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Kolkata Rape Murder Case: आरजी मेडिकल कॉलेज में कभी वेश्या तो कभी शवों के साथ पोर्न शूटिंग! बीते 24 सालों में जो गया खिलाफ उसको मिली 'सजा-ए-मौत'

Kolkata Rape Murder Case: महिला डॉक्टर की मौत की घटना को पहले आत्महत्या बताया गया, लेकिन बाद में गैंगरेप और मर्डर का शक गहराया। वहीं इस घटना ने कॉलेज की पुरानी अनसुलझी घटनाओं को भी उठाया, जिसमें सौमित्र विश्वास और पौलामी साहा की संदिग्ध मौतें शामिल हैं। यहीं नहीं कॉलेज में अवैध गतिविधियों के आरोप भी लगे हैं।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 19 Aug 2024 1:00 PM IST
Kolkata Rape Murder Case
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Kolkata Rape Murder Case (Pic:Newstrack)

Kolkata Rape Murder Case:कोलकाता। इस समय कोलकाता का आरजी मेडिकल कॉलेज देश ही नहीं पूरी दुनिया में सुर्खियों में है। यहां 9 अगस्त को 31 वर्षीय महिला डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो जाती है। घटना के बाद मेडिकल कॉलेज ने इसे सुसाइड बता दिया। लेकिन जब मामला तूल पकड़ा और गैंगरेप के बाद हत्या की बात सामने आई तो विरोध में कोलकाता ही नहीं देश भर के डाक्टर सड़क पर उतर आए और डॉक्टर के लिए न्याय की बात कर रहे हैं।

कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज के अंदर किसी बड़े राज की बात सामने आ रही है। यह पहली बार नहीं है, जब मेडिकल कालेज के अंदर इस तरह की वारदात हुई है। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ लेकिन हमेशा मामला दबा दिया गया।

ट्रेनी महिला डॉक्टर की हत्या के बाद लोगों को 24 साल पहले हुई उस घटना की याद आ रही है, जो इसी घटना से मिलती-जुलती थी। बात 25 अगस्त, 2001 की है। एक चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र सौमित्र विश्वास को कॉलेज हॉस्टल में फांसी के फंदे से लटकता पाया गया था।


आज तक अनसुलझा ही रहा सौमित्र केस

सौमित्र विश्वास की मौत को अधिकारियों ने तुरंत ही आत्महत्या बता दिया। हालांकि पीड़ित परिवार को मामला सस्पेक्टेड लग रहा था। वह कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच का आदेश दिया। एक साथी छात्रा, औरोमिता दास की गिरफ्तारी के बावजूद, मामला आज तक अनसुलझा है और सौमित्र की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है।

क्या भनक लगी थी सौमित्र

सौमित्र की मां को लंबे समय से गड़बड़ी का संदेह था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे की हत्या परिसर में अवैध गतिविधियों का पता चलने के बाद की गई थी। जांच के दौरान कॉलेज के छात्रावास के अंदर एक पोर्नोग्राफी गिरोह के संचालन के आरोप सामने आए, जिसमें सेक्स वर्कर्स और यहां तक कि शवों का शोषण भी शामिल था। इन आरोपों का समर्थन उन छात्रों ने किया जिन्होंने दावा किया कि इन काले लेन-देन को उजागर करने के बाद सौमित्र को निशाना बनाया गया था।

पौलामी की 6ठीं मंजिल से गिरकर हुई थी मौत

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक अन्य दुखद मामले में 25 वर्षीय द्वितीय वर्ष के स्नातकोत्तर ट्रेनी पौलमी साहा का नाम भी शामिल है। पौलामी की भी अस्पताल की छठी मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी। इसे भी आत्महत्या बताया करार दिया गया था। हालांकि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था और उसकी मौत के आसपास की परिस्थितियां आज तक स्पष्ट नहीं हैं। सौमित्र के मामले की तरह, पौलामी की मृत्यु ने कई अनुत्तरित प्रश्नों को छोड़ दिया।

सौमित्र केस को लेकर डॉक्टर्स ने क्या कहा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सौमित्र जिस हॉस्टल में रहता था, वहां रहने वाले एक छात्र जो आज डॉक्टर बन गए हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, हम सभी की तरह सौमित्र भी इसके बारे में जानते थे, लेकिन न तो उनमें और न ही हममें से किसी में इसे चुनौती देने की हिम्मत थी। जब सौमित्र के एक करीबी दोस्त और एक बैचमेट को इस गिरोह ने पीड़ित किया, जिसने उसका चेहरा किसी दूसरी महिला के नग्न शरीर पर लगाया, तो वह खुद को रोक नहीं सका।


हर कोई जानता है लेकिन कोई जुबान नहीं खोलता क्योंकि...

