2026) के दौरान 1.92 फीसदी हो गई है।

Shashi kant gautam

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