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अटल जी की इस कविता ने बना दिया आडवाणी को हिंदुत्व का नायक

लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से हैं। राम मंदिर आंदोलन में उनकी मुख्य भूमिका रही। पार्टी ने उनके संरक्षण में पूरे देश में पहचान बनाई।

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Published on: 8 Nov 2017 7:50 AM GMT
अटल जी की इस कविता ने बना दिया आडवाणी को हिंदुत्व का नायक
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sanjay tiwari संजय तिवारी

लखनऊ: लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से हैं। राम मंदिर आंदोलन में उनकी मुख्य भूमिका रही। पार्टी ने उनके संरक्षण में पूरे देश में पहचान बनाई। लेकिन, 2014 में पूर्ण बहुमत से बनी बीजेपी की सरकार के बाद से वे हाशिये पर हैं। आज उनका जन्मदिन है, और उनके जीवन पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कविता हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय बिल्कुल सटीक बैठती है। वह स्वयं इस कविता को बार-बार पढ़ते रहे हैं। अटल जी के अभिन्न माने जाने वाले आडवाणी की जीवन यात्रा एक वास्तविक नायक की यात्रा ही है ,इसमें कोई संदेह नहीं। भाजपा आज जिस मुकाम पर है, उसमें आडवाणी जी की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता।

भाजपा के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी अपनी दो दिवसीय यात्रा पर पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में थे। उनके लिए यह वाराणसी ही नहीं बल्कि काशी की यात्रा थी। उनकी यात्रा न तो खबर बनी और बनारस में ऐसा कुछ दिखा, जिससे हिंदुत्व के इस नायक की उपस्थिति का आभास हो। शनिवार शाम उन्होंने देव दीपावली में हिस्सा लिया तो रविवार सुबह काशी विश्वनाथ के दरबार में पहुंचे। काशी प्रवास के दूसरे दिन भी वह संगठन और सत्ता दोनों से अलग-थलग नजर आए।

कार्तिक पूर्णिमा की चांदनी रात में गंगा के जिस खिड़किया घाट पर उन्होंने अपने जन्मदिन पर दीये जलाए थे, उसी घाट पर रविवार की सुबह उन्होंने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। आडवाणी सुबह 5:30 बजे अपनी पुत्री प्रतिभा के साथ खिड़किया घाट पहुंचे। 6:08 बजे सूर्योदय को उन्होंने निहारा। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान वो काशी से जुड़ी बचपन की यादें ताजा कर भावुक हो गए। बेटी के अलावा आसपास के मौजूद लोगों से उन्होंने तब की स्मृतियों को साझा किया, जब बचपन के दिनों में वह इस तीर्थनगरी में आए थे।

लाल कृष्ण आडवाणी आज नोटबंदी के एक साल के साथ अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर भाजपा नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि वह आडवाणी के अच्छे स्वास्थ की कामना करते हैं। अगले ट्वीट में पीएम ने आडवाणी की तारीफ करते हुए लिखा कि वह ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने देश के लिए काफी मेहनत से काम किया है। मोदी ने भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को आडवाणी जैसा नेता मिलने के लिए भाग्यशाली बताया। मोदी ने लिखा कि बीजेपी को बनाने में आडवाणी का काफी योगदान है।

मोदी के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, रमन सिंह, सुरेश प्रभु, सदानंद गौड़ा सभी ने आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी। भाजपा की नीतियों के खिलाफ रहने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आडवाणी के अच्छे स्वास्थ की कामना की।

अटलजी की जिस कविता ने आडवाणी जी को हिंदुत्व के लिए समर्पित किया था। वह कविता यहां उसी रूप में उद्धृत करना समीचीन होगा -

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार।

डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हहूं, जिसमें नचता भीषण संहार।

रणचंडी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास।

मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुंआधार।

फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती में आग लगा दूं मैं।

यदि धधक उठे जल, थल, अंबर, जड चेतन तो कैसा विस्मय?

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

मैं अखिल विश्व का गुरु महान्, देता विद्या का अमरदान।

मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग, मैने सिखलाया ब्रह्मज्ञान।

मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर।

मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर?

मेरा स्वर्णभ में घहर-घहर, सागर के जल में छहर-छहर।

इस कोने से उस कोने तक, कर सकता जगती सोराभ्मय।

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

मैंने छाती का लहू पिला, पाले विदेश के क्षुधित लाल।

मुझको मानव में भेद नहीं, मेरा अन्तस्थल वर विशाल।

जग से ठुकराए लोगों को लो मेरे घर का खुला द्वार।

अपना सब कुछ हूं लुटा चुका, फिर भी अक्षय है धनागार।

मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयों का वह राजमुकुट।

यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरीट तो क्या विस्मय?

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

होकर स्वतन्त्र मैंने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम?

मैंने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम।

गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किया?

कब दुनिया को हिंदू करने घर-घर में नरसंहार किया?

कोई बतलाए काबुल में जाकर कितनी मस्जिद तोड़ी?

भूभाग नहीं, शत-शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय।

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

मैं एक बिंदु परिपूर्ण सिंधु है यह मेरा हिंदू समाज।

मेरा इसका संबन्ध अमर, मैं व्यक्ति और यह है समाज।

इससे मैंने पाया तन-मन, इससे मैंने पाया जीवन।

मेरा तो बस कर्तव्य यही, कर दूं सब कुछ इसके अर्पण।

मैं तो समाज की थाति हूं, मैं तो समाज का हूं सेवक।

मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय।

हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय!

अटल बिहारी बाजपेई

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