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किसानों का आंदोलन: बेटी की शादी में शामिल नहीं हुआ किसान, ऐसे दिया आशीर्वाद

किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए किसान सुभाष चीमा अपनी बेटी की शादी में शामिल नहीं हुए। उन्होंने वीडियो कॉल (Video Call) के जरिए बेटी को आशीर्वाद दिया। 

Shreya
Published on: 4 Dec 2020 6:48 AM GMT
किसानों का आंदोलन: बेटी की शादी में शामिल नहीं हुआ किसान, ऐसे दिया आशीर्वाद
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किसानों का आंदोलन: बेटी की शादी में शामलि नहीं हुआ किसान, ऐसे दिया आशीर्वाद

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Kisan Aandolan) जारी है। आज यानी शुक्रवार को किसानों के आंदोलन का नौवां दिन है। किसान अपना सारा कामकाज छोड़कर दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर डेरा जमाए हुए हैं और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वो वहां से नहीं हटेंगे। बता दें कि गुरुवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच बैठक हुई, जो बेनतीजा निकली। अब कल एक बार फिर से दोनों पक्षों में वार्ता होनी है।

अपनी बेटी की शादी में शामिल नहीं हुआ किसान

किसान कृषि कानूनों के खिलाफ अपना सारा कामकाज छोड़कर प्रदर्शन करने में डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि उनके पास तीन से चार महीने का राशन है। इस आंदोलन के चलते एक किसान अपनी बेटी की शादी में भी नहीं जा सका। जी हां, दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे सुभाष चीमा (Subhash Cheema) अपनी बेटी की शादी में भी नहीं गए, लेकिन बेटी को वीडियो कॉल (Video Call) के जरिए आशीर्वाद दिया।

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kisan andolan (फोटो- सोशल मीडिया)

बीकेयू के सदस्य हैं सुभाष चीमा

एक अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि आज वो जो कुछ भी हैं, अपनी खेती-किसानी की वजह से हैं। जिंदगी भर उन्होंने खेती का काम किया और इसी से उनका परिवार चलता है। ऐसे में वो किसान आंदोलन से अपनी नजरें नहीं मोड़ सकते और इसे बीच में नहीं छोड़कर भाग सकते। वो अपनी बेटी की शादी में शामिल इसलिए नहीं हुए क्योंकि उन्हें लगा कि किसानों के हक में आवाज उठाना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को उनकी बेटी की शादी थी, लेकिन वो शादी में नहीं जा सके। बता दें कि 58 वर्षीय सुभाष चीमा बीते कई सालों से भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य हैं।

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दिल्ली बॉर्डर पर मंगाए गए घोड़े

बता दें कि अपनी मांगों पर अड़े किसानों ने इस बीच पंजाब से घोड़े मंगाए हैं। अभी यहां कम से कम 40 से 50 घोड़े हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर और भी घोड़े मंगवाए जाएंगो। घोड़ों के साथ पंजाब से कुछ और लोग भी आए हैं। वहीं जब इन घोड़ों के बारे में किसानों से पूछा गया कि ये क्यों मंगवाए गए हैं तो उन्होंने जवाब दिया था कि पुलिस हमें दिल्ली नहीं जाने दे रही है, चारों ओर बैरिकेड लगा दिए गए हैं। अगर जरूरत बड़ी तो हम घोड़ों पर सवार होकर बैरिकेड लांघेंगे।

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