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Parliament: संसद में कैसे होती है आम लोगों की एंट्री और क्या होती है सांसदों की भूमिका, जानें सब कुछ
Parliament: संसद भवन में प्रवेश लोकसभा अध्यक्ष द्वारा समय≤ पर जारी नियमों और निर्देशों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। वैध पास के बिना कोई भी व्यक्ति संसद में प्रवेश नहीं कर सकता है। वैध पास से ही संसद में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
Parliament: इन दिनों संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। वहीं इस बीच बुधवार यानी 13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में बड़ा चूक का मामला सामने आया है। लोकसभा में कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो व्यक्ति कूद कर सदन में आ गए और सांसदों के एक डेस्क से दूसरे डेस्क कूदने लगे। इस दौरान दोनों ने कलर स्मोक उड़ाया। यही नहीं सदन ने बाहर भी दो लोगों ने नारेबाजी करते हुए कलर स्मोक उड़ाया। इसको लेकर सदन की कार्यवाही को थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दिया गया।
संसद के भीतर पहुंचे दोनों व्यक्ति विजिटर पास पर आए थे। यह पास बीजेपी के सांसद के यहां से मुहैया कराया गया था। वहीं घटना के बाद आरोपियों को पकड़कर दिल्ली पुलिस को पूछताछ के लिए सौंप दिया गया है। संसद में जो आज हुआ वह संसद की बरसी के दिन हुआ है। बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले की आज यानी 13 दिसंबर 2023 को बरसी थी। संसद पर 2001 में हुए हमले की बरसी के दिन संसद की सुरक्षा में चूक एक बड़ा मामला बन गया है। वहीं संसद में हुई इस घटना को लेकर कार्यवाही के दौरान कई सांसदों ने विजिटर पास का मुद्दा जोरों से उठाया।
तो आइये यहां जानते हैं कि संसद में कैसे आम आदमी की एंट्री होती है और इस एंट्री के लिए क्या नियम हैं? सामान्य व्यक्ति कहां बैठ सकते हैं? विजिटर पास किसे और कैसे मिलता है?
आम आदमी के संसद में एंट्री के लिए क्या नियम हैं?
संसद भवन में प्रवेश लोकसभा अध्यक्ष द्वारा समय≤ पर जारी नियमों और निर्देशों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। संसद में वैध पास के बिना किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जा सकता है, प्रवेश के लिए पास जरूरी है इससे बिना प्रवेश की अनुमति नहीं होती है। यह विशेष रूप से संसद सदस्यों की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
अपना पहचान पत्र दिखाना होता है
संसद में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को संसद भवन परिसर में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मचारियों को अपना पहचान पत्र दिखाना होता है। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए संसद भवन परिसर में विभिन्न द्वारों पर डोर-फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं। संसद सदस्यों और पूर्व सदस्यों के साथ आए आगंतुक (विजिटर) डोर-फ्रेम मेटल डिटेक्टर से गुजरते हैं और शारीरिक तलाशी ली जाती है। उनके द्वारा ले जाए जा रहे सामान आदि की भी सुरक्षा स्टाफ द्वारा जांच की जा सकती है।
अलग-अलग उद्देश्यों से संसद आते हैं आंगतुक
देश की संसद की कार्यवाही देखने आने वाले आगंतुकों के अलग-अलग उद्देश्य होते हैं। उनमें से कुछ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए यहां आते हैं, कई राजनीतिक उद्देश्यों के लिए आते हैं और कई अन्य व्यवसाय, अर्थव्यवस्था और उद्योग आदि के दृष्टिकोण से कार्यवाही देखने संसद में आते हैं।
दोनों सदनों में हैं दर्शक दीर्घा
संसद के दोनों सदनों में आम जनता के उपयोग के लिए दर्शक दीर्घा हैं। इस गैलरी में प्रवेश के लिए वैध कार्ड का होना जरूरी होता है, जिसे विजिटर कार्ड कहते हैं। इस विजिटर कार्ड के लिए सदन की बैठक की तारीख से पहले कार्य दिवस पर दोपहर 3 बजे तक निर्धारित प्रपत्र में सदस्यों को आवेदन करना होता है, जिसके लिए प्रवेश पत्र आवश्यक है। मुद्रित प्रपत्र सूचना कार्यालय में रखे जाते हैं।
वहीं जो सदस्य बहुत कम समय के लिए दिल्ली आते हैं और जिनके मामले में एक दिन पहले आवेदन करना संभव नहीं है, उनके निजी मित्रों और निकट संबंधियों के लिए, सदस्य उसी दिन विजिटर कार्ड जारी करने के लिए विशेष अनुरोध कर सकते हैं। ये कार्ड प्राप्ति के दो घंटे बाद गैलरी में प्रवेश के लिए वैध हो जाते हैं।
कैसे होता है विजिटर कार्ड के लिए आवेदन, क्या है नियम
नियमों के तहत, सांसद किसी ऐसे व्यक्ति के लिए विजिटर कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हो। वहीं, चुनिंदा मामलों में उन लोगों के लिए विजिटर कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं जिनका परिचय किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया हो जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हो।
अन्य मामलों में बरतनी होती है सावधानी
वहीं अन्य मामलों में सदस्यों को अत्यधिक सावधानी बरतनी होती है, जिसके लिए सदस्यों को विशेष ध्यान रखने की सलाह भी दी जाती है। ऐसे कार्ड धारकों द्वारा किए गए किसी भी कृत्य के चलते दीर्घाओं में होने वाली किसी भी अप्रिय घटना या अवांछनीय चीज के लिए जिम्मेदार सांसद होते हैं।
केवल एक बैठक के लिए ही जारी होते हैं विजिटर कार्ड
आगंतुकों की दीर्घाओं में प्रवेश के लिए कार्ड सामान्यतः एक बैठक के लिए ही जारी किए जाते हैं और केवल उसी बैठक के लिए वह कार्ड वैध होते हैं। चूंकि दर्शक दीर्घा की क्षमता भी निश्चित संख्या में व्यक्तियों के लिए है, तो घंटे के आधार पर, एक कार्ड आमतौर पर केवल एक घंटे की अवधि के लिए जारी किया जाता है। ये कार्ड किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं दिए जा सकते हैं और धारक द्वारा इसमें दी गई शर्तों का पालन करने पर ही जारी किए जाते हैं।
विजिटर कार्ड सांसदों को मिलते हैं या उनके घर भेजे जाते हैं
मौजूदा प्रक्रिया के तहत जब प्रवेश पत्र तैयार हो जाते हैं तो इन्हें या तो आवेदन करने वाले सदस्यों को सौंप दिया जाता है या उनके आवास पर भेज दिया जाता है। यदि कार्ड आवास पर बांटे जाते हैं, तो सदस्यों को जहां संभव हो, मैसेंजर-बुक में कार्ड मिलने की सूचना देनी होती है और यदि वे उपलब्ध नहीं होते हैं, तो वे आमतौर पर व्यवस्था करते हैं कि निवास पर कोई जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा करे। सदस्यों को आगंतुकों के कार्ड के लिए आवेदन पत्र में लिखे गए निर्देशों के अनुसार पूरा विवरण देना आवश्यक होता है।
10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रवेश नहीं
दर्शक दीर्घा कार्ड लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के अनुरोध पर भी जारी किए जाते हैं, इसके लिए यदि वे एक दिन पहले निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करते हैं। वहीं 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दर्शक दीर्घाओं में प्रवेश नहीं दिया जाता है।