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कांप उठा पाकिस्तान! अब भारत क्यों करने जा रहा है इसका परीक्षण, जानें क्या है K-4 ?
भारत में बहुत से नए विकास देखने को मिल रहें हैं। हमारा देश उन्नति कि तरफ बढ़ रहा है। अब भारत एक और परमाणु मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है या ये कहें की वो इसके लिए तैयार भी है।
नई दिल्ली: भारत में बहुत से नए विकास देखने को मिल रहें हैं। हमारा देश उन्नति कि तरफ बढ़ रहा है। अब भारत एक और परमाणु मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है या ये कहें की वो इसके लिए तैयार भी है। भारत 8 नवंबर शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के तट से पनडुब्बी के जरिए के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है।
मिली जानकार के मुताबिक पनडुब्बियों से अपने दुश्मन के ठिकानों को मार गिराने की क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए भारत शुक्रवार को एक और कदम आगे बढ़ाएगा। इस के-4 परमाणु मिसाइल की मारक क्षमता 3500 किलोमीटर बताई जा रही है।
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यह मिसाइल प्रणाली रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान(डीआरडीओ) द्वारा अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों के लिए विकसित की जा रहा है। अरिहंत परमाणु पनडुब्बियां भारत द्वारा विकसित की जा रही हैं। ये पनडुब्बियां भारत के परमाणु परीक्षण का मुख्य आधार होंगी।
परीक्षण का लक्ष्य
सरकारी सूत्रों ने बताया कि, 'डीआरडीओ शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम कट से एक अंडरवॉटर प्लेटफॉर्म से के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण करेगा। इस परीक्षण के दौरान डीआरडीओ मिसाइल प्रणाली में उन्नत प्रणालियों का टेस्ट करेगा।'
K-4 दो परमाणु पनडुब्बी मिसाइलों में से है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है। एक अन्य मिसाइल B0-5 है, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से ज्यादा अधिक है।
कितनी रेंज का होगा परीक्षण ?
वैसे तो अभी यह साफ बताया नहीं गया है कि डीआरडीओ पूरी रेज पर मिसाइल का परीक्षण करेगा या कम दूरी पर। हालांकि, भारत द्वारा नियोजित टेस्ट-फायरिंग के लिए लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षण के लिए NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) और समुद्र को लेकर चेतावनी पहले ही जारी की जा चुकी है।
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कई और मिसाइलों के परीक्षण की तैयारी
पिछले महीने बनाई गई थी के-4 मिसाइल के परीक्षण की योजना लेकिन इसे टाल दिया गया था। डीआरडीओ आने वाले कुछ हफ्तों में कुछ और मिसाइलों का भी परीक्षण करने जा रहा है। भारत, अग्नि-3 और ब्रह्मोस मिसाइलों के परीक्षण की योजना बना रहा है।
सरकारी सूत्रों ने साफ किया है कि K-4 मिसाइल का परीक्षण पानी के भीतर के पंटून से किया जाएगा, क्योंकि अभी भी मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है और एक पनडुब्बी से लॉन्च केवल एक बार किया जाएगा जब तक यह परिनियोजन के लिए तैयार ना हो जाए।