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केरल के पूर्व वित्त मंत्री के एम मणि का निधन

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि वह 86 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी और छह बच्चे हैं। मणि का वीपीएस लेकशोर अस्पताल में फेफड़े संबंधी बीमारी के लिये इलाज चल रहा था। उन्होंने शाम चार बजकर 57 मिनट पर आखिरी सांसें लीं।

Shivakant Shukla
Published on: 9 April 2019 7:28 PM IST
केरल के पूर्व वित्त मंत्री के एम मणि का निधन
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कोच्चि: केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री के एम मणि का मंगलवार शाम को शहर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि वह 86 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी और छह बच्चे हैं। मणि का वीपीएस लेकशोर अस्पताल में फेफड़े संबंधी बीमारी के लिये इलाज चल रहा था। उन्होंने शाम चार बजकर 57 मिनट पर आखिरी सांसें लीं।

मणि पिछले कई वर्षों से सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज) से पीड़ित थे और सीने में संक्रमण के लिये अक्सर अस्पताल में भर्ती होते रहे। मणि अपने करीबी विश्वासपात्र और केरल कांग्रेस (एम) के नेता थॉमस चाझीकदन को कोट्टायम लोकसभा सीट के लिये यूडीएफ का उम्मीदवार बनाने के कुछ दिन बाद बीमार पड़ गए।

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वह पिछले पांच दशकों से पाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। केरल कांग्रेस (एम) राज्य में कांग्रेस नीत यूडीएफ का अहम घटक दल है। मणि चार दशकों से केरल के गठबंधन की राजनीति में एक प्रमुख नेता रहे। उन्होंने राज्य में छह मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया।

व्यावहारिक राजनीति में कुशल मणि ने ज्यादातर कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकारों के लिए वित्त जैसे प्रमुख विभागों को संभाला था। यूडीएफ 1970 के दशक के अंत से वैकल्पिक रूप से राज्य में सत्ता में आती रही।

वह 1980 के दशक की शुरुआत में माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ सरकार में भी थोड़े समय के लिये मंत्री रहे। कोट्टायम जिले के पाला निर्वाचन क्षेत्र से 1965 में पहली बार केरल विधानसभा के लिए चुने गए मणि कभी चुनाव नहीं हारे और अपनी मृत्यु तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे।

उन्होंने केरल की राजनीति में सी अच्युता मेनन, पी के वासुदेवन नायर, के करुणाकरण, ई.के. नयनार, ए के एंटनी और ओमन चांडी नीत सरकारों में गृह, वित्त और कानून, सिंचाई और कानून, राजस्व और कानून सहित कई प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी संभाली।

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मणि विभिन्न सरकारों में 24 साल तक मंत्री रहे और वित्त मंत्री के रूप में राज्य विधानसभा में 13 बजट पेश किए। केरल कांग्रेस की राजनीति में उनके विरोधियों ने हमेशा उनके ऊपर राजनीतिक लाभ के लिए क्षेत्रीय पार्टी को तोड़ने के आरोप लगाए।

केरल कांग्रेस में लगातार विभाजन और अलग-अलग नामों के साथ केरल कांग्रेस के उद्भव की घटना के बारे में मणि ने एक बार कहा था: "हम एक ऐसी पार्टी हैं जो आगे बढ़ते ही विभाजित हो जाती है और फिर आगे बढ़ती है और विभाजित हो जाती है।’’

पेशे से वकील मणि का 1970 के दशक में केरल कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता के तौर पर उभरने के बाद से कोट्टायम और इडुक्की जिलों में सीरियाई कैथोलिक समुदाय के लोगों के बीच काफी प्रभाव था। त्रावणकोर क्षेत्र में किसानों के बीच उसका अच्छा खासा प्रभाव है।

मणि के नेतृत्व वाली केरल कांग्रेस (एम) राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में तीसरा सबसे बड़ा घटक है। उन्हें नवंबर 2015 में चांडी की अगुवाई वाली सरकार से वित्त मंत्री के रूप में पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जब बार रिश्वतखोरी मामले में केरल उच्च न्यायालय उनके खिलाफ टिप्पणी की थी।

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पाला के पास मारंगट्टुपल्ली गांव में एक किसान के बेटे के रूप में जन्मे, मणि ने कानून में स्नातक की डिग्री पूरी की और कोझीकोड में एक वकील के रूप में पी गोविंदा मेनन के जूनियर के रूप में वकालत शुरू किया, जो बाद में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुए मणि ने केरल कांग्रेस मूवमेंट का हिस्सा बनने से पहले कोट्टायम जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। केरल कांग्रेस मूवमेंट का नेतृत्व के एम जॉर्ज जैसे दिग्गजों ने किया।

उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिसमें ‘फिस्कल प्रॉबलम्स ऑफ केरल-कॉजेज एंड रिमेडियल मेजर्स’, ‘द पीपुल्स सोशलिज्म’, ‘द एट्थ फाइव ईयर प्लान-एन अल्टरनेटिव अप्रोच’, ‘डॉक्ट्रिन ऑफ टॉइलिंग क्लास’, ‘द इकनॉमिक डेवलपमेंट ऑफ केरल’, ‘टॉइलिंग क्लास थ्योरी’और ‘पॉलिटिकल एंड इकनॉमिक स्टडीज’ शामिल हैं।

अन्नामा मणि उनकी पत्नी हैं और उन्हें एक बेटा और पांच बेटियां हैं। उनके पुत्र और केसी (एम) नेता जोस के मणि राज्यसभा के सदस्य हैं।

(भाषा)



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