डॉ. नीरज मिश्रा, अध्यक्ष, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स असोसिएशन यूपी के अनुसार आरजी मेडिकल कॉलेज में अंदर ड्रग्स और सेक्स रैकेट के बारे में हर कोई जानता है लेकिन कोई जुबान नहीं खोलता क्योंकि उसे पता है विरोध करने का क्या अंजाम होगा। 2001 में सौमित्र की हत्या हुई और उसे आत्महत्या बता दिया गया। पौलमी केस को भी आत्महत्या बता दिया गया। इसी तरह अब ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या को आत्महत्या बताने का पूरा प्रयास किया गया। लेकिन मामला गरमा गया और तूल पकड़ लिया। उम्मीद की जा रही है कि इस बार आरजी मेडिकल कॉलेज के गहरे राज बाहर आएंगे और अपराधियों को सजा मिलेगी।

हॉस्टल में पॉर्न शूटिंग से जुड़े तार

डॉक्टर ने बताया कि पॉर्न शूटिंग मुख्य रूप से वीकेंड्स में की जाती थी, जिसमें छात्रावास में सेक्स वर्कर्स को बुलाया जाता था। संकट के समय, जब वे किसी वेश्या की व्यवस्था नहीं कर पाते थे, तो वे अस्पताल में रखे शवों का भी इस्तेमाल करते थे, जिनका उपयोग मेडिकल की पढ़ाई के लिए किया जाता है। यह एक बहुत बड़ा रैकेट है, जिसे एक राजनीतिक नेता का संरक्षण प्राप्त है। फिर वे शवों के नग्न शॉट्स पर मॉडल का चेहरा लगाते थे।


पुलिस ने तलाशी तक नहीं ली

आरोप तब और पुख्ता हो गया जब टीएनएन को छात्रावास के प्रथम तल पर कमरा नंबर 15 में ट्राइपॉड और रिफ्लेक्टर मिले। छात्रों ने पुष्टि की कि कमरे का इस्तेमाल नियमित रूप से किया जाता था, लेकिन पुलिस ने इस हफ्ते मंगलवार तक उस कमरे की तलाशी लेने की भी जहमत नहीं उठाई। इससे भी अधिक अजीब बात यह है कि बगल के कमरे से सौमित्र बिस्वास का शव बरामद होने के बाद भी ट्राइपॉड आदि नहीं हटाए गए, जिससे संकेत मिलता है कि बिस्वास की मौत के बाद भी छात्रों के एक समूह ने अपना काम जारी रखा।

लाश देखकर ही हत्या के मिले थे संकेत, लेकिन...

विडंबना यह है कि शुरुआती संकेत काफी थे जो गड़बड़ी का संकेत देते थे। जब बिस्वास का शव मिला, जिसकी पुष्टि चितपुर थाने के ओसी ने की, तो उसके गले में एक रूमाल भी ठूंसा हुआ मिला। आरजी कर मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉ. अपूर्व बोस ने भी बताया कि कमरे के पीछे का दरवाजा अजीब तरह से जबरदस्ती खोला गया था। डॉक्टर भी लड़के को बहुत ही छोटी नायलॉन की डोरी से पंखे से लटकता देखकर हैरान थे। डोरी की लंबाई इतनी कम थी कि लड़के ने संभवतः अपने गले में फंदा नहीं बांधा होगा और फिर पंखे तक हाथ नहीं बढ़ाया होगा, डॉ. बोस ने कहा। लेकिन पुलिस के अनुसार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है और इसे आत्महत्या माना है। हालांकि विसरा की फोरेंसिक रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।


ऐसे उठा था मामला

सौमित्र मामले को याद करते हुए डॉक्टर ने बताया कि औरोमिता दास ने घटना से कुछ दिन पहले कुछ लड़कों की शरारत के बारे में सौमित्र को बताया था। उसने बताया था कि उन्होंने जन्मदिन की पार्टी में ली गई तस्वीरों से उसका चेहरा नग्न शवों पर लगाया था और आपत्तिजनक तस्वीरें शेयर की थीं।

लेकिन वह कभी नहीं लौटे

उसने यह भी दावा किया कि उसने लड़कों का सामना किया था और उन्हें डांटा था। सौमित्र के विश्वासघात, विरोध और संभवतः रैकेट का पर्दाफाश करने की धमकी के कारण, छात्रों के एक बड़े वर्ग को संदेह है कि उनकी हत्या की गई। उनकी मां याद करती हैं कि उस दुर्भाग्यपूर्ण सुबह वह बैरकपुर स्थित अपने घर से यह वादा करके निकले थे कि वह दोपहर के भोजन के लिए वापस आएंगे। लेकिन वह कभी नहीं लौटे।

महिला डाक्टर की रेप के हत्या का मामला अब तूल पकड़ चुका है। उम्मीद है कि इस घटना की सच्चाई अब सामने आएगी और इस घटना के गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।

Ashish Kumar Pandey

Ashish Kumar Pandey

Senior Content Writer

I have 17 years of work experience in the field of Journalism (Newspaper & Digital). Started my journalism career on 1 April 2005 as a sub-editor from Dainik Bhaskar Jaipur. After that, on January 1, 2008, I worked as a sub editor in I- Next News Paper (Hindi Daily) till July 31, 2009. During this I handled the responsibility of the National Desk. From August 1, 2009 to September 13, 2010, worked in Amar Ujala on National Desk and City Desk in Bareilly and Moradabad as Senior Sub Editor. From 15 September 2010 to 31 October 2011, worked as Senior Sub Editor/Senior Reporter in Hindustan newspaper Bareilly. From November 1, 2011, worked in Gwalior on the post of Chief Sub Editor in Rajasthan Patrika Hindi daily newspaper. From July 1, 2017 to January 31, 2019, worked in Patrika Dotcom Hindi Web portal, Lucknow. Worked as News Editor in Amrit Prabhat from 1 February 2019 till 31 January 2021. During my career I got opportunity to work at General Desk, Sports, City Desk and have vast experience of journalism business. Whatever responsibilities were given, I accepted it with a challenge and performed it well. My Qualifications : - ‌MA Political Science from Gorakhpur University, Gorakhpur ‌PG Diploma in Mass Communication - Guru Jamveshwar University Hisar, Haryana My Interests: Reading, writing, playing, traveling. Interest in Media: Special interest in political news and also in the field of sports, crime, health etc.

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