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Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड का क्यों किया जा रहा है विरोध? जानें कारण
देश में इस समय को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। जमकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। मुस्लिम समुदाय के लोग यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि वह यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देख रहे हैं।
Uniform Civil Code: देश में इस समय को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। जमकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लेकर यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया था और कहा था कि एक घर में दो कानून नहीं चल सकते हैं। ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश नहीं चलाया जा सकता है। इस मुद्द पर मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है।
पीएम मोदी के इस बयान के सामने आते हैं, देश में विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने भी इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि पीएम मोदी की ओर से यह बयान लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर दिया गया है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूसीसी पर एतराज जताया है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध क्यों हो रहा है और उसके कारण क्या है?
क्यों हो रहा है यूसीसी का विरोध?
मुस्लिम समुदाय के लोग यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि वह यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देख रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत शरीयत के आधार पर मुस्लिमों के लिए कानून तय होते हैं। जिसे देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा, इससे मुस्लिमों के अधिकारों का हनन होगा। उनका कहना है कि शरीयत में महिलाओं को संरक्षण मिला हुआ है। इसके लिए अलग से कानून की जरूरत नहीं है।
मुस्लिम धर्मगुरुओं के अनुसार यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए मुसलमानों पर हिंदू रीति-रिवाज थोपने की कोशिश की जा रही है। वहीं, बरेलवी मसलक के उलमा ने नाखुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि मजहबी मामलत में दुनियावी दखलदांजी अच्छी नहीं होती है। दुनियावी कानून में सुधार होते रहते हैं पर शरीयत में तब्दीली मुमकिन नहीं है।
समान नागरिक संहिता को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजल-उर-रहीम मुजद्दिदी ने कहा है कि देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा और इसे प्रभावित करने वाले किसी भी क़ानून को रोकना बोर्ड के मुख्य उद्देश्यों में से है। इसलिए बोर्ड हमेशा से ही UCC का विरोध करता रहा है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूसीसी को आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है हर धर्म, जाति, वर्ग, समुदाय या संप्रदाय के लिए एक राष्ट्र में एक समान कानून की व्यवस्था हो। फिलहाल देश में आपराधिक कानून तो समान है लेकिन नागरिकता कानून नहीं है। अलग-अलग धर्मों के अपने-अपने नियम हैं, जो समानत के अधिकारों का हनन भी करते हैं। इसलिए देश में केंद्र सरकार UCC लाने की कोशिश हो रही हैं।
बीजेपी का चुनावी एजेंडा UCC
यूनिफॉर्म सिविल कोड हमेशा से बीजेपी के चुनावी एजेंडे में शामिल है। राज्यसभा में 9 दिसंबर 2022 को प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर 'यूनिफॉर्म सिविल कोड इन इंडिया 2020' बिल को पेश किया गया था। UCC के खिलाफ होने की बावजूद इसे लेकर हुई वोटिंग में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कई सांसदों ने वोट नहीं डाला था। जिसके चलते यूसीसी के प्राइवेट मेंबर बिल के पक्ष में 63 और विरोध में 23 वोट पड़े थे। जिसके साथ ये प्रस्ताव पारित हो गया था।
इसके बाद से ही बीजेपी शासित कई राज्यों में यूसीसी को लागू करने को लेकर जोर-आजमाइश तेज हो गई है। हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय हमेशा से ही इसका विरोध कर रहा है।