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जानिए क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, जो उत्तराखंड त्रासदी में हुआ तबाह

उत्तराखंड के चमोली जिले में बिजली उत्पादन के लिए ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट करीब 10 साल से अधिक से काम कर रही है। यह निजी क्षेत्र की परियोजना है।

Shivani Awasthi
Published on: 7 Feb 2021 4:59 PM GMT
जानिए क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, जो उत्तराखंड त्रासदी में हुआ तबाह
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नीलमणि लाल

लखनऊ। उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने की वजह से बड़ा हादसा हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा में सबसे अधिक नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को हुआ है और यहां काम करने वाले कई मजदूर लापता हैं।

उत्तराखंड के चमोली जिले में बिजली उत्पादन के लिए ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट करीब 10 साल से अधिक से काम कर रही है। यह निजी क्षेत्र की परियोजना है। इस प्रोजेक्ट का काफी विरोध हुआ है और पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों ने इसे बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। हालांकि यह प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ। ऋषि गंगा नदी पर उत्तराखंड जल विद्युत निगम यानी यूजेवीएन के साथ प्राइवेट कंपनी के भी कई पावर प्रोजेक्ट बन रहे हैं।

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ऋषि गंगा नदी

ऋषि गंगा नदी धौली गंगा में मिलती है। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के जरिए 63520 मेगा वाट बिजली बनाने का लक्ष्य है। दावा किया गया था कि जब यह प्रोजेक्ट अपनी पूरी क्षमता पर काम करने लगेगा तो इससे बनने वाली बिजली को दिल्ली, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में सप्लाई करने की योजना है।

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अलग तरह का प्रोजेक्ट

सामान्य पॉवर प्रोजेक्ट में पहले नदी के पानी को रोका जाता है। इसके बाद उसे टरबाइन पर गिराकर बिजली बनाने का काम किया जाता है। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में बिना पानी के प्रवाह को रोके, उसका ही इस्तेमाल करके टरबाइन से बिजली बनाए जाने का काम किया जा रहा था। 2005 में ऋषि गंगा नदी पर पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया गया था। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार और दूसरी सुविधाओं का वादा किया गया था।

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कोर्ट गए लोकल लोगों का कहना है कि लोगों से किये गये वादे पूरे नहीं हुए, प्रोजेक्ट के लिए किये जा रहे निर्माण कार्यों की वजह से नंदा देवी बायो स्फेयर रिजर्व एरिया को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ब्लास्टिंग की वजह से वन्य जीव परेशान हैं और वे भागकर गांवों की ओर आ रहे हैं। नदी किनारे स्टोन क्रशर यूनिट लगाए गए हैं। गांववालों को उस हिस्से में जाने से रोक दिया गया है, जहां चिपको आंदोलन की गौरा देवी ने कभी पेड़ों को गले लगाया था।

दिवालिया कम्पनी

ऋषि गंगा प्रोजेक्ट बनाने वाली मूल कम्पनी दिवालिया भी घोषित हो चुकी है। केंद्र सरकार की तरफ से 2016 में लागू किए गए दिवालिया कानून के तहत लुधियाना के ऋषि गंगा पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (रजत पेंट ग्रुप) का कंट्रोल दिल्ली के कुंदन ग्रुप को दे दिया गया है।

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दरअसल लुधियाना के ऋषि गंगा पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जोशीमठ में हाईड्रोपावर का प्लांट लगाने के लिए पंजाब नेशनल बैंक, ओ.बी.सी. और कोटक महिंद्रा बैंक से 160 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया गया था। इसके अलावा कंपनी पर बाजार की 5 करोड़ रुपए की देनदारी भी थी। यानी कुल165 करोड़ रुपए के कर्ज़ के नीचे दबे थे। कर्ज की रकम चुकता न होने पर बैंकों ने कंपनी को दिवालिया घोषित करवाने के लिए एन.सी.एल.टी. का दरवाज़ा खटकाया था।

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