TRENDING TAGS :
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
नागरिकता संशोधन कानून पर पूरे देश में विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। असम में सबसे पहले विरोध की शुरुआत हुई थी। इसके बाद राजनीतिक दलों ने अपने विरोध को व्यक्त करने के लिए आंदोलन की शुरुआत की।
रामकृष्ण वाजपेयी
नागरिकता संशोधन कानून पर पूरे देश में विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। असम में सबसे पहले विरोध की शुरुआत हुई थी। इसके बाद राजनीतिक दलों ने अपने विरोध को व्यक्त करने के लिए आंदोलन की शुरुआत की।
कानून में ऐसा क्या है जिसका विरोध किया जा रहा है
आज की स्थिति यह है कि असम और पं. बंगाल के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश दिल्ली आदि राज्यों में आंदोलन के नाम पर हिंसा तेज हो चुकी है। छात्रों के भी इसमें शामिल हो जाने से स्थिति खराब हो रही है लेकिन मुख्य बात यह है कि नागरिकता संशोधन कानून में ऐसा क्या है जिसका विरोध किया जा रहा है। क्या विरोध करने वाले या इसके समर्थन में खड़े लोगों को पूरी तरह से पता है कि यह कानून क्या है। आइए इसको जानने की कोशिश करते हैं...
यह सही है कि इस विधेयक का विरोध पूर्वोत्तर से शुरू हुआ। लेकिन बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, लखनऊ, इलाहाबाद मुरादाबाद के संभल में हुए प्रदर्शन को इससे नहीं जोड़ा जा सकता है।
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
असम के लोग इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहे हैं
इससे पहले यह जान लें कि यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं सहित छह धर्मों के लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया गया है। यह कानून उन लोगों को नागरिकता देता है जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं। बांग्लादेश से मुसलमानों के अलावा बड़ी संख्या में हिंदू भी असम में घुसपैठ करते रहे हैं। इनकी संख्या लाखों में है। नागरिकता संशोधन कानून लागू होने पर ये लोग भारत के नागरिक बन जाएंगे।
ये भी पढ़ें—सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ा तनाव, जानिए कौन है कितना ताकतवर
बांग्लादेश से आए हिंदू भारत के नागरिक बनें
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
यहां यह कानून लागू नहीं होगा
असम के लोग नहीं चाहते कि बांग्लादेश से आए हिंदू भारत के नागरिक बनें। क्योंकि बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी बांग्ला बोलते हैं और अगर ये असम में बस गए तो बांग्ला का प्रभुत्व हो जाएगा और असम के मूल निवासियों की भाषा असमी गौड़ बन जाएगी। इसके अलावा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इनर लाइन परमिट लागू है। जहां इनर लाइन परमिट लागू है वहां यह कानून लागू नहीं होगा।
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
इस व्यवस्था के चलते असम के लोगों खासकर उत्तरी असम के लोगों को डर है कि इनर लाइन परमिट के चलते हिंदू शरणार्थी भारतीय नागरिक बनने के लिए असम में ही घुसपैठ करेंगे जो कि असम के मूल निवासियों को पहचान के संकट में डाल देंगे। दूसरे उनको यह भी डर है कि उनके रोजगार और सुविधाओं के अवसर भी कम हो जाएंगे।
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
अब देश के दूसरे हिस्सों में विरोध की वजह
सरकारी स्तर पर लगातार ये स्पष्ट किया जा रहा है कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। बावजूद इसके दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, लखनऊ, इलाहाबाद मुरादाबाद के संभल में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध जारी है। इसकी वजह इस कानून को मुस्लिमों के खिलाफ माना जाना है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित कुछ प्रमुख विपक्षी दल इस कानून विरोध कर रहे हैं। इससे कानून के विरोध को हवा मिल रही है। लोगों में डर है कि इस बिल के चलते उनकी नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी। जबकि इस कानून में देश के मुस्लिम नागरिकों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
ये भी पढ़ें—CAA पर हिंसा के बीच ममता बनर्जी का विवादित बयान, देश में मचेगा बवाल
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 क्या है?
नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 का उद्येश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल ना किये जाने पर कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध कर रहीं हैं। इसे मुसलमानों के खिलाफ और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन बता रही हैं।
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
देश के मुसलमानों के खिलाफ तो यह कानून नहीं है लेकिन संविधान के उल्लंघन की जहां तक बात है उसके लिए न्यायपालिका है। नागरिकता संशोधन कानून में भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए भारत में निवास करने के अवधि 6 वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है।
ये भी पढ़ें—हिंसा करने वालों की अब खैर नहीं, सीएम योगी ने लिया बड़ा एक्शन
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Act) 2019 के मुख्य फीचर्स
1. नागरिकता संशोधन कानून OCI कार्डधारक को यह सुविधा देता है कि वे भारत में यात्रा करने, देश में काम करने और अध्ययन करने के अधिकारी हैं।
2. यह कानून यह प्रावधान करता है कि यदि कोई OCI कार्ड धारक, भारत सरकार द्वारा बनाये गये किसी कानून का उल्लंघन करता है तो उसका OCI कार्ड रद्द किया जा सकता है.
नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?
3. यह कानून यह भी प्रावधान करता है कि अवैध प्रवासियों को प्रवेश की तारीख (31 दिसंबर, 2014 से पहले) से भारत का नागरिक माना जाएगा, उनके अवैध प्रवास के संबंध में उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाही बंद हो जाएगी। इसके अलावा असम, मेघालय, मिजोरम, या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता देने के लिए यह प्रावधान लागू नहीं होंगे।