खान अब्दुल गफ्फार खान: जिनकी हर सांस में बसता था भारत, ऐसे बने सीमांत गांधी

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में खान अब्दुल गफ्फार खान का महत्वपूर्ण योगदान है। खान अब्‍दुल गफ्फार खान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण “सरहदी गांधी” (सीमान्त गांधी), “बाचा ख़ान” तथा “बादशाह ख़ान” के नाम से पुकारे जाने लगे।

Ashiki
Published on: 20 Jan 2021 6:06 AM GMT
खान अब्दुल गफ्फार खान: जिनकी हर सांस में बसता था भारत, ऐसे बने सीमांत गांधी
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खान अब्दुल गफ्फार खान: जिनकी हर सांस में बसता था भारत, ऐसे बने सीमांत गांधी

लखनऊ: स्‍वतंत्रता संग्राम में महात्‍मा गांधी के प्रमुख लोगों में शुमार रहे खान अब्‍दुल गफ्फार खान के चाहने वाले बहुत थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में खान अब्दुल गफ्फार खान का महत्वपूर्ण योगदान है। खान अब्‍दुल गफ्फार खान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण “सरहदी गांधी” (सीमान्त गांधी), “बाचा ख़ान” तथा “बादशाह ख़ान” के नाम से पुकारे जाने लगे।

खान अब्‍दुल गफ्फार खान 20वीं शताब्दी में पख्तूनों के सबसे अग्रणी और करिश्माई नेता थे, जो महात्मा गांधी के अनुयायी बन गए और उन्हें ‘सीमांत गांधी’ कहा जाने लगा। कहा जाता है कि वह बचपन से ही अत्यधिक दृढ़ स्वभाव के व्यक्ति थे। आज यानी 20 जनवरी को खान अब्‍दुल गफ्फार खान की पुण्‍यतिथि है। आईये जानते हैं कौन थे खान अब्‍दुल गफ्फार खान और स्वतंत्रता संग्राम में क्या था उनका योगदान...

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कौन थे खान अब्‍दुल गफ्फार खान ??

- खान अब्‍दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 में हुआ था।

- 1988 में 20 जनवरी को खान अब्दुल गफ्फार खान का निधन हो गया। इसके एक साल पहले उन्हें भारत रत्न दिया गया था।

- खान अब्दुल गफ्फार खान ने अपने जीवन के पूरे 42 साल ब्रिटिश राज और फिर पाकिस्तान की जेलों में गुजार दिए।

- जेल में उन्हें भारी यातनाएं झेलनी पड़ीं, सरहदी सूबे की जेलों में तो अक्सर उनके पैरों में लोहे की बेड़ियां बंधी होती थीं।

- उन्हें बादशाह खां और सीमांत गांधी जैसी उपाधियों से नवाजा गया। पाकिस्तान में वह बाचा खान के नाम से मशहूर हैं।

- वह कुछ समय तक ब्रिटिश आर्मी में भी रहे, लेकिन भारतीय सैनिकों के साथ बदसलूकी के चलते नौकरी छोड़ दी।

- पख्तूनवा नाम का एक अखबार निकाला जो पाकिस्तान और भारत में बहुत पॉप्यूलर हुआ था।

ऐसे बने खान अब्‍दुल गफ्फार खान से सीमांत गांधी

खान अब्‍दुल गफ्फार खान ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वो 20वीं शताब्दी के पख्तूनों के सबसे करिश्माई नेता थे। वो महात्मा गांधी के पद चिन्हों पर चले और लोग उन्हें सीमांत गांधी कहने लगे। उन्होंने हमेशा खुद को एक ‘स्वतंत्रता संघर्ष का सैनिक’ मात्र कहा, लेकिन उनके प्रसंशक उन्हें ‘बादशाह खान’ कह कर पुकारा करते थे।

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सच्चे राष्ट्रवादी थे बादशाह खां

- खान अब्‍दुल गफ्फार खान एक सच्चे राष्ट्रवादी थे। राजेंद्र प्रसाद जब संविधान सभा के प्रेसिडेंट बने, तो उनके स्वागत में 7 लोगों ने अंग्रेजी में भाषण दिया। बादशाह खां अकेले थे, जो हिंदी में बोले।

- आजादी की लड़ाई में बादशाह खां ने कांग्रेस का पूरा साथ दिया और उनके साथी पठानों ने कांग्रेस को शक्तिशाली बनाया था।

- पठानों से वादा किया था कि हिन्दुस्तान के साथ पठानों को भी आजादी मिलेगी, लेकिन इच्छा के खिलाफ पठानों को पाकिस्तान के साथ जाने के लिए मजबूर किया गया।

- बादशाह खां पूरी तरह से भारत विभाजन के खिलाफ थे, दूसरी ओर तब के सभी बड़े नेता इसके सपोर्ट में थे। गांधी जैसे लोग भी मूक-दर्शक बन गए थे।

- इंदिरा गांधी ने उनके लिए एक बार कहा था, ''बादशाह खान के दयालु व्यक्तित्व से आशा की जा सकती है कि वे हमारी विफलताओं को क्षमा कर पाएंगे।''

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