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कुडनकुलम: PM मोदी, जयललिता और पुतिन ने किया उद्घाटन, जानें क्या था प्रोजेक्ट
तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित न्यूक्लियर पावर प्लांट के यूनिट-1 को बुधवार को चालू कर दिया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता इसके उद्घाटन में शामिल हुए।
नई दिल्ली : तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित न्यूक्लियर पावर प्लांट के यूनिट-1 को बुधवार को चालू कर दिया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता इसके उद्घाटन में शामिल हुए।
लंबे समय तक चले विरोध प्रदर्शनों, हिंसा, रिएक्टरों के बार-बार फेल होने, सेफ्टी को लेकर उठने वाले सवालों के बीच कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट आखिरकार चालू हो ही गया।
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 28 साल पहले भारत-रूस सहयोग के साथ हुई थी। यह भारत का पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट है जिसे रूस के सहयोग से तैयार किया गया है।
फोटो सौजन्य : - एएनआई
कैसे हुई थी इस प्रोजेक्ट जी शुरुआत ?
कुडनकुलम पावर प्लांट के लिए समझौता रूस और भारत के बीच साल 1988 में हुआ था। उस वक्त इससे मिलते जुलते दो अन्य प्रस्तावों को स्थानीय लोगों के विरोध के बाद आगे नहीं बढ़ाया गया। उस वक्त तत्कालीन एंटी न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट के जनरल कन्वीनर एन सुब्रमण्यम की अगुआई में काफी प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों की वजह से 1991 में पेरिनगोम प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका। अक्टूबर 2011 में भूथाथनकेट्टू के लोग भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। यही वो दोनों प्रोजेक्ट थे जिन्हें विरोध के बाद आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
उदयकुमार ने की थी विरोध की शुरुआत
साल 2000 की शुरुआत में कुडनकुलम के ग्रामीणों के हितों को वजह बताते हुए उदय कुमार ने ग्रीन पार्टी बनाई। अमेरिकी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त उदयकुमार ने भारत लौटकर कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट के करीब स्थित गांव इडिनथाकाराई में अपना ठिकाना बनाया। उदयकुमार के अलावा इस प्रोजेक्ट के विरोध में ताकत झोंकने वाले स्थानीय चर्च भी थे।
कईयों पर चले थे राजद्रोह के मामले
उस समय कुडनकुलम प्लांट के विरोध में हुए प्रदर्शनों में 6000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ राजद्रोह और देश के खिलाफ जंग छेड़ने का मामला दर्ज हुआ था। खुद उदयकुमार पर सबसे ज्यादा 101 केस दर्ज थे, इनमें राजद्रोह का मामला भी शामिल था। छह साल पहले कुडनकुलम के विरोध में प्रदर्शन जब अपनी चरम पर थे तो महिलाओं समेत 182 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से कई के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। अब तक कुल 8000 मामले दर्ज हुए।
ग्रामीणों की डर के ये भी थे कारण
पहले रिएक्टर ने अक्टूबर 2012 से काम करना शुरू किया। एक साल बाद इसे इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से जोड़ा गया। तमिलनाडु और केरल की आम जनता के मन में जिन कारणों की वजह से इस प्रोजेक्ट को लेकर डर बैठा, वो था प्रोजेक्ट को पूरा करने में हुई लंबी देरी, कथित तौर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा की गई संदेहास्पद डील और प्लांट के लिए अहम कल-पुर्जे उपलब्ध कराने वाली रूसी कंपनियों का संदिग्ध प्रोफाइल।
2014 में हुआ हादसा
14 मई 2014 को कुडनकुलम प्लांट में एक हादसा हुआ। प्लांट के फीड वाटर सिस्टम के एक पाइप के फटने से 6 कर्मचारी बुरी तरह झुलस गए। हाल ही में नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए यह रकम पीडि़तों को देने के लिए कहा है। कमीशन के बयान के मुताबिक, जांच में पता चला कि कुडनकुलम प्लांट में सेफ्टी से जुड़े मानकों में कमियां पाई गईं।
अंत तक विवादों से जुड़ा रहा प्रोजेक्ट
साल 2013 में न्यूक्लियर साइंटिस्ट और अटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के पूर्व चेयरमैन ए. गोपालकृष्णन ने प्लांट में इस्तेमाल घटिया क्वालिटी के कल-पुर्जों पर सवाल उठाए थे। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के न्यूक्लियर फिजिसिस्ट एमवी रमन्ना ने कहा कि प्लांट को चलाने की दिशा में कई मौकों पर मिली नाकामी से सेफ्टी को लेकर संकट पैदा हो गया था। मई 2013 में भी भारत के 60 नामी वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु और केरल के सीएम को याचिका सौंप कुडनकुलम की निष्पक्ष और स्वतंत्र सेफ्टी ऑडिट की मांग की थी।