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Maharashtra: बीजेपी की मजबूरी फडणवीस हैं जरूरी!, जानिए ये पांच कारण

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में BJP सोशल इंजीनियरिंग को भूला देवेंद्र फडणवीस को ही CM बनाना चाहती है। क्योंकि फडणवीस ही यहां एक ऐसा चेहरा हैं जिनके सूत्र सभी पार्टियों में मौजूद हैं और जो साम दाम दंड भेद सभी जुगत लगाकर सरकार को चलाने का दम रखते हैं।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 26 Nov 2024 2:48 PM IST
Devendra Fadnavis
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Devendra Fadnavis (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। महायुति को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद गठबंधन की तीनों पार्टियां गदगद हैं। विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी ने अकेले दम पर 132 सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में मुख्यमंत्री बीजेपी का ही बनेगा यह भी तय माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन में मुख्यमंत्री के नाम पर भी लगभग फैसला हो चुका है। बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर सहमति बन चुकी है!

बताया जा रहा है कि बीजेपी को अजित पवार का समर्थन है, ऐसे में अभी सरकार बानने में किसी तरह का कोई संकट नहीं दिख रहा है।


आसान नहीं था फडणवीस के नाम पर मुहर लगाना

बीजेपी अपना मुख्यमंत्री तो बनाना चाह रही थी, लेकिन उसके लिए इसका चयन करना आसान नहीं था। लेकिन अंततः देवेंद्र फडणवीस के नाम पर उसे मुहर लगाना ही पड़ा! बता दें कि बीजेपी के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाना इतना आसान नहीं था क्योंकि वे ब्राह्मण हैं और आज की डेट में जिस तरह की राजनीति चल रही है उसको देखते हुए तो उनका ब्राह्मण होना ही मुख्यमंत्री बनने में बड़ा रोड़ा बन रहा था। यहीं नहीं उनको लेकर महाराष्ट्र भाजपा में बहुत मतभेद भी थे, लेकिन इन सबके बाद भी देवेंद्र फडणवीस भाजपा की मजबूरी क्यों बन गए। यह जानना जरूरी है कि आखिर पीएम मोदी और अमित शाह को क्यों फडणवीस को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना पड़ रहा है! दरअसल देवेंद्र फडणवीस के साथ कई ऐसे मजबूत प्लस पॉइंट्स हैं जो उनके विरोधियों पर भी भारी पड़ रहे हैं।

यहां सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर देवेंद्र फडणवीस में ऐसा क्या है कि बीजेपी उनके नाम को पीछे नहीं कर पा रही है? बता दें कि इसके एक नहीं कई कारण हैं जिसके चलते फडणवीस को बीजेपी इग्नोर नहीं कर सकती है। तो आई जानतें आखिर क्या वहज है...


शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने में रही बड़ी भूमिका

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा नाम है। वे राज्य की राजनीति में नए चाणक्य के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं। जब 2019 विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी को धोखा देते हुए शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाने की जिद पर अड़ गई थी तब फडणवीस ने वो कर दिखाया जिसे शायद ही कोई सोच सकता था। फडणवीस ने भाजपा के विरोधी शरद पवार जैसे दिग्गज के पंजे से उनके भतीजे अजित पवार को अपनी ओर खींच लाए। ये बात अलग है कि अजित पवार अपनी पार्टी के विधायकों को अपने साथ नहीं ला सके और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। फडणवीस की सरकर तो गिर गई पर फडणवीस ने हार नहीं मानी और वे लगे रहे। यही नहीं भाजपा राज्य में एनसीपी और शिवसेना को बांटने का काम फडणवीस के दम पर ही कर सकी। यही नहीं शिवसेना और फिर एनसीपी के टूटने पर फडणवीस को गालियां भी सुनने को मिलीं। इसके बाद उद्धव ठाकरे से लेकर मनोज जरांगे तक ने फडणवीस को राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी तक दी थी और शरद पवार तो उनकी जाति तक पहुंच गए थे। पर फडणवीस पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वे हार नहीं माने वे न केवल भाजपा को उस मुश्किल दौर से बाहर निकालने में सफल रहे बल्कि दुबारा कुर्सी तक पहुंचाने की रणनीति भी तैयार कर डाली।

महाराष्ट्र में नहीं चल पाएगा बिहार और मप्र मॉडल

महाराष्ट्र में बिहार और मध्यप्रदेश का माडल नहीं चल पाएगा। यहां देवेंद्र फडणवीस की काट के लिए एक तर्क बिहार मॉडल का दिया जा रहा है, जहां विधानसभा चुनाव में जेडीयू को कम सीटें मिलने के बाद भी बीजेपी ने बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए नीतीश कुमार को ही सीएम बनाती आ रही है। यही नहीं फडणवीस के ब्राह्मण होने को लेकर भी तर्क दिया जा रहा है कि पिछड़े तबके की राजनीति को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी किसी पिछड़ी जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। वैसे भी बीजेपी में आजकल मुख्यमंत्री के नाम पर उस व्यक्ति की मुहर लगती है जिसे न कोई जानता होता है और न ही उसके सीएम बनने की कोई संभावना होती है। गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि के मुख्यमंत्री पद पर ऐसे लोगों को ही बैठाया गया जिनके बारे में खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। लेकिन महाराष्ट्र का मामला इन सबसे अलग है। यहां पर 6 दलों ने चुनाव लड़ा और करीब 3 पार्टियों को बहुमत मिला हुआ है। बीजेपी को यह अच्छी तरह पता है कि अगर इनमें से कोई भी असंतुष्ट होता है तो तुरंत एक नए समीकरण बनने की शुरूआत कभी भी हो सकती है। यही कारण है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी सोशल इंजीनियरिंग को भूला देवेंद्र फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। क्योंकि फडणवीस ही यहां एक ऐसा चेहरा हैं जिनके सूत्र सभी पार्टियों में मौजूद हैं और जो साम दाम दंड भेद सभी जुगत लगाकर सरकार को चलाने का दम रखते हैं।


