किडनी कांडः 500 लोगों की बदली गई किडनी, बांग्लादेश से सबसे एक ही बात कह कर लाते थे भारत और फिर यहां...

kidney Racket: किडनी प्रत्यारोपण का यह कांड अधिकतर नोएडा के यथार्थ और अपोलो अस्पताल में हुए हैं। दिल्ली के एक बड़े प्रतिष्ठित अस्पताल में केवल टेस्ट व जांच होती थी।

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Newstrack Network
Published on: 10 July 2024 4:30 AM GMT
Kidney scandal
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किडनी कांड  (photo: social media ) 

Kidney Racket: किडनी कांड इस समय सुर्खियों में है। इस कांड के तार दूर-दूर तक फैले हुए हैं। किडनी का यह गैरकानूनी धंधा बांग्लादेश और भारत में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। यह गिरोह चार साल में करीब 500 लोगों की किडनी गैरकानूनी तरीके से प्रत्यारोपित कर चुके हैं। यह खुलासा किडनी रैकेट के पर्दाफाश के बाद हुआ है। यही नहीं किडनी बदलने के दौरान चार लोगों की जान भी जा चुकी है। किडनी प्रत्यारोपण का यह कांड अधिकतर नोएडा के यथार्थ और अपोलो अस्पताल में हुए हैं। दिल्ली के एक बड़े प्रतिष्ठित अस्पताल में केवल टेस्ट व जांच होती थी।

भारत में नौकरी दिलाने का लालच देकर लाते थे

अपराध शाखा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह बांग्लादेश में अधिक सक्रिय था। गिरोह के सदस्य गरीब लोगों को भारत में नौकरी दिलाने का लालच देकर दिल्ली ले आते थे फिर भारत में उन्हें जसोला में किराए पर मकान लेकर या फिर गेस्ट हाउस में रखते थे। ये उन लोगों का पासपोर्ट जब्त कर लेते थे। इसके बाद गरीब बांग्लादेशियों पर गिरोह के सदस्य किडनी डोनेट करने का दबाव बनाते थे। उनसे कहा जाता था कि नौकरी तभी मिलेगी जब आप किडनी बेचोगे। इसके बदले में उन्हें पैसे का भी लालच दिया जाता था।

फिर मजबूरन पीड़ित किडनी देने को तैयार हो जाता था। दूसरी तरफ ये बांग्लादेशियों के डायलिसिस अस्पतालों पर नजर रखते थे। वहां जरूरतमंदों से संपर्क साधते थे। ये किडनी प्राप्तकर्ता को भारत ले आते थे।

मकान में ही तैयार किए जाते थे नकली कागजात

गिरोह के सदस्य किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के नकली कागजात किराये के मकान में ही तैयार करते थे। ये किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के बीच आपस में रिश्तेदार होने के कागजात बनाते थे। कागजात तैयार होने के बाद किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के दिल्ली के प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट होते थे। टेस्ट होने के बाद ये नोएडा के अस्पतालों में प्रत्यारोपण कराते थे। किडनी प्रत्यारोपण के करीब-करीब सभी ऑपरेशन इन्हीं दोनों अस्पतालों में हुए हैं।

डॉ. डी विजय कुमारी ने किए हैं सभी ऑपरेशन

अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार नोएडा के इन दोनों की अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण डॉ. डी विजया कुमारी ने किए हैं। वह अपने सहायक विक्रम के जरिए ही इस गिरोह के संपर्क में आई थीं। वह पिछले चार सालों से इस गिरोह के लिए काम कर रहे हैं।

बांग्लादेश उच्चायोग की सहायता ली जा रही

दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार इस गिरोह ने तीन से चार लोगों की जान ली है। किडनी लेने व प्राप्तकर्ता की ऑपरेशन के तीन से चार दिन बाद मौत हो गई। ऐसे में पुलिस ने मृत लोगों की पहचान करने के लिए बांग्लादेश उच्चायोग की सहायता ली है। दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार बांग्लादेशियों के बारे में बांग्लादेश उच्चायोग को सूचना दे दी है।

ऐसे चलता था पैसे का खेल

-4.5 लाख टका गिरोह के सदस्य किडनी देने वाले को देते थे।

-20 से 22 लाख प्राप्तकर्ता से लेते थे।

-4 लाख डॉ. डी विजया कुमारी की पूरी टीम को मिलते थे।

-1 लाख डॉ. डी विजया कुमारी अपने हिस्से के रूप में लेती थी।

-4 लाख उस अस्पताल को दिए जाते थे जिनमें किडनी बदली जाती थी।

-10 लाख गिरोह के लोग अपने पास रख लेते थे।

मरीज से खुद पैसे लेती थी डॉ. विजया

दिल्ली के एक नामचीन निजी अस्पताल में कंस्लटेंट रही डॉ. डी विजया कुमारी का पैसे लेने का तरीका भी अलग ही था। पुलिस को उसके दो बैंक खातों का पता लगा है। पीएनबी के खाते में 10 लाख रुपये से ज्यादा और दूसरे खाते में दो लाख रुपये से ज्यादा मिले हैं। दिल्ली पुलिस डॉ. डी विजया कुमारी के दोनों बैंक खातों की पिछले कई सालों की डिटेल खंगाल रही है।

डाक्टर के सहायक के खाते में आते थे पैसे

पुलिस अधिकारियों के अनुसार नोएडा के एक अस्पताल से उसके सहायक विक्रम के बैंक खाते में पैसे आते थे। डॉक्टर के बैंक खाते में 90 हजार से एक लाख रुपये आते थे, जबकि नोएडा के ही दूसरे अस्पताल में वह मरीज से खुद पैसे लेती थी। इसके बाद वह सभी को पैसे बांटती थी। वह अपनी पूरी टीम के लिए साढ़े तीन लाख से चार लाख रुपये रख लेती थी। अस्पताल को एक किडनी प्रत्यारोपण का चार लाख रुपये दिया जाता था।

अब इस रैकेट की पुलिस एक-एक कड़ियों को जोड़ने में जुटी है। पुलिस को इस रैकेट में और भी लोगों के शामिल होने की आशंका है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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