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ला नीना" का लगातार तीसरा असर, इस साल बना रहेगा एक्सट्रीम मौसम
La Nina Third consecutive effect विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा था कि इस समुद्री और वायुमंडलीय घटना कम से कम साल के अंत तक चलेगी, और पहली बार "ला नीना" 'ट्रिपल डिप' बन जाएगा।
La Nina Third consecutive Effect: प्रशांत महासागर में लगातार तीसरे वर्ष ला नीना घटना की पुष्टि की गई है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने 31 अगस्त को कहा था कि इस समुद्री और वायुमंडलीय घटना कम से कम साल के अंत तक चलेगी, और इस सदी में पहली बार उत्तरी गोलार्ध में लगातार तीन सर्दियों में "ला नीना" 'ट्रिपल डिप' बन जाएगा।
डब्लूएमओ ने भविष्यवाणी की है कि सितंबर 2020 में शुरू हुआ वर्तमान ला नीना अभी छह महीने तक जारी रहेगा। इसके सितंबर-नवंबर 2022 तक चलने की 70 प्रतिशत संभावना और दिसंबर-फरवरी 2022/2023 तक चलने की 55 प्रतिशत संभावना है।
डब्ल्यूएमओ महासचिव प्रो पेटेरी तालास ने कहा है कि ला नीना लगातार तीन वर्षों का होना असाधारण है। इसका शीतलन प्रभाव अस्थायी रूप से वैश्विक तापमान में वृद्धि को धीमा कर रहा है। लेकिन यह दीर्घकालिक वार्मिंग प्रवृत्ति को रोक या उलट नहीं देगा।
वर्तमान ला नीनो चरण सितंबर 2020 से जारी है। 1950 के बाद से, दो साल से अधिक समय तक चलने वाले ला नीना के सिर्फ 6 उदाहरण दर्ज किये गए हैं।
अल नीनो और ला नीना क्या हैं?
अल नीनो और ला नीना का अर्थ स्पेनिश में 'लड़का' और 'लड़की' है। ये परस्पर विपरीत घटनाएं हैं, जिसके दौरान भूमध्य रेखा के साथ प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका के निकट समुद्र की सतह के तापमान का असामान्य रूप से गर्म होना या ठंडा होना देखा जाता है। दोनों मिल कर अल नीनो-दक्षिणी दोलन प्रणाली, (ईएनएसओ) के रूप में जाने जाते हैं।
इनका ग्लोबल मौसम पर मजबूत असर पड़ता है और यह विश्व स्तर पर तापमान और वर्षा दोनों को बदल सकता है। यह एक घटना बार बार होती रहती है और तापमान में परिवर्तन के साथ वर्षा के पैटर्न में बदलाव होता है। आम तौर पर, अल नीनो और ला नीना हर चार से पांच साल में होते हैं। लेकिन अल नीनो, ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है।
ला नीना और भारत का मानसून
भारत में अल नीनो के दौरान मानसून के दौरान अत्यधिक गर्मी और सामान्य से कम वर्षा को देखा गया है। 2014 में अल नीनो के दौरान भारत में जून से सितंबर तक 12 प्रतिशत कम वर्षा हुई। दूसरी ओर, ला नीना भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के पक्ष में जाने जाते हैं। इस साल, भारत में 740.3 मिमी बारिश हुई है, जो 30 अगस्त तक मौसमी औसत से 7 प्रतिशत अधिक है। 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 30 में बारिश हुई है जिसे या तो 'सामान्य', 'अधिक' या 'अत्यधिक' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उत्तर प्रदेश, मणिपुर और बिहार इस मौसम में सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य बने हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ला नीना का जारी रहना भारतीय मानसून के लिए एक अच्छा संकेत है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पड़ोसी क्षेत्रों को छोड़कर अब तक मानसून की बारिश अच्छी रही है।
लेकिन ला नीना का लगातार तीन साल से जारी रहना असामान्य और आश्चर्यजनक है। यह भारत के लिए अच्छा हो सकता है लेकिन कुछ अन्य देशों के लिए नहीं। ऐसी असामान्य परिस्थितियों के पीछे जलवायु परिवर्तन एक कारक हो सकता है। अल नीनो बढ़ती गर्मी और अत्यधिक तापमान से जुड़ा हुआ है, जैसे कि हाल ही में अमेरिका, यूरोप और चीन के कुछ हिस्सों में देखा गया।
पिछले ला नीना घटनाओं के दौरान भारत के पूर्वोत्तर मानसून की वर्षा कम रही, लेकिन हाल के वर्षों में 2021 का मानसून एक अपवाद बना हुआ है। आईएमडी के आंकड़ों में कहा गया है कि 2021 में दक्षिणी भारतीय प्रायद्वीप ने 1901 के बाद से अपने सबसे गर्म रिकॉर्ड किए गए शीतकालीन मानसून का अनुभव किया, जिसमें अक्टूबर और दिसंबर के बीच 171 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई।