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Kolkata Underwater Metro: नदी के नीचे दौड़ी देश की पहली मेट्रो ट्रेन
Kolkata Underwater Metro: भारत के पहले अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम तेज किया गया, जिसे दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसे बनाने में प्रति किलोमीटर 120 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया है।
Kolkata Underwater Metro: भारत देश एक बार फिर तकनीकी क्षेत्र में इतिहास रचने के लिए तैयार है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में देश का पहला मेट्रो ट्रेन पानी के अंदर चलाने का सफल प्रयास किया जा रहा है। नदी के नीचे बनी सुरंग में मेट्रो ट्रेन चलाया गया है। हालांकि, ट्रायल रन में मेट्रो को इस रास्ते पर चलाया जा रहा है। जल्द ही यह मेट्रो का प्रयोग परिवहन में शुरू कर दिया जायेगा।
अंडरवाटर मेट्रो का ट्रायल रन
इतिहास रचते हुए भारत देश में पहली बार नदी के नीचे बनी सुरंग में मेट्रो ट्रेन को चलाया गया है। मेट्रो का यह ट्रायल रन है। इस ट्रायल रन में केवल अधिकारी और इंजीनियर लोग ही सवार थे। इस मेट्रो ट्रेन को हुगली के नीचे कोलकाता से हावड़ा तक चलाया गया है। अधिकारीयों ने कहा कि कोलकाता और उसके उपनगरों के लोगों को आधुनिक परिवहन व्यवस्था दिलाने के इस दिशा में यह एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। मेट्रो ट्रेन,रेलवे के जनरल मैनेजर पी उदय कुमार रेड्डी ने कोलकाता के महाकरण स्टेशन से ईस्ट वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के हावड़ा मैदान स्टेशन तक का सफर किया गया।
मेट्रो रेलवे के जीएम ने कहा कि इस ऐतिहासिक घटना के चश्मदीद गवाह बने है।हावड़ा मैदान और एक्सप्लेंड स्टेशन तक 7 महीनों तक अभी ट्रायल रन के तौर पर मेट्रो को हुगली नदी के इस सुरंग के माध्यम से चलाया जा रहा है। इसके बाद इस भाग पर नियमित सेवाएं शुरू की जायेंगी। सुरंग के 4.8 किलोमीटर भाग पर भी परीक्षण जल्द ही शुरू किया जायेगा।
33 मीटर के साथ अबतक का गहरा सुरंग
अंडरवाटर मेट्रो के इस खंड में चालू होने के बाद, हावड़ा का यह मेट्रो क्षेत्र 33 मीटर के गहराई के साथ सबसे गहरा सुरंग कहा जा रहा है। अधिकारी का कहना है कि मेट्रो से हुगली नदी के नीचे 45 सेकंड में 520 मीटर के भाग को कवर करने की अपेक्षा जताई जा रही है। मेट्रो लाइन की यह सुरंग पानी के मुख्य तल से लगभग 32 मीटर अंदर है।
दुर्घटनाओं के कारण प्रोजेक्ट में हुई देर
हावड़ा मैदान और साल्ट लेक में सूचना प्रौद्योगिकी हब सेक्टर V को जोड़ने वाला ईस्ट वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर सियालदह और सेक्टर V स्टेशनों के बीच छोटे रूप से चालू किया गया है। मध्य कोलकाता के बोउबाजार क्षेत्र में दुर्घटनाओं के कारण पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी हो गई है। जिसमे ऐसा कहा जा रहा कि, 2019 में 31 अगस्त को एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ने एक जलभृत(चट्टानों का उठा हुआ भाग जो जल से ढका रहता है) से टकरा दूरगई थी, जिससे अत्यंत भू-धंसाव हुआ और बोउबाजार में कई इमारतें गिर गई थी। फिर एक घटना ने इस प्रोजेक्ट पर तेरी करने पर मजबूर कर दी थी, सियालदह के तरफ़ से आने वाली सुरंगों और पश्चिमी तरफ एस्प्लेनेड की ओर से आने वाली सुरंगों को को मिलाने के काम के दौरान पानी के रिसाव के कारण जमीन धंसने लगी थी। जिससे मई 2022 में कई घर फिर से दुर्घटना से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
कोलकाता से ही पहली मेट्रो का इतिहास बना था,
देश की पहली मेट्रो ट्रेन, कोलकाता रेलवे में ही 1984 में शुरू की गई थी। इसके बाद दिल्ली में 2002 में शुरू हुई और अब कई महानगरों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। वहीं कोलकाता के उपलब्धि की इतिहास श्रेणी में एक और अंडरवाटर मेट्रो का भाग भी जुड़ने जा रहा है।