Kohinoor Diamond: कोहिनूर समेत कई कलाकृतियों को वापस लाने के प्रयास में भारत

Kohinoor Diamond: भारत कोहिनूर हीरे सहित ब्रिटेन के संग्रहालयों में रखीं मूर्तियों और औपनिवेशिक युग की अन्य कलाकृतियों को वापस लाने के लिए एक प्रत्यावर्तन अभियान की योजना बना रहा है।

Yachana Jaiswal
Published on: 15 May 2023 2:04 PM GMT
Kohinoor Diamond: कोहिनूर समेत कई कलाकृतियों को वापस लाने के प्रयास में भारत
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Kohinoor Diamond (Pic Credit - Social Media)

Kohinoor Diamond: कोहिनूर हीरे का एक किस्म, जिसका फारसी अर्थ में कोह-ए-नूर और प्रकाश का पहाड़ भी कहा जाता है। पिछले हफ्ते किंग चार्ल्स III के राज्याभिषेक में आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। तब से यह और सुर्खियों में बना हुआ है। किंग चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के समय उनका ताज जो उन्होंने पहना था उसमें कोहिनूर लगा हुआ था।

महाराजा रणजीत सिंह के खजाने से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में जाने से पहले यह बेशकीमती हीरा जो की 105 कैरेट का हीरा है, भारत के राजा महाराजों के पास हुआ करता था और फिर पंजाब का भारत में विलय होने के बाद महारानी विक्टोरिया को यह कोहिनूर भेंट किया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस तरह की ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कलाकृति की वापस भारत लाने की सूचना मिल रही है।

भारत कोहिनूर हीरे और इसके साथ ब्रिटेन के संग्रहालयों में रखीं भारत की कलाकृतियों के उत्कृष्ट उदाहरण की मूर्तियों और औपनिवेशिक काल की अन्य कलाकृतियों को वापस भारत लाने के लिए एक प्रतिपूर्ति अभियान करने की योजना बना रहा है।

‘द डेली टेलीग्राफ’ सामाचार पत्र ने पूरे विश्वास से यह बताया है कि यह मुद्दा नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, जिसके दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और व्यापार वार्ता में उठने की संभावना है।

251 कलाकृतियों की वापसी हो चुकी है,100 प्रक्रिया में है - ASI

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जहां स्वतंत्रता के बाद से देश के बाहर ‘तस्करी’ की गई वस्तुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए अग्रणी प्रत्यावर्तन अभियान शुरू करने जा रहा है,भारत के अधिकारी लंदन के राजनयिकों के साथ समन्वय बना रहे हैं जिससे उपनिवेशिक शासन के दौरान ‘युद्ध की लूट’ के रूप में जब्त की गईं या एकत्र की गईं। कलाकृतियों को रखने वाले संस्थानों से हम चीजों को वापस करने का औपचारिक अनुरोध कर सके। एएसआई के प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार ने बताया कि, आजादी के बाद से 251 कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है। वही अभी करीब 100 कलाकृतियां ब्रिटेन और अमेरिका समेत अन्य देशों से वापस लाने की प्रक्रिया में हैं।

प्रतिपूर्ति वाला यह अभियान की शुरुआत सरल लक्ष्य, छोटे संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ शुरू किया जायेगा, जो इच्छा से भारतीय कलाकृतियों को वापस लौटने के इच्छुक हो सकते हैं, फिर इस प्रयास को बड़े संस्थानों और फिर शाही संग्रहालयों तक लेकर जाया जाएगा।

राष्ट्रीय मूल्यों की पहचान कराता है,

संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव लिली पांड्या का कहना है कि ‘प्राचीन वस्तुओं का भौतिक और अमूर्त दोनों मूल्य हैं, वे सांस्कृतिक विरासत, सामुदायिकता की निरंतरता और राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा हैं। इन शिल्पकृतियों को लूटकर, आप इसके सभी मूल्य को लूट रहे हैं, और ज्ञान एवं समुदाय की निरंतरता को तोड़ रहे हैं।”

भारतीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन का बयान है कि पुरावशेषों को वापस करना भारत की नीति-निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। भारत की कलाकृतियों को वापस लाने के इस प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं प्रयासरत हैं, उन्होंने इसे एक प्रमुख प्राथमिकता बना लिया है। प्रतिपूर्ति की दिशा में फिलहाल के वर्षों में अन्य सांस्कृतिक रुझान सामने आए हैं जैसे, ग्रीस के साथ एल्गिन मार्बल्स और नाइजीरिया बेनिन ब्रॉन्ज की मांग कर रहे हैं।

Yachana Jaiswal

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