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लद्दाख में तनाव कम होने पर भी भारत सतर्क, अग्रिम मोर्चों पर बढ़ेगी जवानों की तैनाती
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच हाल के दिनों में तनाव में कमी आई है। भारत के कड़े रुख से चीन अपने रुख में नरमी लाने पर मजबूर हुआ है मगर भारतीय सेना अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं लाना चाहती।
नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच हाल के दिनों में तनाव में कमी आई है। भारत के कड़े रुख से चीन अपने रुख में नरमी लाने पर मजबूर हुआ है मगर भारतीय सेना अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं लाना चाहती। सूत्रों का कहना है कि चीन की शातिर चाल से सबक लेते हुए भविष्य में एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर पहले की अपेक्षा ज्यादा सैनिकों को तैनात करने की तैयारी है।
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मई की तुलना में तैनात होंगे ज्यादा जवान
गलवान घाटी से लेकर पेंगोंग झील तक के करीब सवा 2 किलोमीटर के क्षेत्र में सेना की ओर से विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इस इलाके में सेना और आईटीबीपी के जवानों की तैनाती में बढ़ोतरी की जाएगी। जानकारों का कहना कि इस इलाके में मई से पहले की तुलना में ज्यादा सैनिकों की तैनाती की जाएगी। भारत और चीन के बीच इस इलाके में विवाद की शुरुआत 5 मई को हुई थी। सेना का मानना है कि चीन ने भारत के भरोसे का नाजायज फायदा उठाते हुए इस इलाके में अतिक्रमण किया। इसलिए अब इस इलाके में विशेष सतर्कता की तैयारी है।
अग्रिम मोर्चे पर कोई ढिलाई नहीं देगी सेना
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में लद्दाख में सेना के चार डिवीजन की तैनाती की गई है। चीन के पीछे हटने के बाद इसे कम करने की बात है। लेकिन हालात सामान्य होने के बावजूद एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर कोई दिलाई नहीं दी जाएगी। भारतीय सेना अभी भी इस इलाके को काफी संवेदनशील मान रही है और इस कारण अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी।
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि एलएसी से पीछे अग्रिम मोर्चा को मजबूत बनाने की तैयारी है। अग्रिम मोर्चों पर 6 से 8 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जा सकती है। इन जवानों में सेना और आईटीबीपी दोनों के जवान शामिल होंगे। सेना की सोच है कि चीन का रुख ढीला पड़ने के बावजूद भविष्य में चीन की किसी भी धोखेबाजी का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
सेटेलाइट के जरिए रखी जाएगी नजर
जवानों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही एलएसी पर सतर्कता के लिए सेना दूसरी तैयारियां भी कर रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक चीन की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए और तरीकों का भी सहारा लिया जाएगा। इसके लिए पेट्रोलिंग के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस शुरू किए जाने की संभावना जताई जा रही है। चीनी सेना की गतिविधियों को भांपने के लिए सेटेलाइट की मदद भी ली जाएगी।
भारत के कड़े रुख से चीन के तेवर ढीले
जानकार सूत्रों के अनुसार सैन्य एवं आर्थिक मोर्चे पर भारत के कड़े रुख के बाद चीन अपने कदम वापस खींचने पर मजबूर हुआ है। चीन ने इस इलाके में 5 मई को अतिक्रमण किया था और छह जून को हुई बैठक में अपने सैनिक पीछे हटाने पर सहमति जताने के बावजूद उसने नए इलाकों में तंबू गाड़ दिए थे। इसके बाद ही गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़प की घटना हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
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हालांकि इस घटना में कई चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की बात सामने आई है। उसके बाद भारत ने अपना रुख काफी कड़ा कर लिया है। हालांकि अब चीनी सेना थोड़ा पीछे हट गई है मगर अभी भी इलाके में भारतीय सेना की ओर से सतर्कता बरती जा रही है। भविष्य में भी भारतीय सेना इस इलाके में चीनी सेना को किसी भी अतिक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तत्पर रहेगी।
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