सबसे अधिक रैलियां करने की सौंपी गई जिम्मेदारी

भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के कद और उनकी लोकप्रियता को काफी अच्छी तरह से जानती है। यही कारण रहा कि पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनावों में उन्हें ही सबसे अधिक रैलियां और सभाएं करने का अधिकार दिया। अगर उनके ब्राह्मण होने से या उनके कार्यकाल से लोगों के नाखुश होने की बात होती तो शीर्ष नेतृत्व उन्हें पार्टी का महाराष्ट्र में मुख्य चेहरा बनाकर प्रचार प्रसार नहीं करवाया होता। देवेंद्र फडणवीस ने इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से कहीं अधिक रैलिया और सभाएं कीं। ऐसे में यह बीजेपी भी अच्छी तरह जानती है कि अगर फडणवीस को किनारे कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा तो पार्टी के अंदर असंतोष तो बढ़ेगा ही साथ ही कई विधायक पाला भी बदल सकते हैं।

संघ और बीजेपी दोनों के विश्वसपात्र

फडणवीस संघ और बीजेपी दोनों के ही विश्वसनीय है। बात 2024 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद की है जब फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। लेकिन जिस तरह से उनके समर्थन में संघ आगे आया और उनसे पद पर बने रहने की गुजारिश की थी वह अपने आप में अलग ही था। फडणवीस के घर पर आरएसएस और बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेकर बावनकुले की मौजूदगी में बैठक हुई थी। इसके बाद बावनकुले ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने फडणवीस से अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया गया है।

विधानसभा चुनावों में महायुति को जो प्रचंड जीत मिली है उसमें संघ की भी बड़ी भूमिका रही है यह बात सभी जानते हैं। देवेंद्र फडणवीस वो नेता हैं जिन्होंने हर बार संघ पर भरोसा जताया है। इसके साथ ही फडणवीस वो नेता हैं जिन पर पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री भी आंख बंद करके भरोसा करते हैं।


कुशल एडमिनिस्ट्रेटर और संगठन को संगठित रखने की क्षमता

महाराष्ट्र भारत की आर्थिक राजधानी है। देश की 13 परसेंट जीडीपी अकेले महाराष्ट्र से ही आती है। आज भी देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी इसी राज्य में आता है। अभी इस साल के आंकड़े की ही बात करें तो प्रथम तिमाही में महाराष्ट्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में सबसे अव्वल रहा है। यही नहीं देवेंद्र फडणवीस 2014 से 2019 तक पांच साल तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे एक प्रशासक के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। वहीं महाराष्ट्र में अभी पीएम की सबसे महत्वाकांक्षी अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा करना भी है। इसके साथ पीएम का 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने का रास्ता भी इसी महाराष्ट्र से ही हो कर जाता है। इसलिए देवेंद्र फडणवीस जैसे किसी अनुभवी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाना भारतीय जनता पार्टी की मजबूरी के साथ ही आज की जरूरत भी है।



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Ashish Kumar Pandey

Ashish Kumar Pandey

Senior Content Writer

I have 17 years of work experience in the field of Journalism (Newspaper & Digital). Started my journalism career on 1 April 2005 as a sub-editor from Dainik Bhaskar Jaipur. After that, on January 1, 2008, I worked as a sub editor in I- Next News Paper (Hindi Daily) till July 31, 2009. During this I handled the responsibility of the National Desk. From August 1, 2009 to September 13, 2010, worked in Amar Ujala on National Desk and City Desk in Bareilly and Moradabad as Senior Sub Editor. From 15 September 2010 to 31 October 2011, worked as Senior Sub Editor/Senior Reporter in Hindustan newspaper Bareilly. From November 1, 2011, worked in Gwalior on the post of Chief Sub Editor in Rajasthan Patrika Hindi daily newspaper. From July 1, 2017 to January 31, 2019, worked in Patrika Dotcom Hindi Web portal, Lucknow. Worked as News Editor in Amrit Prabhat from 1 February 2019 till 31 January 2021. During my career I got opportunity to work at General Desk, Sports, City Desk and have vast experience of journalism business. Whatever responsibilities were given, I accepted it with a challenge and performed it well. My Qualifications : - ‌MA Political Science from Gorakhpur University, Gorakhpur ‌PG Diploma in Mass Communication - Guru Jamveshwar University Hisar, Haryana My Interests: Reading, writing, playing, traveling. Interest in Media: Special interest in political news and also in the field of sports, crime, health etc.

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