×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इन तीन गांवों में लोग हर काम में इस्तेमाल करते हैं आज भी खादी

आज गांधीजी की जयंती है तो सब गांधी जी के साथ उनके आदर्शों व उनसे जुड़े खादी को याद करना नहीं भूलते है। लेकिन साल के 365 दिन जहां महात्मा गांधी की 'स्वदेशी' प्रेम की भावना बनी रहती है, वह जगह है नीलगिरी जिले के तीन गांव,

suman
Published on: 29 Jun 2023 9:23 PM IST
इन तीन गांवों में लोग हर काम में इस्तेमाल करते हैं आज भी खादी
X

जयपुर: आज गांधीजी की जयंती है तो सब गांधी जी के साथ उनके आदर्शों व उनसे जुड़े खादी को याद करना नहीं भूलते है। लेकिन साल के 365 दिन जहां महात्मा गांधी की 'स्वदेशी' प्रेम की भावना बनी रहती है, वह जगह है नीलगिरी जिले के तीन गांव, यहां के ग्रामीण आजादी के 66 साल बाद भी उसी भावना से खादी पहनते हैं।

जयंती विशेष: शास्त्री की एक अपील पर, भूखा रहा था देश

यहां के म्यनालाइ, मदाथुराई और कुंडकपराई गांवों में बड़ों से लेकर बच्चे तक रेशमी कपड़ों को छोड़ कर केवल खादी का ही इस्तेमाल करते हैं। 1905 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करने और घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वदेशी आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले इन गांवों के लोगों का झुकाव फिर कभी अन्य कपड़ों की ओर नहीं हुआ और लगातार तीन पीढि़यों से सिर्फ खादी पहनने की परंपरा जारी है। दूसरे शहरों में काम करने जाने पर कुछ लोग दूसरे कपड़े भी पहनते हैं, लेकिन गांव में केवल खादी का ही इस्तेमाल करते हैं।

खादी मात्र कपड़ा नहीं, आज फैशन के साथ स्वावलंबी होने का है मूल मंत्र

म्यनालाइ गांव के 80 वर्षीय मुखिया विश्वनाथन ने बताया कि महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए आंदोलन के समय ग्रामीणों की ओर से उन्हें दिया गया वचन आज भी उनके लिए अहमियत रखता है। उन्होंने गर्व से कहा कि वह पिछले 60 वर्षो से 'भारतीय खादी' धारण कर रहे हैं। इन गांवों में करीब 500 घर हैं और कुल आबादी 4500 के आसपास है। इन गावों में पर्दे से लेकर घर में प्रयोग आने वाले अन्य कपड़े भी खादी के ही होते हैं। यह सब उनकी स्वदेशी भावना को जीवित रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।



\
suman

suman

Next Story