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सराहनीय : पत्नी की याद में मंत्री ने बनवाया कुत्तों का अस्पताल

raghvendra
Published on: 25 Jan 2018 4:58 PM GMT
सराहनीय : पत्नी की याद में मंत्री ने बनवाया कुत्तों का अस्पताल
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कोलकाता। पत्नी की याद में लोग तरह-तरह के काम करते हैं मगर पश्चिम बंगाल के एक मंत्री अपनी पत्नी की याद में कुत्तों का अस्पताल खोलने जा रहे हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस अस्पताल का नाम तक घोषित कर दिया है। इस अस्पताल का नाम होगा बबली चटर्जी मेमोरियल पेट हास्पिटल। कुत्तों की प्रेमी मंत्री की पत्नी का 2015 में निधन हो गया था।

कुत्तों के प्रति अपनी पत्नी के प्रेम का बखान करते हुए चटर्जी का कहना है कि मेरी पत्नी सही मायने में डॉग लवर थीं। वह उनकी बहुत देखभाल करतीं थीं और उन्हें डॉक्टर के पास ले जाकर दवाएं भी दिलातीं थीं। इस नाते मैने सोचा क्यों न कुत्तों के लिए अस्पताल बनाकर पत्नी की स्मृतियों को जिंदा रखा जाए।

चटर्जी के मुताबिक यह अस्पताल ट्रस्ट के जरिए संचालित होगा। मंत्री की विदेश में रहने वाली बेटी आजकल दक्षिण कोलकाता के घर में छह पालतू कुत्तों के साथ रहती है। मंत्री का कहना है कि कोलकाता में पशु अस्पताल की कमी है। मेरी पत्नी अक्सर इस बारे में मुझसे चर्चा करती थी। ट्रस्ट के अधिकारी प्रसिद्ध पशु चिकित्सकों से बात कर रहे हैं, ताकि अस्पताल में कुत्तों के लिए सारी सुविधाएं हों। मैंने अफसरों से जल्द से जल्द परियोजना को मूर्त रूप देने को कहा है।

कुत्ते घेर लेते हैं मेरा बिस्तर

कुत्तों के प्रति अपने परिवार का प्रेम बताते हुए मंत्री का कहना है कि देर रात की पार्टी या फिर प्रशासनिक बैठकों से जब भी वे घर लौटते हैं तो उन्हें अपने बिस्तर पर जगह नहीं मिलती। कारण यह कि तब तक उनके पालतू बिस्तर पर कब्जा कर लेते हैं। कई बार तो उन्हें फर्श पर रात बितानी पड़ी। 2001 में पहली बार विधायक बनने वाले चटर्जी शिक्षा के साथ संसदीय कार्य मंत्री और पार्टी के प्रवक्ता भी हैं।

कुत्तों की निजता का ख्याल रखते हैं मंत्री

खास बात है कि मंत्री अपने पालतू कुत्तों की निजता का खासा ख्याल रखते हैं। उनकी न तो खुद सोशल मीडिया पर फोटो डालते हैं और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को फोटो खींचने देते हैं। मंत्री के मुताबिक दक्षिण कोलकाता के बाघा जतिन रेलवे स्टेशन के पास ट्रस्ट के नाम 17 एकड़ जमीन है, जहां कुत्तों का अस्पताल बनाया जाएगा। वैसे उन्होंने अपनी अस्पताल की परियोजना लागत का खुलासा नहीं किया है।

जून 2015 में कुत्ते को लेकर पं.बंगाल की राजनीति गरम हुई थी। उस समय सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली विधायक डॉ.निर्मल ने अपने एक परिचित के कुत्ते को राज्य सरकार के अधीन संचालित एसएसकेएम हास्पिटल डायलिसिस के लिए भेजा था। अस्पताल के निदेशक डॉ. प्रदीप मिश्रा ने कुत्ते के इलाज से इनकार कर दिया तो उन्हें पद से हटा दिया गया था।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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