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क्या है जम्मू कश्मीर कोटा बिल जिससे आज शुरुआत करेंगे अमित शाह

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फरवरी को और जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 'को मंजूरी दे दी थी और इसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी थी। विधेयक में जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को कश्मीर में नियंत्रण रेखा के किनारे रहने वाले लोगों के साथ शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रस्ताव है।

राम केवी
Published on: 24 Jun 2019 10:31 AM IST
क्या है जम्मू कश्मीर कोटा बिल जिससे आज शुरुआत करेंगे अमित शाह
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अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करने जा रहे हैं, जो आम चुनाव के बाद नई संसद में उनका पहला विधायी कार्य बन जाएगा।

भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह बिल पेश करने के बाद निचले सदन में अपना पहला भाषण भी देंगे, जिसे पहले अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था।

क्या है यह बिल

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फरवरी को और जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 'को मंजूरी दे दी थी और इसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी थी।

विधेयक में जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को कश्मीर में नियंत्रण रेखा के किनारे रहने वाले लोगों के साथ शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रस्ताव है।

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इस विधेयक से जम्मू और कश्मीर के युवाओं के लिए राज्य सरकार की नौकरियों का आरक्षण होगा, जो किसी भी धर्म या जाति से संबंधित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं। कहा जा रहा है इस विधेयक से कश्मीरी पंडितों को काफी फायदा मिलेगा।

क्या है मौजूदा नियम

मौजूदा नियम के मुताबिक पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों, नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास रहने वाले किसी भी व्यक्ति को शासकीय फायदा तभी मिल सकता है, जब वह पिछड़े क्षेत्र के रुप में चिह्न्ति जगहों पर 15 वर्षो से रह रहा हो।

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इस के चलते हजारों विस्थापित कश्मीर पंडितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था क्योंकि 1990 के आसपास कई कश्मीरियों ने आतंकी धमकी की वजह से उन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया था।

इस विधेयक का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अध्यादेश की जगह लेना है। इससे जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी धर्म या जाति के युवा को राज्य सरकार की नौकरियां प्राप्त करना आसान हो जाएगा।

राम केवी

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